Tuesday, April 30, 2024
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पहली बार संत के भेष में योगी आदित्यनाथ को देखकर चौंक गए थे पिता आनंद सिंह बिष्ट, जानिए क्या कहा था...

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता उत्तराखंड में यमकेश्वर के पंचूर गांव में रहते थे। अपने बेटे योगी आदित्यनाथ को पहली बार संत के भेष में देखकर आनंद सिंह बिष्ट अचंभित हो गए थे।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 20, 2020 13:44 IST
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Image Source : TWITTER पहली बार संत के भेष में योगी आदित्यनाथ को देखकर चौंक गए थे पिता आनंद सिंह बिष्ट

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का 89 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव पंचूर (उत्तराखंड) भेजा जा रहा है। योगी आदित्यनाथ की अपने दिवंगत पिता आनंद सिंह बिष्ट के साथ जुड़ी कई स्मृतियां हैं जो वो जिंदगी भर याद रखेंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट फॉरेस्ट रेंजर के पद से 1991 में रिटायर हुए थे, उसके बाद से वे अपने गांव में रह रहे थे। लिवर और किडनी की समस्या के चलते उन्हें 13 अप्रैल को दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां 20 अप्रैल 2020 को सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर उन्होंने अंतिम सास ली, वे काफी लंबे समय से बीमार थे।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता उत्तराखंड में यमकेश्वर के पंचूर गांव में रहते थे। अपने बेटे योगी आदित्यनाथ को पहली बार संत के भेष में देखकर आनंद सिंह बिष्ट अचंभित हो गए थे। दरअसल, योगी आदित्यनाथ द्वारा विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण को ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ महाराज ने बहुत सराहा और गोरखपुर आने के लिए आमंत्रित किया। थोड़े दिन बाद अपनी मां को गोरखपुर जाने की बात कह कर योगी आदित्यनाथ घर से चल दिए। तब मां ने सोचा कि बेटा शायद नौकरी के लिए जा रहा है, यह कहकर वह 1992 में गोरखपुर आ गए।

योगी आदित्यनाथ को पंचूर से गोरखपुर निकले 6 महीने बीत गए थे, लेकिन उनके बारे में कोई सूचना नहीं थी। वह कौन सी नौकरी कर रहे हैं, किस हाल में हैं, घर पर कोई सूचना क्यों नहीं दे रहा है। यह सोचकर पिता परेशान हो गए। वह बेटे से संपर्क करना चाह रहे थे पर कैसे करें कोई संपर्क सूत्र नहीं मिल रहा था। इसी उधेड़ बुन के बीच में उनकी बड़ी बेटी पुष्पा जो शादी के बाद दिल्ली में बस गई थी, उन्होंने योगी के बारे में पिता को सूचना दी। पुष्पा ने कहा कि आप गोरखनाथ मंदिर जाइए, वहीं सारी सूचना मिल जाएगी। 

दरअसल, किसी ने पुष्पा को बताया था कि दिल्ली से छपने वाले एक हिंदी अखबार में छोटी सी खबर प्रकाशित हुई है कि गोरखपुर के सांसद और गोरक्षपीठाधीश्वर ने दो महीने पहले अपने अपने उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा कर दी है। वह योगी आदित्यनाथ हैं और पौड़ी के रहने वाले हैं। यह जानकर वह गोरखपुर के लिए चल दिए। गोरखपुर आए तो गोरखनाथ मंदिर पहुंचना कठिन नहीं था। वह जैसे ही मंदिर परिसर में पहुंचे देखा कि भगवा धारण किए सिर मुड़ाए एक युवा संन्यासी फर्श की सफाई का मुआयना कर रहा था। जब नजदीक पहुंचे तो हकीकत उनके सामने आ गई। वह था उनका अपना बेटा योगी आदित्यनाथ। अपने पुत्र को संन्यासी के रूप में देखकर वह अवाक रह गए। उन्हें तो इसकी कल्पना नहीं थी। उनके अंदर का पिता जाग उठा। उन्होंने योगी आदित्यनाथ से तुरंत कहा कि यह क्या हाल बना रखा है, यहां से तुरंत चलो।

अपने पिता को अचानक सामने देख वह भी हतप्रभ हो गए। भावनाओं पर काबू करते हुए उन्हें अपने साथ मंदिर स्थित कार्यालय ले गए। उस समय महंत अवेद्यनाथ बाहर थे, फोन पर उनसे संपर्क किया गया। अवेद्यनाथ जी को बताया गया कि योगी जी के पिता आए हैं। पीठाधीश्वर ने उनके पिता से बात की और कहा कि आप के पास चार पुत्र हैं, उनमें से एक को समाज सेवा के लिए नहीं दे सकते हैं। उनके पास कोई जवाब नहीं था। उस समय उनके सामने उनका बेटा नहीं, योगी आदित्यनाथ दिखाई दे रहे थे।

कुछ समय वहां व्यतीत करने के बाद पिता आनंद सिंह बिष्ट पंचूर लौट गए। जब वापस अपने गांव जाकर पत्नी को पूरी कहानी बताई तो मां का हृदय यह मानने को तैयार नहीं हुआ। वह गोरखपुर आने की जिद करने लगीं और एक दिन पति के साथ गोरखपुर आ गईं। 

 
(साभार- ऊपर दी गई सभी जानकारी योगी आदित्यनाथ की जीवन यात्रा पर लिखी किताब 'योद्धा योगी' से लिया गया है, यह पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण कुमार द्वारा अंग्रेजी में योगी पर लिखी गई पुस्तक ‘द सैफरन सोशलिस्ट’ का हिंदी अनुवाद है, पुस्तक का हिंदी अनुवाद पत्रकार प्रेम शंकर मिश्रा ने किया है।)

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