Sunday, April 28, 2024
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बाजार से गायब हुए तो खोल दी 2 हजार के नोट की फैक्ट्री, गैंगे का हुआ भंडाफोड़, 8 करोड़ जब्त

आरोपियों ने बताया कि पिछले काफी वक्त से बाजार में दो हजार के नोट गायब हैं। बाजार में आसानी से बड़ा नोट नहीं मिलता है, इसलिए दो हजार के नोट प्रिंट करने का उन्होंने फैसला किया, क्योंकि लागत वही है और मुनाफा ज्यादा था।

Rajiv Singh Reported By: Rajiv Singh
Updated on: November 13, 2022 11:41 IST
नोट की फैक्ट्री चलाने वाली गैंग का पर्दाफाश- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE नोट की फैक्ट्री चलाने वाली गैंग का पर्दाफाश

महाराष्ट्र: दो हजार के नकली नोट छापने वाले रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। इस रैकेट को लेकर शुरू में पुलिस को भी भनक नहीं थी। उन्हें तो बस एक जानकारी मिली थी कि पालघर से इनोवा कार में दो लोग कुछ नकली नोट के साथ ठाणे आ रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने खबर की निशानदेही पर आरोपियों की इनोवा को रोका और तलाशी ली, तो उनकी खुद की आंखें चौंधिया गईं। 

इनोवा में 2 हजार के कुल 400 नोटों के बंडल मिले, जिसकी बाजार में वैल्यू 8 करोड़ रुपये थी। इन गुलाबी नोट को देखकर किसी की भी आंखें एक बार धोखा जाए कि ये असली नोट हैं या नकली, लेकिन पुलिस ने करेंसी प्रिंटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले पेपर क्वालिटी और रेडियम सहित नोट के इंटर्नल प्रिंट के आधार पर नोट की पहचान कर ली और आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया। 

'रकम की प्रिंटिंग कर किसे डिलीवर करने जा रहे थे?'

हालांकि, सवाल ये था कि इतने बड़े पैमाने पर नकली नोट और सबके सब सिर्फ दो हजार के, ये पुलिस के लिए भी परेशान करने वाला था, क्योंकि छोटा नोट बाजार में आसानी से चल जाता है, लेकिन बड़े नोट के लिए मुश्किल आती है, लेकिन आरोपियों ने बताया कि पिछले काफी वक्त से बाजार में दो हजार के नोट गायब हैं, इसकी किल्लत है, आसानी से बड़ा नोट नहीं मिलता है, इसलिए दो हजार के नोट प्रिंट करने का उन्होंने फैसला किया, क्योंकि लागत वही है और मुनाफा ज्यादा था। वहीं, जो लोग ज्यादा नकदी रखते हैं उन्हें 2 हजार का नोट रखने में सहूलियत होती है, इसलिए इसमें 4 गुना मुनाफा था। खुद पुलिस भी इस बात से हैरान है, लेकिन सवाल यही है कि आखिर एक साथ इतनी रकम की प्रिंटिंग कर आरोपी उसे किसे डिलीवर करने जा रहे थे।

पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों की पहचान 52 साल के राम शर्मा और 55 साल के राजेंद्र राउत के रूप में हुई है। दोनों पालघर के रहने वाले हैं। शर्मा की शेलो टेप बनाने की फैक्ट्री थी। कोरोना काल में फैक्ट्री तबाह हो गई। आर्थिक तंगी से उबरने के लिए उसने नकली नोट के कारोबार को चुना। इस्तेमाल वाला सारा सामान इकट्ठा किया, लेकिन खुद के लिए इतनी नोट वो नहीं छाप सकता था। ऐसे में इन दोनों के अलावा और कितने लोग हैं, किसने छपवाए, उसकी जांच की जा रही है।

आरोपी ने 2,000 के नकली भारतीय नोट खुद ही छापे थे

पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि आरोपी ने 2,000 रुपये के नकली भारतीय नोट खुद ही छापे थे। जिस फैक्ट्री में छपी वो फैक्ट्री भी उनकी है, जो पालघर के इंडस्ट्रियल एरिया में है, किसी को इस पर शक भी नहीं हुआ। आरोपियों के पास से 400 बंडल जब्त किए थे, जिसकी बाजार में वैल्यू 8 करोड़ थी। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 489 (ए), 489 (बी), 489 (सी) और 34 के तहत  पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। आरोपियों की इनोवा कार और फैक्ट्री के अंदर की सारी सामग्री भी जब्त कर ली गई है।

बाजार में 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन कम हो गया है

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से मार्केट में 2,000 रुपये के नोट बेहद ही कम नजर आ रहे हैं। नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के नए गुलाबी नोट जारी किए थे। हालांकि, पिछले कुछ समय से ये नोट लोगों के हाथों में बेहद कम दिख रहे हैं। रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में इसे लेकर एक बड़ी जानकारी दी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20, वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 में 2000 रुपये के एक भी नोट नहीं छापे गए हैं। इस वजह से बाजार में 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन कम हो गया है। 2000 रुपये का नोट उन नोट की वैल्यू की भरपाई आसानी से कर देगा, जिन्हें चलन से बाहर कर दिया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2000 रुपये के नोट को जारी करने से बाकी नोटों की जरुरत कम पड़ी है। 31 मार्च 2017 को सर्कुलेशन वाले नोट की कुल वैल्यू में 2000 रुपये के नोट की हिस्सेदारी 50.2 फीसदी थी। वहीं, 31 मार्च 2022 को सर्कुलेशन वाले कुल नोट की वैल्यू में 2000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी 13.8 फीसदी थी, इसलिए बाजार में 2 हजार के नोट कम सर्कुलेशन में है।

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