Tuesday, December 16, 2025
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'देवता का सबसे ज्यादा शोषण...', बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के समय को लेकर खफा हुआ सप्रीम कोर्ट

बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के समय को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, मंदिर को दोपहर 12 बजे बंद करने के बाद भी देवता को एक मिनट का भी विश्राम नहीं मिलता। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जो अमीर लोग सबसे ज्यादा पैसे दे सकते हैं, उन्हें विशेष पूजा की अनुमति दे दी जाती है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Dec 16, 2025 01:11 pm IST, Updated : Dec 16, 2025 01:11 pm IST
banke bihari darshan timing- India TV Hindi
Image Source : PTI श्री बांके बिहारी की दर्शन टाइमिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।

नई दिल्ली: नींद को जीवन के अधिकार का हिस्सा घोषित किए जाने के एक दशक से भी अधिक समय बाद, सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस बात पर फैसला सुनाने के लिए सहमत हो गया कि क्या वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भक्तों के लिए 'दर्शन' का समय बढ़ाने वाला नया शेड्यूल मुख्य देवता के पारंपरिक सोने और आराम के समय को बाधित करता है। सोमवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने बेहद तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था देवता के शोषण के समान है।

'देवता को 1 मिनट भी आराम नहीं'

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के समय को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, ''मंदिर को दोपहर 12 बजे बंद करने के बाद भी देवता को एक मिनट का भी विश्राम नहीं मिलता। इसी समय देवता का सबसे ज्यादा शोषण होता है।'' सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी गंभीर सवाल उठाया कि जो अमीर लोग सबसे ज्यादा पैसे दे सकते हैं, उन्हें विशेष पूजा की अनुमति दे दी जाती है। कोर्ट ने कहा, ''आप उन लोगों को सहूलियत देते हैं जो आपको भगवान के आराम के वक्त पूजा कराने के लिए मोटा पैसा देते हैं।''

क्या है पूरा मामला, क्यों खफा हुआ सुप्रीम कोर्ट?

दरअसल, वृन्दावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर की देखभाल करने वाले गोस्वामी समाज की तरफ से मंदिर के देखभाल का अधिकार बदले जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यूपी सरकार और मंदिर की हाई पावर्ड कमेटी को नोटिस जारी किया है।  इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी। तब संबंधित पक्षों को इस नोटिस का कोर्ट में जवाब देना होगा।

बता दें कि बांके बिहारी जी की मूर्ति को सजीव कान्हा मानकर उनकी पूजा होती है। गोस्वामी समाज के पुजारी प्रतिदिन बांके बिहारी को नियम से सुबह जगाते हैं, श्रृंगार करते हैं, भोग लगाते हैं और दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के सामने लाते हैं। इसके बाद दोपहर में भोग लगाकर आराम करने देते हैं। यही नियम शाम को भी है। बांके बिहारी भगवान कृष्ण का बाल स्वरूप हैं और उन्हें जीवंत मानकर उनकी पूजा के साथ उनकी दिनचर्या एक जीवंत अस्तित्व की तरह तय है।

'कान्हा छोटे हैं और दर्शन देते-देते थक जाते हैं'

पहले गोस्वामी समाज के पुजारी गर्मियों में सुबह 6 बजे मंदिर के कपाट खोलते थे। मंदिर की साफ सफाई के बाद भगवान कृष्ण का बाल स्वरूप का श्रृंगार किया जाता था। फिर उन्हें भोग लगाकर सुबह 7.30 बजे से दोपहर 12 बजे तक श्रद्धालुओं को दर्शन कराया जाता था। गर्मियों में कपाट शाम 5.30 बजे से 9.30 बजे तक खुलते थे। वहीं, सर्दियों में सुबह 7 बजे कपाट खुलते थे। सुबह 8.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम को 4.30 बजे से 8.30 बजे तक दर्शन कराने की व्यवस्था थी। लेकिन फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित समिति ने समय सुबह और शाम की शिफ्ट में एक एक घंटे का समय बढ़ा दिया था।

ये बदला हुआ समय लगभग 2 महीने पहले से लागू हुआ है और इसी को लेकर गोस्वामी समाज के पुजारी नाराज हैं। उनका कहना है कि कान्हा छोटे हैं और दर्शन देते-देते थक जाते हैं। ऐसे में नियम बदलकर श्रद्धालुओं को सहूलियत जरूर दी जा रही लेकिन बांके बिहारी जी इससे परेशान हो रहे हैं।

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