Thursday, May 16, 2024
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अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की आधारशिला रखेंगे पीएम मोदी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में कहा था कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना इस क्षेत्र में एक विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने की पुरानी मांग को पूरा करने के लिए की जा रही है और अलीगढ़ मंडल के सभी कॉलेज इस विश्वविद्यालय से संबद्ध होंगे।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 14, 2021 16:14 IST
PM Narendra Modi to lay foundation stone of Raja mahendra pratap university in aligarh  अलीगढ़ में र- India TV Hindi
Image Source : PTI अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की आधारशिला रखेंगे प्रधानमंत्री

अलीगढ़/नोएडा. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) का नाम बदलकर राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर रखने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पुरानी मांग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर AMU के बगल में बनने वाले एक नए विश्वविद्यालय की आधारशिला रखेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, पीएम मोदी आज अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर स्थापित होने वाले विश्वविद्यालय की नींव रखेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अलीगढ़ जाकर जिले के लोढ़ा इलाके में आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लिया। उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना करके प्रदेश सरकार उस महान हस्ती को श्रद्धांजलि दे रही है जिसने भारत की आजादी की लड़ाई लड़ते हुए अपने जीवन के तीन दशक निर्वासित होकर व्यतीत किए।

दिनेश शर्मा ने बताया कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह वर्ष 1915 में काबुल में स्थापित भारत की पहली प्रोविजनल सरकार के राष्ट्रपति भी थे। उस सरकार का गठन विभिन्न अफगान कबीलों के प्रमुखों तथा जापान समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मदद से किया गया था। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद भारत लौटने पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। लोढ़ा में राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना का इस क्षेत्र के लोग व्यापक रूप से स्वागत कर रहे हैं, क्योंकि इससे अलीगढ़ तथा आसपास के जिलों में उच्च शिक्षा को काफी बढ़ावा मिलेगा।

डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले चार वर्षों क दौरान प्रदेश में 11 नए राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना की है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दौरे से पहले शर्मा गौतम बौद्ध नगर के जेवर विधानसभा क्षेत्र में विधायक धीरेंद्र सिंह के साथ थे, जहां उन्होंने बूथ स्तर पर भाजपा पदाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा, "पूर्ववर्ती सरकारों के शासनकाल में उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई थी। हमारी शिक्षा प्रणाली को सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता था और इसे 'सी' ग्रेड में रखा जाता था। लेकिन पिछले साढ़े चार साल के अथक प्रयासों के बाद प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था देश के लिए मिसाल बन गई है।"

वर्ष 2014 में भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाम बदलकर राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर रखने की मांग की थी। उनकी दलील थी कि राजा ने एएमयू की स्थापना के लिए जमीन दान की थी। यह मामला तब उठा था जब एएमयू के अधीन सिटी स्कूल की 1.2 हेक्टेयर जमीन की पट्टा अवधि समाप्त हो रही थी और राजा महेंद्र प्रताप सिंह के कानूनी वारिस इस पट्टे की अवधि का नवीनीकरण नहीं करना चाहते थे।

AMU के एक प्रवक्ता ने 'भाषा' को बताया, हालांकि पिछले साल यह मुद्दा काफी हद तक सुलझ गया था, जब एएमयू के अधिकारियों ने सिटी स्कूल का नाम बदल कर राजा महेंद्र के नाम पर करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इस मामले में कुछ तकनीकी रुकावटों को दूर करने का काम अभी जारी है। मंगलवार को राजा महेंद्र प्रताप विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलीगढ़ में उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर तथा राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के मॉडल का भी अवलोकन करेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में कहा था कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना इस क्षेत्र में एक विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने की पुरानी मांग को पूरा करने के लिए की जा रही है और अलीगढ़ मंडल के सभी कॉलेज इस विश्वविद्यालय से संबद्ध होंगे। यह विश्वविद्यालय अलीगढ़ की कोल तहसील के लोढ़ा तथा मूसेपुर करीम जरौली गांव की 92 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में बनाया जाएगा।

अलीगढ़ मंडल के 395 महाविद्यालयों को इससे संबंद्ध किया जाएगा। राजा महेंद्र प्रताप सिंह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र थे और वह एक दिसंबर 1915 को काबुल में स्थापित भारत की पहली प्रोविजनल सरकार के राष्ट्रपति भी थे। मुरसान राज परिवार से संबंध रखने वाले राजा ने दिसंबर 1914 में सपरिवार अलीगढ़ छोड़ दिया था और करीब 33 वर्षों तक जर्मनी में निर्वासन में रहे।

वह आजादी के बाद 1947 में भारत लौटे और 1957 में मथुरा लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जनसंघ के प्रत्याशी अटल बिहारी बाजपेयी को हराकर सांसद बने। प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर शान मोहम्मद ने बताया कि जाट बिरादरी के राजा महेंद्र प्रताप सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख हस्तियों में से थे और एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक भारत के प्रति उनकी संकल्पबद्धता ने उनका कद काफी बढ़ा दिया था। धर्मनिरपेक्षता के प्रति उनके संकल्प की तुलना महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू से की जाती है।

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