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एक मिनट में 200 बार धड़क रहा था बच्चे का दिल, सर्जरी कर बचाई गई जान; डॉक्टरों ने बताई गंभीर बीमारी

दिल्ली के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने ईराकी लड़की की जटिल सर्जरी करके जान बचाई है। बच्चे का दिन एक मिनट में 200 बार धड़क रहा था, जिसे गंभीर बीमारी बताया गया है। फिलहाल सर्जरी के बाद बच्चे की हालात ठीक है।

Edited By: Amar Deep @amardeepmau
Published : Oct 07, 2025 10:54 pm IST, Updated : Oct 07, 2025 10:54 pm IST
डॉक्टरों ने बचाई बच्चे की जान।- India TV Hindi
Image Source : PEXELS/REPRESENTATIVE IMAGE डॉक्टरों ने बचाई बच्चे की जान।

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के एक अस्पताल में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक इराकी बच्चे की सफलतापूर्वक सर्जरी करके जान बचाई गई। हैरान कर देने वाली बात ये है कि बच्चे का दिल एक मिनट में 170 से 200 बार धड़कता था। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट के डॉक्टरों ने पिछले महीने एक दुर्लभ हृदय सर्जरी करके लड़के की जान बचाई। इस सर्जरी को ‘इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी स्टडी’ और ‘रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन’ कहा जाता है। 

क्या है ये बीमारी

अस्पताल के बयान के अनुसार, मरीज को इनसेसेंट टैकिकार्डिया था- यानी हृदय की धड़कन तेज रहती थी। बयान में कहा गया है कि यह खुद ठीक नहीं होती, इससे हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं और ‘हार्ट फेल’ होने का खतरा भी रहता है। बच्चा जन्म के समय से ही एक असामान्य ‘इलेक्ट्रिकल सर्किट’ समस्या से पीड़ित था। अस्पताल के अनुसार, जब वह फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला लाया गया, तब उसकी दिल की धड़कन बहुत तेज थी। 

नॉर्मल से कैसे था अलग

अस्पताल ने कहा कि बच्चे का दिल एक मिनट में 170 से 200 बार धड़क रहा था। अस्पताल के अनुसार, सामान्य दिल एक मिनट में 75 से 118 बार धड़कता है। बच्चे का वजन केवल 26 किलो था और वह कई वर्ष से बीमार था। अस्पताल के मुताबिक, इराक में इलाज नहीं हो पाया, क्योंकि उसकी कम उम्र और कम वजन के कारण ज्यादा खतरा था। 

सर्जरी के बाद ठीक हुआ बच्चा

एफईएचआई के ‘कार्डियक पेसिंग और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी’ विभाग की निदेशक डॉ. अपर्णा जसवाल ने कहा, ‘‘यह एक बेहद जटिल और दुर्लभ मामला था। आमतौर पर ऐसी प्रक्रियाओं में तब तक देरी की जाती है जब तक कि बच्चे का वजन 30 किलो से ज़्यादा न हो जाए। हालांकि, इस मामले में उसकी हालत बिगड़ रही थी और अगर इलाज में और देरी होती, तो दिल काम करना बंद भी कर सकता था।" डॉ. जसवाल ने आगे कहा, "दुनिया भर में 1,000 बच्चों में से एक को यह समस्या होती है। सर्जरी के बाद बच्चा काफी हद तक ठीक है। उसने सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू कर दी हैं।" (इनपुट- पीटीआई)

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