Saturday, April 27, 2024
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आप सांसद संजय सिंह को निलंबित करने के बाद बोले उपराष्ट्रपति, 'कभी-कभी यह जरूरी हो जाता है'

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कभी-कभी अनुशासन बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाना जरूरी हो जाता है, अन्यथा लोकतंत्र के मंदिरों की प्रतिष्ठा का क्षय होने लगेगा।

Sudhanshu Gaur Edited By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: July 25, 2023 6:31 IST
Jagdeep Dhankhar, Vice President, Rajya Sabha, Sanjay Singh- India TV Hindi
Image Source : FILE उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

नई दिल्ली: सोमवार को संसद की कार्रवाई शुरू हुई। इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ। हंगामे के चलते सदन चल ही नहीं पाई। इस दौरान दोनों पक्षों के सांसदों ने जबरदस्त हंगामा किया। वहीं राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह सदन में सभापति की कुर्सी के पास पहुंच गए। इस आचरण से नाराज होकर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उन्हें पूरे मानसून सत्र के लिए कार्रवाई में भाग लेने से निलंबित कर दिया। इसके बाद विपक्ष के कई सांसदों ने इस फैसले का विरोध किया। वहीं अपने इस फैसले के बाद उपराष्ट्रपति का बड़ा बयान आया है।  

अनुशासन बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाना जरूरी

उपराष्ट्रपति सोमवार को भारतीय वन सेवा के 54वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। यहां उन्होंने कहा कि कभी-कभी अनुशासन बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाना जरूरी हो जाता है। अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो लोकतंत्र के मंदिरों की प्रतिष्ठा का क्षय होने लगेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सभा के सभापति के रूप में उनका प्रयास रहा है कि लोकतंत्र के मंदिरों में अनुशासन रहे। अनुशासन के बिना विकास संभव ही नहीं।

Sanjay Singh, Rajya Sabha

Image Source : PTI
राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान संजय सिंह सभापति की कुर्सी के पास पहुंच गए थे

जब कानून अपना काम कर रहा है तो भ्रष्टाचार में फंसे लोगों पर आंच आ रही

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए हाल के कदमों से बिचौलिए, पावर ब्रोकर समाप्त हो गए हैं। अब जब कानून अपना काम कर रहा है तो भ्रष्टाचार में फंसे लोगों पर आंच आ रही है। कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए सड़क पर प्रदर्शन किया जाना कैसे सही ठहराया जा सकता है। भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को कानून की गिरफ्त से कैसे छूट दी जा सकती है। आर्थिक राष्ट्रवाद की वकालत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि थोड़े से लाभ के लिए उपभोक्ताओं तथा व्यापारियों द्वारा विदेशी सामान को प्राथमिकता देना सही नहीं। हम आर्थिक राष्ट्रवाद को नजरंदाज नहीं कर सकते, देश की आर्थिक प्रगति इसी पर निर्भर करेगी।

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