Friday, March 29, 2024
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Uttar Pradesh Panchayat Chunav 2021: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी पंचायत चुनावों में आरक्षण प्रकिया पर लगाई रोक

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था को अंतिम रूप देने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 12, 2021 23:55 IST
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Image Source : INDIA TV CREATIVE उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था को अंतिम रूप देने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था को अंतिम रूप देने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी। अदालत ने मामले में राज्य सरकार व चुनाव आयोग से जवाब-तलब किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को निर्धारित की है। यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस मनीष माथुर की पीठ ने अजय कुमार की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में 11 फरवरी 2021 को जारी एक शासनादेश को चुनौती दी गई है, जिसके जरिए वर्तमान में पंचायत चुनावों में आरक्षण प्रकिया पूरी की जा रही है।

‘रोटेशन के लिए 1995 को माना जा रहा आधार वर्ष’

याचिकाकर्ता के वकील मोहम्मद अल्ताफ मंसूर ने कहा कि जिला एवं क्षेत्र पंचायत चुनावों में आरक्षण की रोटेशन व्यवस्था के लिए 1995 को आधार वर्ष माना जा रहा है और उसी आधार पर आरक्षण को रोटेट किया जा रहा है। हालांकि राज्य सरकार ने 16 सितंबर 2015 को एक शासनादेश जारी करके आधार वर्ष 2015 कर दिया था और उसी आधार पर पिछले चुनावों में आरक्षण भी किया गया था। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार को इस वर्ष भी 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण को रोटेट करने की प्रकिया करना था लेकिन सरकार मनमाने तरीके से 1995 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण प्रकिया पूरी कर रही है, और 17 मार्च 2021 को आरक्षण सूची घोषित करने जा रही है।

‘रोटेशन के लिए 2015 को माना जाए आधार वर्ष’
याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितंबर 2016 का शासनादेश अभी भी प्रभावी है, ऐसे में वर्तमान चुनावों के लिए आरक्षण के रोटेशन के लिए 2015 को ही आधार वर्ष माना जाना चाहिए। याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों को मानते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग के वकीलों को जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे के संबंध में 24 घंटे के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया। याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की प्रकिया को अंतिम रूप देने पर रोक लगा दी और सरकार व चुनाव आयोग से जवाब-तलब किया।

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