Wednesday, December 24, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. मध्य-प्रदेश
  3. विक्रम सम्वत् | प्रकृति के संरक्षण, संवर्धन और विकास का उत्सव: डॉ. मोहन यादव

विक्रम सम्वत् | प्रकृति के संरक्षण, संवर्धन और विकास का उत्सव: डॉ. मोहन यादव

नव सम्वत्सर की तिथि सृष्टि निर्माण की तिथि है। इसका निर्धारण संपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ हुआ है। इसे मनाने की परंपरा व्यक्ति, परिवार और समाज, तीनों के स्वस्थ जीवन और समृद्धि को ध्यान में रखकर शुरू की गई।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Mar 29, 2025 11:18 pm IST, Updated : Mar 29, 2025 11:18 pm IST
Mohan yadav, cm- India TV Hindi
Image Source : FILE डॉ. मोहन यादव, सीएम, मध्य प्रदेश

भारतीय नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

आज से विक्रम सम्वत् 2082 आरंभ हुआ है। यह प्रदेशवासियों के लिये गर्व और गौरव का विषय है कि भारतीय नववर्ष विक्रम सम्वत् के उज्जयिनी से शुरू हुआ। यह सम्राट विक्रमादित्य के राज्याभिषेक की तिथि है। सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांताओं को पराजित कर विक्रम सम्वत् का प्रवर्तन किया था। न्यायप्रियता, ज्ञानशीलता, धैर्य, पराक्रम, पुरुषार्थ, वीरता और गंभीरता जैसी विशेषताओं के लिए सम्राट विक्रमादित्य को समूचे विश्व में स्मरण किया जाता है। उन्होंने सुशासन के सभी सूत्रों को स्थापित करते हुए अपने सुयोग्य 32 मंत्रियों का चयन किया, इसीलिए उनके सिंहासन को ‘सिंहासन बत्तीसी’ कहा जाता है।

भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन ऋतु परिवर्तन के अनुरूप स्वयं को सक्षम बनाने का समय है। इसे कहीं 'गुड़ी पड़वा' तो कहीं 'चैती चांद', कहीं 'युगादि' तो कहीं 'उगादि' और कहीं 'नवरोज अगदु' के रूप में मनाया जाता है। विविध स्वरूपों में मनाया जाने वाला नववर्ष का यह पर्व ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को स्थापित करता है। इसके साथ नवरात्र का आरंभ होता है। यह नौ दिन आरोग्य, साधना और कायाकल्प के लिए होते हैं। 

नव सम्वत्सर की तिथि सृष्टि निर्माण की तिथि है। इसका निर्धारण संपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ हुआ है। इसे मनाने की परंपरा व्यक्ति, परिवार और समाज, तीनों के स्वस्थ जीवन और समृद्धि को ध्यान में रखकर शुरू की गई। यह हमारे पूर्वजों के शोध की विशेषता है कि हजारों वर्ष पहले पूर्वजों को ग्रहों की गति और नक्षत्रों की स्थिति का पूर्ण ज्ञान था और इस गणना को ही वैदिक घड़ी कहा गया है। बाबा महाकाल की नगरी विश्व में कालगणना का केंद्र रही है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उज्जैन की वेधशाला में स्थित विश्व की पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी की पुनर्स्थापना की है।

मुझे यह बताते हुए खुशी है कि भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न पहलुओं के प्रकटीकरण के लिए हम विक्रमोत्सव का आयोजन कर रहे हैं। विक्रमोत्सव हमारी गौरवशाली विरासत और वर्तमान के विकास का उत्सव है। यह उत्सव 26 फरवरी से प्रारंभ होकर 30 जून तक चलेगा। इस 125 दिन तक चलने वाले उत्सव में विविध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कार्यक्रमों के साथ सम्राट विक्रमादित्य के समूचे व्यक्तित्व, कृतित्व और विशेषताओं को परिचित कराने का प्रयास किया जा रहा है। आगामी 12-13 और 14 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य पर केन्द्रित एक भव्य आयोजन होने जा रहा है। श्रीकृष्ण की दीक्षा नगरी उज्जयिनी का संबंध भारत की हर विशेषता से है। उज्जैन धरती के केन्द्र में स्थित है। यहां भगवान श्रीकृष्ण ने सांदीपनि आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी। मध्यप्रदेश सरकार ने संकल्प लिया है कि सांदीपनि आश्रम से श्रीकृष्ण पाथेय के निर्माण का आरंभ होगा। 

