Friday, April 26, 2024
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15 की उम्र में ही मुख्तार ने शुरू किया अपराध, जानें रूंगटा के अपहरण से लेकर कृष्णानंद राय की हत्या का मामला

मुख्तार अंसारी का जन्म साल 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में हुआ था। सरकारी ठेका माफियाओं में खुद को शामिल करने के लिए उसने अपराध की दुनिया में प्रवेश किया।

Subhash Kumar Edited By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Updated on: March 29, 2024 11:18 IST
माफिया मुख्तार अंसारी।- India TV Hindi
Image Source : PTI माफिया मुख्तार अंसारी।

उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। जेल में बंद मुख्तार को तबीयत बिगड़ने के बाद बांदा के एक अस्पताल में ले जाया गया था। हालांकि, उसे बचाया नहीं जा सका। मुख्तार की मौत के साथ ही अपराध के एक युग और राजनीति के साथ उसके गठजोड़ के एक अध्याय का अंत हो गया है। बीते कई दशकों से मुख्तार के ऊपर हत्या से लेकर जबरन वसूली समेत कई अन्य आपराधिक मामले दर्ज थे। आइए जानते हैं मुख्तार के आपराधिक इतिहास के बारे में कुछ खास बातें। 

15 साल की उम्र से अपराध शुरू

मुख्तार अंसारी का जन्म साल 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में हुआ था। सरकारी ठेका माफियाओं में खुद को शामिल करने के लिए उसने अपराध की दुनिया में प्रवेश किया। साल 1978 की शुरुआत में महज 15 साल की उम्र में अंसारी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। तब  गाजीपुर के सैदपुर थाने में उसके खिलाफ धारा 506 के तहत पहला मामला दर्ज किया गया था। साल 1986 आते-आते उसपर धारा 302 (हत्या) के तहत एक और मामला दर्ज हो चुका था। इसके बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम जमा लिया। 

हत्या और अपहरण के कई मामलों में नाम

मुख्तार अंसारी पर गाजीपुर जिले में तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की 29 नवंबर, 2005 को हुई हत्या तथा वाराणसी में 22 जनवरी, 1997 को व्यापारी नंद किशोर रुंगटा उर्फ नंदू बाबू के अपहरण व हत्‍या के मामले में गैंगस्टर अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई थी। वर्तमान उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या के मामले में अंसारी को दोषी ठहराया गया। 2003 में लखनऊ जिला जेल के जेलर को धमकी देने के आरोप में भी उसे सजा हुई। साल 2005 से जेल में रहते हुए उसके खिलाफ हत्या और गैंगस्टर अधिनियम के तहत 28 मामले दर्ज थे और सितंबर 2022 से आठ आपराधिक मामलों में उसे दोषी ठहराया गया था। फिलहाल मुख्तार अंसारी पर विभिन्न अदालतों में 21 मुकदमे लंबित थे।

राजनीति में भी बड़ी पकड़

मुख्तार अंसारी पहली बार 1996 में मऊ से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायक चुना गया था। उसने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर अपनी जीत का सिलसिला कायम रखा। साल 2012 में, अंसारी ने कौमी एकता दल (क्यूईडी) बनाया और मऊ से फिर से जीत हासिल की। 2017 में उन्होंने फिर से मऊ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2022 में मुख्तार ने अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए सीट खाली कर दी, जो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर इस सीट से जीते। वह पिछले 19 वर्षों से उत्तर प्रदेश और पंजाब की विभिन्न जेलों में बंद रहा। 

किन-किन मामलों  में मिली सजा?

हाल ही में धोखाधड़ी से हथियार लाइसेंस प्राप्त करने के एक मामले में मुख्तार को आजीवन कारावास की सजा मिली थी। सितंबर 2022 से लेकर पिछले 18 महीनों में यह आठवां मामला था, जिसमें मुख्तार को उत्तर प्रदेश की विभिन्न अदालतों ने सजा सुनाई थी। इससे पहले नंद किशोर रूंगटा के अपहरण व हत्या के मामले में अंसारी को पांच साल, छह महीने की सजा मिली। गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में उसे 10 साल के कारावास की सजा सुनाई गई।  अवधेश राय की हत्या के मामले में अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 1999 में गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज मामले में अंसारी को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। मुख्तार खिलाफ 1996 और 2007 में गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज दो अलग-अलग मामलों में उसे 10 साल की कैद की सजा सुनाई गई। 2003 में लखनऊ जिला जेल के जेलर को धमकी देने के आरोप में उसे सात साल की कैद की सजा सुनाई गई। (इनपुट: भाषा)

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