Monday, April 29, 2024
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75 years of independence: एक नंबर के झूठे निकले जिन्ना, पाकिस्तान के इस 'मसीहा' ने तोड़े अपने सभी वादे, बंटवारे के वक्त लोगों से कही थीं ये फर्जी बातें

75 years of independence: भारत से अलग हुआ पाकिस्तान आज अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। मुहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान को इस्लीमिक देश बनाया। जिन्ना ने कराची में पाकिस्तान की संविधान सभा में अपने पहले भाषण में कहा था कि देश में सभी लोगों को जाति और धर्म के भेदभाव के बिना समान अधिकार मिलेगा।

Ravi Prashant Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Updated on: August 14, 2022 18:05 IST
Muhammad Ali Jinnah- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Muhammad Ali Jinnah

Highlights

  • आर्मी चीफ जनरल बाजवा आलीशान जिंदगी जी रहे हैं
  • टीटीपी पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करना चाहता है
  • पाकिस्तानी सेना प्रमुख चीन से अमेरिका को कर्ज की भीख मांग रहे हैं

75 years of independence: भारत से अलग हुआ पाकिस्तान आज अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। मुहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान को इस्लीमिक देश बनाया। जिन्ना ने कराची में पाकिस्तान की संविधान सभा में अपने पहले भाषण में कहा था कि देश में सभी लोगों को जाति और धर्म के भेदभाव के बिना समान अधिकार मिलेगा। पाकिस्तान के कायदे आजम कहे जाने वाले जिन्ना का ये सपना आज मिट्टी में मिला गया है। अहमदिया समुदाय, हिंदुओं, ईसाइयों और मुसलमानों के लिए पाकिस्तान नर्क बन गया है। हालत यह है कि पाकिस्तान को सेना चला रही है। लोकतंत्र के नाम पर राजनीतिक पार्टियां है लेकिन सिर्फ पाटियां ही है। पाकिस्तानी सेना लोकतंत्र की गला दबाकर एक क्रूर शासन स्थापित कर चुका है। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था एक नीचले स्तर पर चली गई है। उसे कर्ज के लिए भीख मांगनी पड़ रही है। यही वजह है कि जिन्ना के इस पाकिस्तान को अब 'एशिया का सिकमैन' कहा जाने लगा है।

हिंदुओं की स्थिति बेहद खराब

पाकिस्तान के जन्म के बाद ही साल 1950 में जिन्ना का सपना टूटना शुरू हो गया था। पाकिस्तान में हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे। बड़ी संख्या में हिंदुओं की हत्या कर दी गई, उनके घर जला दिए गए। करीब 3 महीने तक चली हिंसा में हालात इतने खराब हो गए कि बड़ी संख्या में हिंदुओं को पाकिस्तान छोड़कर भारत भागना पड़ा। आजादी के 75 साल बाद भी पाकिस्तान की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। यह सिलसिला यहीं नहीं थमा और आजादी के 75 साल पूरे होने के बाद भी पाकिस्तान में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की हालत बहुत खराब है। अक्सर हिंदू लड़कियों का अपहरण कर लिया जाता है और जबरन उनकी शादी मुसलमानों से कर दी जाती है। इतना ही नहीं हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पाकिस्तान के हिंदू इस्लामाबाद में अपनी जमीन पर मंदिर बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें कट्टरपंथी नहीं बनने दे रहे हैं।

पाकिस्तान के दो टूकड़े हुए 

हिंदुओं के बाद पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों को निशाना बनाया गया। 1953 में लाहौर में अहमदिया लोगों के खिलाफ हिंसा हुई। इसमें बड़ी संख्या में अहमदिया लोग मारे गए थे। उनके घरों को लूट लिया गया और आग लगा दी गई। इसके बाद लाहौर में 3 महीने के लिए मार्शल लॉ लगा दिया गया। कुछ समय बाद स्थिति नियंत्रण में आ गई। वहां की सरकार को भी बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान और आधुनिक बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना ने बंगाली लोगों को बेरहमी से प्रताड़ित किया। पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं सहित बड़ी संख्या में अल्पसंख्यकों की हत्या कर दी गई। जिसने सच बोलने की हिम्मत की उसे जेल में डाल दिया गया। इसके बाद लोगों ने विद्रोह कर दिया। इसके बाद भारत की मदद से बांग्लादेश का जन्म हुआ। हालांकि पाकिस्तान ने बांग्लादेश में जो धार्मिक जहर के बीज बोए थे, उसका असर अभी भी बना हुआ है। वहां हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं।

जिन्ना के सारे वादे झूठे 
मुहम्मद अली जिन्ना ने अपने भाषण में अल्पसंख्यकों से कहा, 'आप स्वतंत्र हैं। पाकिस्तान में आप अपने मंदिरों में जाने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं, आप अपनी मस्जिदों या अन्य पूजा स्थलों पर जाने के लिए स्वतंत्र हैं। पाकिस्तान में धर्म और जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। देश में सभी को नागरिकता का समान अधिकार मिलेगा। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसक घटनाओं ने जिन्ना के सपनों को कुचल दिया और पाकिस्तान एक कट्टरपंथी इस्लामी देश बन गया। पाकिस्तान कभी भी सफल लोकतंत्र नहीं बन सका। आजादी के 11 साल बाद ही मेजर जनरल अयूब खान ने मार्शल लॉ लगा दिया। उसके बाद जनरल याह्या खान, 1977 में जनरल जिया-उल-हक और 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने अपने सैन्य जूतों के तहत लोकतंत्र को कुचल दिया था। वर्तमान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे हैं। उन्होंने नवाज शरीफ और इमरान खान को सत्ता से बेदखल कर दिया है। मौजूदा प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी सेना के रहम पर चल रहे हैं।

'दक्षिण एशिया का सिकमैन' है पाकिस्तान
इतना ही नहीं जिन्ना ने जिस पाकिस्तान के विकास का सपना देखा था, वह आज आतंकियों की फैक्ट्री के लिए जाना जाता है। लश्कर-ए-तैयबा, तालिबान, जैश-ए-मोहम्मद, अलकायदा जैसे संगठनों के आतंकवादी पाकिस्तान को अपना घर मानते हैं। ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी सेना ने पाकिस्तानी सरजमीं पर मार गिराया था। टीएलपी और टीटीपी जैसे कट्टरपंथी संगठन पाकिस्तान में लगातार खुद को मजबूत कर रहे हैं। टीटीपी पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करना चाहता है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह खत्म कगार पर है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख चीन से अमेरिका को कर्ज की भीख मांग रहे हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान अब 'दक्षिण एशिया का सिकमैन' बन गया है। पाकिस्तान में कोई पैसा नहीं लगाना चाहता और देश की जनता आसमान छूती महंगाई से जूझ रही है। जहां एक-एक रोटी के लिए पाकिस्तानी जनता परेशान है। वहीं पाकिस्तानी नेता आपस में लड़ रहे हैं और कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं। इन सबके बीच आर्मी चीफ जनरल बाजवा आलीशान जिंदगी जी रहे हैं और उन्हीं के इशारे पर पूरी सरकार चला रहे हैं।

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