Sunday, April 28, 2024
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रेवड़ी कल्चर को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, एमपी, राजस्थान और केंद्र सरकार को भेजा नोटिस

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर मध्य प्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।

Sudhanshu Gaur Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: October 06, 2023 14:07 IST
Supreme Court- India TV Hindi
Image Source : FILE सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: इस साल नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों से पहले सरकारें जबरदस्त पैसे उड़ा रही हैं। अब इसी को लेकर एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में सरकारें चुनावों से पहले मुफ्त की रेवड़ियां बांट रही है। इन पर रोक लगाई जाए। इसे लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने एमपी, राजस्थान और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। 

जवाब देने के लिए दिया चार हफ्ते का समय 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने जनहित याचिका पर केंद्र, निर्वाचन आयोग तथा भारतीय रिजर्व बैंक को भी नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया है कि दोनों राज्य की सरकारें मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग कर रही हैं। याचिकाकर्ता की पैरवी करने वाले वकील ने कहा, ‘‘चुनाव से पहले सरकार द्वारा नकदी बांटने से ज्यादा खराब और कुछ नहीं हो सकता। हर बार यह होता है और इसका बोझ आखिरकार करदाताओं पर आता है।’’ कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।

पहले भी दाखिल हो चुकी हैं कई याचिकाएं 

इसके साथ ही कोर्ट ने इस विषय पर चल रही अन्य याचिकाओं को भी एक साथ जोड़ दिया है। अब सभी मामलों की सुनवाई अब एक साथ होगी। वहीं इससे पहले जनवरी 2022 में BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटर्स से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की थी। इसमें मांग की गई थी कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए। केंद्र सरकार ने अश्विनी से सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से फ्रीबीज की परिभाषा तय करने की अपील की थी। केंद्र ने कहा कि अगर फ्रीबीज का बंटना जारी रहा, तो ये देश को भविष्य की आर्थिक आपदा की ओर ले जाएगा।

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