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ओपन जेल के बारे में कितना जानते हैं आप? जानें कैदियों को कितनी मिलती है आजादी, क्या हैं नियम

ओपन जेल ऐसी जेलें होती हैं, जहां कैदियों को कई तरह की आजादी मिलती है। यहां कैदियों को बाहर जाने से लेकर परिवार के साथ समय बिताने और रोजी-रोजगार तक का मौका दिया जाता है। आइये ओपन जेल के बारे में जानते हैं...

Edited By: Amar Deep
Published : Sep 02, 2024 12:17 IST, Updated : Sep 02, 2024 12:17 IST
ओपन जेल में कैदियों को मिलती है आजादी।- India TV Hindi
Image Source : FILE ओपन जेल में कैदियों को मिलती है आजादी।

जेल का नाम सुनने के बाद किसी के भी मन में यही खयाल आता है कि यहां लोगों को सलाखों के पीछे कैद करके रखा जाता है। अलग-अलग अपराधों में संलिप्त लोगों को सजा देने के लिए जेलें बनाई जाती हैं और यहां पर अपराधियों को सजा की अवधि तक रखा जाता है। हालांकि देश में कई जेलें ऐसी भी हैं, जहां कैदियों को बाहर जाने और रोजी-रोजगार कर परिवार के साथ समय बिताने का भी समय मिलता है। इन जेलों को ओपन जेल कहा जाता है। आइये हम जानते हैं कि ओपन जेल क्या होती हैं, इनमें कैदियों को किस तरह की आजादी मिलती है और इनकी मांग क्यों बढ़ती जा रही है।

दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से ओपन जेलों के बारे में जानकारी मांगी है। वहीं आंकड़ों पर नजर डालें तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो 2022 के अनुसार देशभर में 91 ओपन जेल मौजूद हैं। ये जेलें दूसरी जेलों से कई मायने में अलग होती हैं। देश के कई राज्यों में ओपन जेलें हैं तो वहीं कई राज्य ओपन जेल की शुरुआत करने के बारे में विचार कर रहे हैं। इन ओपन जेलों में दूसरे कारागार की तरह रोकटोक नहीं होती और यहां कैदियों को आजादी दी जाती है।

क्या होती है ओपन जेल

पश्चिम बंगाल में राज्य कारागार विभाग के प्रमुख जेल और पुलिस अधिकारियों की एक समिति बनाते हैं, जो ओपन जेल में ट्रांसफर होने योग्य कैदियों का चयन करती है। यह समिति पर्सनल इंटरव्यू और उनके ट्रैक रिकॉर्ड की जांच करने के बाद उनकी ट्रांसफर पर मुहर लगाती है। हालांकि इसमें कानून की वर्जित धाराओं के तहत आने वाले कैदी शामिल नहीं होते हैं। इसी तरह राजस्थान प्रिजनर्स ओपन एयर कैम्प रूल्स 1972 के मुताबिक, ओपन जेल में ट्रांसफर होने योग्य कैदियों को अपनी सजा का एक तिहाई हिस्सा पूरा करना होता है।

ओपन जेल में कैदियों को कितनी आजादी

लीगल सर्विसेज इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार कई ओपन जेलें कैदियों को अपने परिवारों के साथ रहने और जीविकोपार्जन करने की भी अनुमति देती हैं। पश्चिम बंगाल में ओपन जेलों में कैदियों को घूमने-फिरने की पूरी आजादी मिलती है, क्योंकि रोजाना लॉक-अप की कोई व्यवस्था नहीं है। ओपन जेल के दरवाजे सुबह 6 बजे खुलते हैं और रात को 8 बजे बंद हो जाते हैं। इसी बीच कैदी जहां चाहें वहां जाने के लिए स्वतंत्र होती हैं। हालांकि उन्हें 8 बजे तक जेल में वापस आना होता है।

ओपन जेल में रहने वाले कैदियों को जेल से 20 किलोमीटर की दूरी के अंदर रोजगार खोजने का निर्देश दिया जाता है, ताकि वह रोजाना रात को जेल लौट सकें। इसके अलावा उन्हें 6 महीने के बाद 20 दिनों की पैरोल भी दी जाती है। ओपन सुधार गृहों में शिफ्ट होने के बाद अगले तीन महीने तक उन्हें ओपन जेलों में ही खाना दिया जाता है और उसके बाद कैदियों को अपने खाने का इंतजाम खुद करना होता है।

भारत में ओपन जेल का इतिहास

भारत में ओपन जेल के इतिहास की बात करें तो पहली ओपन जेल बॉम्बे प्रेसीडेंसी के तहत 1905 में शुरू की गई थी। हालांकि 1910 में यह ओपन जेल बंद कर दी गई थी। इसके अलावा महिलाओं के लिए पहली ओपल जेल 2010 में पुणे के येरवडा में बनी। वहीं दक्षिण भारत में पहली ओपन जेल 2012 में केरल के पूजापुरा में बनाई गई। आज के समय में भारत में 91 ओपन जेल मौजूद हैं। 

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