मध्यप्रदेश का 2025-26 का बजट प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत 2047 के संकल्प को केन्द्र में रखकर प्रस्तुत किया गया है। इसमें विकसित मध्यप्रदेश के निर्माण की अवधारणा अनुसार बजट को बहुआयामी स्वरूप दिया गया है। इस बजट में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के साथ विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का भी प्रावधान है। वर्ष भर के संकल्पों की पूर्ति के लिए हमने बजट में 15 प्रतिशत की वृद्धि की है। हमारा यह बजट मध्यप्रदेश की समृद्धि और आत्मनिर्भरता के लिए बनाये रोडमैप के संकल्प की  पूर्ति के लिए है। इसमें आर्थिक सुधार, सामाजिक न्याय, सतत् विकास के साथ प्रधानमंत्री जी का मंत्र, ज्ञान, (GYAN) पर ध्यान शामिल है। ज्ञान के चारों स्तंभों को सशक्त करने के लिए बजट में विशेष प्रावधान हैं। इसमें गरीब कल्याण (G) में अंत्योदय की अवधारणा को साकार किया जायेगा। युवा शक्ति (Y) में कौशल विकास, प्रशिक्षण तथा रोज़गार के अवसर प्रदान किये जायेंगे। अन्नदाता (A) में किसानों की आय में वृद्धि करने के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जायेगा। नारी शाक्ति (N) में महिलाओं को समग्र रूप से सशक्त बनाने के लिए आयोजना बनाई गई है।

हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमें विरासत से विकास का सूत्र दिया है। उनके नेतृत्व में समाज, प्रदेश और देश को सशक्त बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार अपनी तरह से कार्य कर रही है। मुझे बताते हुए खुशी है कि प्रधानमंत्री जी के ‘विरासत के साथ विकास’ मंत्र को प्रदेश में धरातल पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पुरातात्विक स्थलों के विकास के लिए बजट में अलग से प्रावधान किया है। ऐतिहासिक विरासत को सहेजने के इस अभियान में ओंकारेश्वर, उज्जैन, मैहर आदि धार्मिक स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा। वर्ष 2028 में होने वाले सिंहस्थ पर्व के आयोजन की भव्यता और दिव्यता के लिए दो हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। श्रीराम वन गमन पथ और श्रीकृष्ण पाथेय के लिए अलग से बजट है। हम इन स्थानों पर अधोसंरचना विकास के साथ पर्यटन को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी कार्य करेंगे। इससे स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलेगा और मध्यप्रदेश की विरासत संसार के सामने आएगी। 

प्रधानमंत्री जी के लोकल फॉर वोकल के संकल्प को आकार देने के लिए रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और ग्लोबल इंडस्ट्री समिट में प्राप्त प्रस्तावों को धरातल पर उतारा जायेगा। इससे मध्यप्रदेश के हर क्षेत्र की विशेषता, क्षमता और दक्षता विश्व स्तर तक पहुंचेगी। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को पूर्ण करने के लिए हम प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2047 तक 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। 

गुड़ी पड़वा के अवसर पर हमारी परंपरा में सूर्योदय के पहले बहते हुए स्वच्छ जल में स्नान करने का विधान है। ऊषाकाल में सूर्य को प्रणाम किया जाता है। यह जलस्रोत के प्रवाह स्थल को सुरक्षित रखने का संकल्प है। प्रकृति के इस संदेश को स्वरूप प्रदान करते हुए हम प्राकृतिक स्रोतों की सुरक्षा के लिए आज से जल गंगा अभियान शुरू कर रहे हैं। इसकी शुरुआत उज्जैन के क्षिप्रा तट से होने जा रही है। इसमें जल संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए वर्षा जल संचयन, जलस्रोतों का पुनर्जीवन और जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने पर विशेष जोर दिया गया है।  इसके अंतर्गत 1 लाख जलदूत तैयार किये जायेंगे। लघु एवं सीमांत किसानों के लिए 50 हजार नए खेत-तालाब बनाए जाएंगे। प्रदेश की 50 से अधिक नदियों के वॉटरशेड क्षेत्र में जल संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य होंगे। 

ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व के तालाबों, जलस्रोतों एवं देवालयों में कार्य किए जाएंगे। यह अभियान आज से प्रारंभ होकर 30 जून तक चलेगा। मुझे विश्वास है कि यह अभियान प्रदेश में जल संकट को खत्म करने और भावी पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में मील का पत्थर सिद्ध होगा। 

भारतीय नववर्ष प्रकृति के संरक्षण, संवर्धन और निर्माण की प्रेरणा देता है। इसमें सृष्टि, संस्कृति और समाज का संगम है। ऋतुकाल संधि के इन दिनों में नवचेतना, नवजागृति का संदेश है। मैं प्रदेश की साड़े आठ करोड़ जनता के साथ प्रकृति के नवसृजन और विकसित मध्यप्रदेश निर्माण का संकल्प लेता हूं। मुझे उम्मीद है कि इस वर्ष आरंभ होने वाले विशेष प्रयास आप सभी के जीवन में समृद्धि, खुशहाली और आनंद लेकर आएंगे। 

यह वर्ष आप सभी के लिए मंगलमय हो, शुभ हो। एक बार पुनः भारतीय नववर्ष की शुभकामनाएं।

(इस ब्लॉग के लेखक डॉ. मोहन यादव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं )

Google पर इंडिया टीवी को अपना पसंदीदा न्यूज सोर्स बनाने के लिए यहां
क्लिक करें

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें मध्य-प्रदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement