Sunday, April 28, 2024
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सीमा विवाद: भारत-चीन के बीच 12 जनवरी को होगी 14वें दौर की सैन्य वार्ता, इन मद्द्दों पर होगी बात

भारत-चीन के बीच बातचीत तब हो रही है, जब चीन ने 1 जनवरी से नए सीमा कानून लागू कर दिए हैं और पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर एक पुल का निर्माण भी शुरू कर दिया है, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 07, 2022 23:47 IST
सीमा विवाद: भारत-चीन के बीच 12 जनवरी को होगी 14वें दौर की सैन्य वार्ता, इन मद्द्दों पर होगी बात- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE PHOTO सीमा विवाद: भारत-चीन के बीच 12 जनवरी को होगी 14वें दौर की सैन्य वार्ता, इन मद्द्दों पर होगी बात

Highlights

  • 12 जनवरी को भारत और चीन करेंगे सैन्य वार्ता
  • मुख्य रूप से हाट स्प्रिंग को लेकर हो सकती है चर्चा
  • बेनतीजा रही थी 13वें दौर की बातचीत

India-China Talks: नई दिल्ली: भारत और चीन के सैन्य प्रतिनिधि आगामी 12 जनवरी को दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को कम करने के तरीकों पर विचार-विमर्श कर सकते हैं। पूर्वी लद्दाख के करीब वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बने गतिरोध को दूर करने के लिए भारत और चीन कोर कमांडर स्तर की सैन्य वार्ता का 14वां दौर होगा, जिसमें शेष तनाव वाले क्षेत्रों जैसे डेपसांग, हॉट स्प्रिंग्स और अन्य में सैनिकों को पीछे हटाए जाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

भारत-चीन के बीच बातचीत तब हो रही है, जब चीन ने 1 जनवरी से नए सीमा कानून लागू कर दिए हैं और पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर एक पुल का निर्माण भी शुरू कर दिया है, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई है। वहीं यह पहली बार होगा जब भारतीय सेना की नई 14 'फायर एंड फ्यूरी' कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता चीनी पक्ष के साथ बातचीत में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने मंगलवार को ही औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया है। 

सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि मुख्य रूप से हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र को हल करने के लिए भारत-चीन वार्ता का 14 वां दौर 12 जनवरी को होने की संभावना है। मई 2020 से बनी गतिरोध की स्थिति में इस बार हाट स्प्रिंग इलाके को लेकर वार्ता होगी। इस इलाके को लेकर दोनों पक्षों में बड़ा गतिरोध बना हुआ है। इस क्षेत्र में पूर्व स्थिति बहाल करने को लेकर दोनों पक्ष 13 दौर की वार्ता में सहमत नहीं हो पाए हैं। 

गुरुवार को भारत ने चीन द्वारा पैंगोंग झील के एक हिस्से पर पुल के अवैध निर्माण पर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि सरकार स्थिति की निगरानी कर रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पैंगोंग झील के चीनी किनारे पर पड़ोसी देश द्वारा बनाए जा रहे एक पुल के बारे में सामने आई रिपोर्ट पर बात करते हुए कहा, सरकार इस गतिविधि की बारीकी से निगरानी कर रही है। इस पुल का निर्माण उन क्षेत्रों में किया जा रहा है, जो लगभग 60 वर्ष से चीन के अवैध कब्जे में हैं। जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, भारत ने कभी भी इस तरह के अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं किया है।

बागची ने कहा कि हमारे सुरक्षा हितों की पूरी तरह से रक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के तहत सरकार ने पिछले सात वर्षों के दौरान सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की है और पहले से कहीं अधिक सड़कों और पुलों को पूरा किया है। बागची ने कहा, इनसे स्थानीय आबादी के साथ-साथ सशस्त्र बलों को बहुत आवश्यक कनेक्टिविटी प्रदान की गई है। सरकार इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है। 

यह पाया गया है कि चीन पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले पुल का निर्माण कार्य कम से कम दो महीने से कर रहा है। पुल चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को दोनों साइड त्वरित पहुंच प्राप्त करने में सहायक होगा। भारत ने अगस्त 2020 में दक्षिणी तट पर कैलाश रेंज पर प्रमुख ऊंचाइयों पर अपना कब्जा कर लिया था, जिससे हमारे सैनिकों को एक रणनीतिक लाभ मिला था। हालांकि, पिछले साल फरवरी में पैंगोंग में सैनिकों के पीछे हटने के साथ ही भारत तनाव को कम करने के लिए आपसी पुलबैक योजना के हिस्से के तौर पर उन ऊंचाइयों से पीछे हट गया।

इसके अलावा, चीन ने 1 जनवरी को अपना नया सीमा कानून लागू किया, जो अपनी सीमा सुरक्षा को मजबूत करने और गांवों और सीमाओं के पास बुनियादी ढांचे के विकास का आह्वान करता है। कानून के लागू होने से ठीक पहले चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के नाम बदल दिए। भारत और चीन के बीच करीब दो साल से सीमा विवाद अपने चरम पर है और अब दोनों ही देश मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं। (इनपुट- ANI/IANS)

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