Sunday, April 28, 2024
Advertisement

क्या है वेपेन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन? हथियारों की फंडिंग रोकने वाला बिल लोकसभा में पास

सामूहिक विनाश के हथियार जैविक, रासायनिक और परमाणु हथियार हैं। नए कानून के माध्‍यम से ऐसे हथियारों के वित्‍त पेाषण पर भी रोक लगाने का प्रावधान किया गया है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 07, 2022 14:21 IST
Indian Tank- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE PHOTO Indian Tank

नयी दिल्ली: सामूहिक संहार के हथियार और उनकी वितरण प्रणाली संशोधन विधेयक- 2022 को लोकसभा में सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई है। इस विधेयक में सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनसे जुड़ी प्रणालियों के प्रसार के वित्त पोषण करने को रोकने का प्रावधान है। यह पूरी कवायद देश के अंदर बैठकर बाहरी तत्वों द्वारा देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों पर कार्रवाई के लिए की गई है। इसके जरिए सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियां निषेध) कानून-2005 के प्रावधानों में संशोधन किया गया है। 

सामूहिक विनाश के हथियार जैविक, रासायनिक और परमाणु हथियार हैं। नए कानून के माध्‍यम से ऐसे हथियारों के वित्‍त पेाषण पर भी रोक लगाने का प्रावधान किया गया है। इसमें केंद्र सरकार को किसी भी व्‍यक्ति को ऐसे हथियारो के लिए वित्‍त पोषण से रोकने के लिए उनकी निधियों तथा अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों या आर्थिक संसाधनों पर रोक, अधिग्रहण या कुर्की करने का अधिकार दिया गया है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना बुधवार को कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के दायित्वों के अनुरूप कार्य एवं नीतियां नहीं अपनाते हैं और इनमें से कुछ देश हमारे काफी पास हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से देश की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी। उन्‍होंने कहा कि देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 17 साल पुराने कानून में बदलाव जरूरी हो गया था।

जयशंकर ने कहा कि सरकार अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1540, सामूहिक संहार के हथियारों संबंधी 2005 के कानून, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की विवेचना एवं अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनसे जुड़ी प्रणालियों के प्रसार के वित्त पोषण पर रोक लगाने के प्रावधान वाला विधेयक लायी। 

मंत्री के जवाब के बाद निचले सदन में ‘सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2022’ को मंजूरी दे दी गयी। लोकसभा में सभी दलों ने पार्टी लाइन से इतर इस विधेयक का समर्थन किया। जयशंकर ने कहा कि हम एक ऐसे कानून को उन्नत बना रहे हैं जो 17 वर्ष पुराना है तथा यह सुशासन का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में संसद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कानून बनाया था जिसमें यह दायित्व था कि सरकार सुरक्षा परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव को प्रभाव में लाने के लिये कोई कदम उठायेगी हालांकि इसमें बल प्रयोग नहीं शामिल होगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि इस बिल में मौजूदा कानून में एक नई धारा 12ए डाली गई है। इसके जरिये कोई भी व्यक्ति किसी भी सामूहिक विनाश के हथियारों संबंधित किसी गतिविधि को वित्तपोषित नहीं कर सकेगा।

जयशंकर ने कहा कि आजादी के बाद से ही हम संयुक्त राष्ट्र के अच्छे सदस्य देश रहे हैं और आज भी संयुक्त राष्ट्र के कदमों के तहत ही हम यह पहल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 9/11 के आतंकवादी हमले के बाद से ही आतंकवादियों, ऐसे तत्वों एवं अनधिकृत पक्षों के हाथों में सामूहिक संहार के हथियार पड़ने को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई । उन्होंने कहा कि इसका उल्लेख हालांकि 70 के दशक से ही किया जाने लगा था।

विदेश मंत्री ने कहा कि इन्हीं चिंताओं को देखते हुए सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव 1540 पारित किया था जिसमें कहा गया था कि सभी देश यह सुनिश्चित करेंगे कि घरेलू स्तर पर सामूहिक संहार के हाथियारों का प्रसार न हो, इसमें जैविक, रसायनिक हथियारों का अप्रसार सुनिश्चित करने एवं इसके फैलने से रोकने की दिशा में कदम उठाने की बात कही गई। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव 1540 में हालांकि इससे जुड़े वित्तीय आयामों एवं प्रभावों को नहीं जोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में जब हमने कानून बनाया तब इसका आधार सुरक्षा परिषद का यह प्रस्ताव था, ऐसे में इसमें वित्तीय आयाम जोड़ने के लिये यह संशोधन विधेयक लाया गया है। 

जयशंकर ने कहा कि यह विषय वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की चिंताओं से जुड़ा रहा और सभी सदस्य एफएटीएफ के महत्व को समझते हैं। उन्होंने कहा कि एफएटीएफ इस बात का मूल्यांकन करता है कि क्या देश इस संबंध में अपनी वित्तीय नीतियों को लेकर जवाबदेह हैं ? विदेश मंत्री ने कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के दायित्वों के अनुरूप कार्य एवं नीतियां नहीं अपनाते हैं। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा कि अधिकांश सदस्यों को मालूम है कि इसमें कौन देश शामिल हैं। ‘‘इनमें से कुछ (देश) हमारे काफी पास हैं।’’

विधेयक में सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनसे जुड़ी प्रणालियों के प्रसार के वित्त पोषण को रोकने का प्रावधान किया गया है। इसमें ऐसे वित्त पोषण का निवारण करने के लिये केंद्र सरकार को निधियों एवं अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों या आर्थिक संसाधनों पर रोक लगाने, अधिग्रहण या कुर्की करने का अधिकार दिया गया है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनकी डिलीवरी प्रणालियों के प्रसार से संबंधित विनियमों का विस्तार किया गया है। 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लक्षित वित्तीय प्रतिबंध एवं वित्तीय कार्रवाई कार्य बल की सिफारिशों को सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनकी परिदान प्रणालियों के प्रसार के खिलाफ लागू किया गया है। इसमें केंद्र सरकार को सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनकी परिदान प्रणालियों के प्रसार को लेकर निधियों एवं अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों या आर्थिक संसाधनों के संबंध में रोक लगाने के लिये सशक्त बनाने की बात कही गई है। इसके माध्यम से सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) अधिनियम 2005 में संशोधन किया गया है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement