
घरेलू शेयर बाजार में सोमवार को भारी-उतार चढ़ाव के बाद आखिरकार लाल निशान में बंद हुआ। बीएसई सेंसेक्स बड़ी रिकवरी के बाद भी कारोबार के आखिर में अपने शुरुआती नुकसान की भरपाई करने के बाद भी 77 अंक या 0.09% की मामूली गिरावट के साथ 81,373 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह, एनएसई का निफ्टी भी 34.1 अंक लुढ़ककर 24,716.60 के लेवल पर बंद हुआ। कमजोर एशियाई संकेतों और ग्लोबल टैरिफ को लेकर चिंताओं के चलते शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 762.24 अंक गिरकर 80,688.77 पर आ गया था। इसी तरह, निफ्टी भी 212.25 अंक गिरकर 24,538.45 पर आ गया था। कारोबार में निफ्टी पर अडानी पोर्ट्स, एमएंडएम, इटरनल, टाटा कंज्यूमर, पावर ग्रिड कॉर्प प्रमुख लाभ में रहे, जबकि हीरो मोटोकॉर्प, टेक महिंद्रा, जेएसडब्ल्यू स्टील, एचडीएफसी लाइफ, टाटा स्टील में गिरावट दर्ज की गई।
आईटी और मेटल इंडेक्स में गिरावट
खबर के मुताबिक, सेक्टरों में पीएसयू बैंक और रियल्टी में 2-2 प्रतिशत की तेजी आई। इसके विपरीत कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, आईटी और मेटल इंडेक्स में 0.5-0.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 0.6 प्रतिशत और स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.4 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई।
बाजार गिरने की क्या रही वजह
जानकारों के मुताबिक, सोमवार को शेयर बाजार में गिरावट के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को 4 जून से आयातित इस्पात और एल्युमीनियम पर टैरिफ को दोगुना कर 50 प्रतिशत करने की धमकी दी। ताजा टैरिफ झटके ने वैश्विक स्तर पर बाजारों को हिलाकर रख दिया। बाजार विशेषज्ञों ने बताया कि निवेशक चुनिंदा दिग्गज शेयरों में मुनाफावसूली कर रहे हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयरों की खरीद कम कर दी है, जिससे बाजार पर दबाव पड़ रहा है। इसके साथ ही घरेलू बाजार में नए सकारात्मक संकेतों का अभाव है, जिनके चलते प्रमुख सूचकांक ऊपर नहीं जा पा रहे हैं।
एशियाई बाजारों में कैसा रहा आज का रुख
पीटीआई की खबर के मुताबिक, एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई और हांगकांग का हैंग सेंग नीचे बंद हुआ, जबकि दक्षिण कोरिया का कोस्पी सकारात्मक क्षेत्र में बंद हुआ। चीन में बाजार छुट्टी के चलते बंद रहे। यूरोपीय बाजारों में मध्य सत्र के सौदों में गिरावट देखी गई। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार मिले-जुले रुख के साथ बंद हुए।
रुपया हुआ 16 पैसे मजबूत
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा रुपया सोमवार को 16 पैसे बढ़कर 85.39 (अनंतिम) पर बंद हुआ। कमजोर अमेरिकी मुद्रा और रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीदों से इसमें मदद मिली। विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि अस्थिर शेयर बाजारों, विदेशी फंडों की निकासी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण स्थानीय इकाई में तेज बढ़त नहीं हो सकी।