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इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ यह राइडर लें, बीमा प्रीमियम चुकाने से मिल जाएगी छूट

डिसएबिलिटी की वजह से या आमदनी का स्रोत बंद हो जाने की वजह से अगर आप प्रीमियम अदा नहीं कर पाते, तो आपको इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होती।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: March 09, 2023 12:27 IST
इंश्योरेंस पॉलिसी- India TV Paisa
Photo:FILE इंश्योरेंस पॉलिसी

इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने पर आपको बीमा कंपनियां रिस्क कवर देती है। लेकिन बीमा कंपनियां इनके साथ राइडर्स की भी पेशकश करती हैं, जो पॉलिसी होल्डर्स को अतिरिक्त फायदे उपलब्ध कराती हैं। बीमा कंपनियां अपने कस्टमर्स को तरह-तरह के राइडर्स उपलब्ध कराती हैं। अपनी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ टर्म राइडर ले कर आप अपने लाइफ कवर की राशि बढ़ा सकते हैं। जो व्यक्ति अपनी पॉलिसी के साथ एक्सिडेंटल डेथ राइडर लेता है, उसकी एक्सिडेंट से मौत होने की स्थिति में उसके नॉमिनी को बीमा राशि के अलावा अतिरिक्त बीमा राशि मिलती है। परमानेंट एंड पार्शियल डिसएबिलिटी राइडर एक्सिडेंट के बाद इलाज में होने वाले खर्च को तो वहन करता ही है, साथ ही व्यक्ति को हुई अक्षमता की वजह से उसकी आमदनी में कमी की भरपाई भी करता है।

वेवर ऑफ प्रीमियम राइडर 

डिसएबिलिटी की वजह से या आमदनी का स्रोत बंद हो जाने की वजह से अगर आप प्रीमियम अदा नहीं कर पाते, तो आपको इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होती। अगर आपने वेवर ऑफ प्रीमियम राइडर ले रखा तो बीमा कंपनी को प्रीमियम नहीं देना होगा। प्रीमियम चुकाने से छूट मिल जाएगी। यह राइडर चाइल्ड प्लान्स के साथ खास तौर पर फायदेमंद होता है। बीमित व्यक्ति की मौत हो जाने की स्थिति में बीमा अवधि के बाकी समय के लिए प्रीमियम माफ हो जाता है, बल्कि कंपनी भविष्य के प्रीमियम भी अदा करती है ताकि पॉलिसी अवधि पूरी होने पर बच्चे को मिलने वाले लाभों पर कोई असर न पड़े। उदाहरण के लिए अगर पॉलिसी होल्डर की मौत हो जाती है, तो पॉलिसी की बाकी अवधि का प्रीमियम कंपनी की ओर से अदा किया जाता है, ताकि जब पॉलिसी की अवधि पूरी हो, तो बच्चे को अपने भविष्य के लिए पूरा मैच्योरिटी बेनेफिट मिल सके।

क्रिटिकल इलनेस राइडर 

अपनी पॉलिसी के साथ क्रिटिकल इलनेस राइडर लेने के बाद अगर आप क्रिटिकल इलनेस का शिकार होते हैं, तो आपको एक तय राशि मिलती है। आम तौर पर सभी गंभीर बीमारियां क्रिटिकल इलनेस कवर के तहत आती हैं, मसलन हार्ट अटैक, कैंसर, स्ट्रोक, कोरोनरी आर्टरी बाई-पास सर्जरी (सीएबीजी), किडनी फेल्योर और पैरालिसिस आदि। क्रिटिकल इलनेस की पहचान हो जाने के बाद पॉलिसी दस्तावेज के अनुरूप वह पॉलिसी या तो खत्म हो जाएगी या जारी रह सकती है। कई बार पॉलिसी कवरेज में से वह राशि घटा दी जाती है, जितनी अदायगी पॉलिसी धारक को हो जाती है। ध्यान रहे कि यह एक सर्वाइवल बेनेफिट राइडर है, डेथ बेनेफिट राइडर नहीं। इसके तहत बीमित व्यक्ति को क्रिटिकल इलनेस से रिकवर करने में आने वाले मेडिकल एक्सपेंसेज के लिए पैसे दिए जाते हैं। चूंकि क्रिटिकल इलनेस का उपचार महंगा हो सकता है, ऐसे में यह राइडर लेना काफी उपयोगी साबित हो सकता है।

एक्सटेंडेड रिस्क कवर राइडर 

इस राइडर को खरीद कर आप अपनी पॉलिसी के मैच्योरिटी के बाद भी बीमा कवर जारी रख सकते हैं। अपनी इसी खूबी के कारण यह राइडर किसी पॉलिसी होल्डर और उसके परिवार के लिए काफी उपयोगी साबित होता है। 

राइडर चुनने से पहले रखें ध्यान 

हालांकि बीमा कंपनियां तरह-तरह के राइडर पेश करती हैं, लेकिन यह आपको तय करना है कि आपको कौन सा राइडर लेना है। राइडर्स की एक लागत होती है, ऐसे में केवल उन्हें इसलिए नहीं ले लेना चाहिए कि वे किसी पॉलिसी के साथ उपलब्ध हैं। यह तय कर लें कि क्या वाकई आपको उस राइडर की जरूरत है? किसी राइडर के बारे में विस्तार से पढ़ें और यह जरूर देख लें कि उस राइडर के साथ क्या शामिल नहीं है। इसके अलावा अलग-अलग कंपनियों की ओर से पेश इंश्योरेंस राइडर्स की तुलना करें, ताकि आपको बेहतर निर्णय लेने में आसानी हो। 

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