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सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया प्रोबा-3, यहां जानिए क्या स्टडी करेगा और कल क्यों टली थी लॉन्चिंग

PROBA-3 दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग सैटेलाइट है यानी यहां एक नहीं दो सैटेलाइट लॉन्च हुए हैं। ये सैटेलाइट सूर्य के बाहरी वातावरण के अध्ययन के लिए छोटी से छोटी जानकारी पृथ्वी पर भेजेंगे।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Dec 05, 2024 7:26 IST, Updated : Dec 05, 2024 16:31 IST
isro proba 3 mission
Image Source : @ISRO इसरो का प्रोबा-3 मिशन

ISRO के PSLV C 59 रॉकेट में यूरोपियन स्पेस एजेंसी के प्रोबा 3 मिशन को पृथ्वी की तय कक्षा में सफलता पूर्वक स्थपित कर दिया गया है। बता दें कि इस सोलर मिशन को बुधवार शाम पीएसएलवी-सी 59 से लॉन्च किया जाना था लेकिन प्रोबा-3 स्पेसक्राफ्ट में आई खामी के चलते कल इसकी लॉन्चिंग टाल दी गई थी। अब आज शाम 4.15 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इस सोलर मिशन को लॉन्च किया जाना है। प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड ऑटोनॉमी यानी प्रोबा-3 में दो सैटेलाइट शामिल हैं जो एक साथ जुड़े हैं। दोनों एक साथ उड़ान भरेंगे और सूर्य के बाहरी वातावरण के अध्ययन के लिए छोटी से छोटी जानकारी पृथ्वी पर भेजेंगे।

क्या है प्रोबा-3 मिशन?

  • प्रोबा-3, यूरोपीय स्पेस एजेंसी के प्रोबा सीरीज का तीसरा सोलर मिशन है।
  • खास बात ये कि प्रोबा सीरीज के पहले मिशन को भी इसरो ने ही 2001 में लॉन्च किया था।
  • प्रोबा-3 मिशन के लिए स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, इटली और स्विट्जरलैंड की टीमों ने काम किया है।
  • इस पर करीब 20 करोड़ यूरो यानि करीब 1,778 करोड़ रुपये की लागत आई है।
  • यह सूर्य के इनर कोरोना और आउटर कोरोना के बीच बने गैप की स्टडी करेगा।
  • इसे एक साथ 2 सैटेलाइट से लॉन्च किया जाएगा। दोनों उपग्रह एक दूसरे से 150 मीटर की दूरी पर रहेंगे।

प्रोबा-3 मिशन की खास बातें-

PROBA-3 दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग सैटेलाइट है यानी यहां एक नहीं दो सैटेलाइट लॉन्च होंगे। पहला है कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट और दूसरा ऑक्लटर स्पेसक्राफ्ट है। इन दोनों का वजन 550 किलोग्राम है। लॉन्चिंग के बाद दोनों सैटेलाइट अलग हो जाएंगे। बाद में सोलर कोरोनाग्राफ बनाने के लिए इन्हें एक साथ पोजिशन किया जाएगा। यह सूर्य के कोरोना का डिटेल स्टडी करेंगे। आपको बता दें सूर्य के बाहरी एटमॉस्फियर को सूर्य का कोरोना कहते हैं।

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