Tuesday, May 14, 2024
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साइबर अटैक जैसे खतरों का मुकाबला करने के लिए दुनिया को मिलकर काम करना होगा, बोले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 60वें राष्ट्रीय डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) पाठ्यक्रम के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने देश की आंतिरक और बाहरी सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने साइबर हमलों को आज के समय में चुनौती बताया और ऐसे खतरों का दुनिया को मिलकर मुकाबला करने की जरूरत बताई।

Deepak Vyas Edited By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: November 10, 2022 20:48 IST
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह- India TV Hindi
Image Source : PTI रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि आज के समय में साइबर हमले चुनौती बन गए हैं।अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर इसका मुकाबला करना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे अहम और अनिवार्य होती है। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता सबसे अहम है।

भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को साइबर हमलों और सूचना युद्ध जैसे 'गंभीर' उभरते सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के ठोस प्रयासों का आह्वान किया। सिंह 60वें राष्ट्रीय डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) पाठ्यक्रम के दीक्षांत समारोह के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों, सिविल सेवाओं के साथ-साथ मित्र देशों के अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। दीक्षांत समारोह के दौरान, 60वें एनडीसी कोर्स (2020 बैच) के 80 अधिकारियों को मद्रास विश्वविद्यालय से प्रतिष्ठित एमफिल की डिग्री से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे अहम और अनिवार्य: राजनाथ सिंह

इस दौरान रक्षामंत्री ने ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सरकार का मुख्य फोकस बताया और जोर देकर कहा कि देश की पूरी क्षमता का दोहन तभी किया जा सकता है जब उसके हितों की रक्षा की जाए। सभ्यता के फलने-फूलने और समृद्ध होने के लिए सुरक्षा सबसे अहम और अनिवार्य है।

'आंंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच घट रही है खाई'

राजनाथ सिंह ने देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच घटती खाई पर अपने संबोधन में कहा कि कि बदलते समय के साथ खतरों के नए आयाम जुड़ रहे हैं, जिन्हें वर्गीकृत करना मुश्किल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद, जो आम तौर पर आंतरिक सुरक्षा में आता है। उसे अब बाहरी सुरक्षा की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि ऐसे संगठनों का प्रशिक्षण, वित्त पोषण और हथियारों का समर्थन देश के बाहर से किया जा रहा था।

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