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Karur Stampede: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंपा मामला, रिटायर जज करेंगे जांच की निगरानी

करूर में हुई भगदड़ की जांच सीबीआई करेगी। यह जांच रिटायर जज की निगरानी में होगी। अभिनेता विजय की पार्टी ने कोर्ट से यही मांग की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।

Edited By: Shakti Singh
Published : Oct 13, 2025 11:53 am IST, Updated : Oct 13, 2025 11:53 am IST
Karur Stampede - India TV Hindi
Image Source : PTI/ANI करूर भगदड़ में कोर्ट का फैसला

अभिनेता और राजनेता विजय की रैली में हुई भगदड़ की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का भी आदेश दिया। 27 सितंबर को टीवीके प्रमुख और अभिनेता विजय की रैली के दौरान भगदड़ मच गई थी, जिसमें 41 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे। न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने इस हादसे की निष्पक्ष जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है।

सीबीआई जांच की निगरानी के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने का भी आदेश दिया गया है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने करूर भगदड़ की जांच के संबंध में विजय की टीवीके (तमिलनाडु वेत्री कझगम), मृतक पीड़ितों के दो परिवारों और अन्य पक्षों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

एसआईटी की जांच पर विजय को संदेह

न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखने से पहले तमिलनाडु सरकार से कहा था कि मृतक पीड़िता के परिवार की ओर से केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग वाली याचिकाओं के जवाब में हलफनामा दाखिल करें। टीवीके ने अपने महासचिव आधव अर्जुन के माध्यम से याचिका दायर कर मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें करूर भगदड़ की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने का आदेश दिया गया था, जबकि जांच के संबंध में राज्य पुलिस की स्वतंत्रता पर संदेह जताया गया था। 

हाईकोर्ट की टिप्पणी का विरोध

याचिका में टीवीके नेतृत्व और पदाधिकारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय द्वारा की गई कुछ प्रतिकूल टिप्पणियों को भी चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने कहा था कि विजय ने जनता को अकेला छोड़ दिया और उन्हें भगदड़ से बचाने में विफल रहे, जिसमें कम से कम 41 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। टीवीके की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम और आर्यमा सुंदरम ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने जिस तरह से एसआईटी का आदेश दिया, वह तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा टीवीके और उसके प्रमुख विजय के खिलाफ लगाए गए अपुष्ट आरोपों पर आधारित था। वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ, टीवीके की ओर से अधिवक्ता दीक्षिता गोहिल, प्रांजल अग्रवाल, रूपाली सैमुअल और यश एस. विजय भी उपस्थित हुए।

हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर को गठित की थी एसआईटी

मद्रास उच्च न्यायालय ने 3 अक्टूबर को पुलिस महानिरीक्षक की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया था ताकि इस दुखद भगदड़ की व्यापक जांच की जा सके। उच्च न्यायालय ने घटना के दौरान मृत अवस्था में छोड़ दिए गए लोगों को बचाने में विफल रहने के लिए टीवीके पार्टी कार्यकर्ताओं की कड़ी आलोचना की, साथ ही राज्य सरकार से कार्यक्रम आयोजकों को उत्तरदायी ठहराने में उसके उदार दृष्टिकोण के लिए भी सवाल किया। (एएनआई)

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