Saturday, April 27, 2024
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1 महीने पहले 200 रुपये किलो बिका टमाटर, अब 5 रुपये में कोई नहीं पूछ रहा; क्या है इसके पीछे वजह

कई किसान अपनी फसल खेतों में ही नष्ट करने लगे हैं। टमाटर की तुड़ाई और उसे मंडी पहुंचाने तक 8500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। मंडी में भाव कम होने से उन्हें ज्यादा नुकसान हो सकता है।

Khushbu Rawal Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: September 27, 2023 12:19 IST
tomato- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO टमाटर के भाव गिरने से किसान परेशान

कोल्हापुर: वैसे देखा जाए तो महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में टमाटर की फसल ज्यादा की जाती है, साथ ही आसपास के जिलों में भी टमाटर की खेती करने में किसान दिलचस्पी लेते हैं। विगत महीने में टमाटर के भाव आसमान छू रहे थे और अब मिट्टी के भाव से बिक रहे हैं। 200 रुपयों के भाव से बिकने वाले टमाटरों को 2 से 5 रुपयों में दलाल खरीद रहे हैं। इस बात को लेकर किसान बहुत ज्यादा परेशान हैं। कई ग्रामीण इलाकों में टमाटर की खेती करने वाले किसान गिरते दामों को देख अपने टमाटरों को खेतों में ही फेंक रहे हैं। कुछ किसान अपना गुस्सा दिखाने के लिए भरे बाजारों में टमाटरों को बिना बेचे सड़ने के लिए फेंक रहे हैं।

जानें टमाटर की कीमतें घटने का कारण

टमाटरों की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान टमाटरों के उत्पाद की ओर बढ़े थे लेकिन आसमान छूने वाले दामों के समय भारी मुनाफा कमाने वाले टमाटर किसानों की हालत अब खस्ता है। टमाटर मंहगा होने पर कई किसानों के करोड़ों कमाने की खबरें आईं। कई किसानों ने टमाटर उगाने शुरू कर दिए और ज्यादा आवक के चलते अब टमाटर की कीमतें धड़ाम हो गई हैं। कई किसानों ने अपनी टमाटर की फसल बेची। उन्हें उनकी उपज का इतना कम रेट मिला कि वे अपने निवेश का आधा भी वसूल नहीं कर पाए।

1-2 रुपये किलो के भाव खरीद रहे हैं दलाल
कोल्हापुर जिले के दानोंली,शिरोल, जयसिंहपुर के साथ साथ सोलापुर जिले और सांगली जिले से कोल्हापुर सब्जी मंडी में किसान टमाटर बेचने के लिए आते हैं। कोल्हापुर के खेती उत्पन्न बाजार समिति में किसानों को खुदरा बाजार में अच्छी क्वालिटी के टमाटरों का दाम 5 रुपये और दो नंबर के क्वालिटी के लिए केवल 1 या 2 रुपये में दलाल खरीद रहे हैं।

खेतों में ही टमाटर नष्ट करने लगे किसान
सोलापुर जिले में कई गांवों के किसान अपनी फसल खेतों में ही नष्ट करने लगे हैं। टमाटर की तुड़ाई और उसे मंडी पहुंचाने तक 8500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। मंडी में भाव कम होने से उन्हें ज्यादा नुकसान हो सकता है। सोलापुर में कई किसान खेतों में ही उपज को सड़ने दे रहे हैं और कुछ किसान तो ट्रैक्टर चलाकर फसल को नष्ट कर रहे हैं।

(रिपोर्ट- समीर मुजावर)

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