Sunday, April 28, 2024
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जम्मू कश्मीर: घाटी में 70 साल बाद पड़ी ऐसी रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, सूख रही झेलम नदी

घाटी में झेलम नदी का करीब 50% हिस्सा सिकुड़ गया है। आलम ऐसा है कि झेलम नदी जो पूरी दुनिया भर में अपने तेज बहाव के लिए मशहूर है, आज उस दरिया का बुरा हाल है। बता दें कि जानकारों का मानना है कि 70 सालों में पहली बार ऐसी गर्मी पड़ रही है।

Reported By : Manzoor Mir Edited By : Shailendra Tiwari Updated on: September 21, 2023 18:15 IST
Jhelum- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV सूख रही झेलम नदी

कश्मीर घाटी जो दुनिया भर में अपनी ख़ूबसूरती और मौसम के लिए जानी जाती है। वो इस साल रिकॉर्ड तोड़ गर्मी से झुलस रही है। कश्मीर में पिछले 2 महीने अगस्त और सितम्बर में जीरो प्रतिशत बारिश रिकॉर्ड दर्ज की गई है। जिस कारण यहां के नदियों के पानी में भी बेहद गिरावट देखने को मिल रही है, खासकर झेलम नदी के पानी में। झेलम नदी के पानी का लेवल 2.15 फिट रिकॉर्ड हुई है। आलम यह है कि जो हाउस बोट पानी में यहां कि ख़ूबसूरती को बयां करती थी वो हाउसबोट आज पानी न होने के कारण वीरानी की एक तस्वीर बयान कर रहे हैं।

पहली बार पड़ रही ऐसी गर्मी

बता दें नदीं में हाउसबोट ज़मीन पर दिखाई दे रहे हैं। कश्मीर घाटी में इस बार रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है, जिसकी वजह से झेलम नदी सूख रही है। साल 2014 में कश्मीर में आए ज़बरदस्त बाढ़ की शुरुआत इसी झेलम नदी के तेज पानी के बहाव से शुरू हुई थी, जिस कारण यहां के हजारों लोग बेघर हो गए थे, कई लोगों की तो जान भी चली गई थी। अधिकारियों का मानना है कि 70 सालों के बाद 2.15 फ़ीट की निचली सतह पर पहुंच चुका है। बता दें कि झेलम नदी का जलस्तर बेहद कम हो गया है। मौसम विभाग की मानें तो अगले 10 दिनों तक कश्मीर में बारिश की संभावना बेहद कम है। वहीं, पानी कम होने के कारण किसान बेहद परेशान दिख रहे हैं। झेलम नदी के हाउस बोट किनारों पर रस्सियों और लकड़ी के खंबो के सहारे खड़े हैं।

बारिश होने की संभावना बेहद कम

इंडिया टीवी से बातचीत करते हुए मौसम विभाग के डायरेक्टर सोनम लोटस ने कहा कश्मीर में इस साल अगस्त और सितंबर में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी देखने को मिली है। जिसके कारण यहां कि नदियां और वाटर बॉडीज के पानी के लेवल काफी हद तक कम हुई है। वहीं, मौसम विभाग का यह भी कहना है कि कश्मीर में फ़िलहाल अच्छी बारिश होने की संभावना बेहद कम दिख रही है, जिस कारण पानी के लेवल वाटर बॉडीज में और कम हो सकते हैं। जो कि किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। मौसम विभाग का मानना है कि यह सब ग्लोबल वार्मिंग का असर है जो साफ़ तौर पर कश्मीर में भी दिख रहा है, जो बेहद चिंतनीय है।

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