Saturday, December 14, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. धर्म
  3. चाणक्य नीति
  4. Chanakya Niti: मुसीबत पड़ने पर भी ऐसी दौलत और ज्ञान कभी नहीं आता है काम, जरूरत के समय पर हाथ धो बैठेंगे

Chanakya Niti: मुसीबत पड़ने पर भी ऐसी दौलत और ज्ञान कभी नहीं आता है काम, जरूरत के समय पर हाथ धो बैठेंगे

चाणक्य ने अपनी निती में मानव हित के संदर्भ में कई सारी बातें बताई हैं। वैसे तो मनुष्य के पास यदि धन और ज्ञान रहता है, तो वह जीवन का सबसे सफल व्यक्ति है। वहीं चाणक्य रखे हुए धन और ज्ञान को क्यों बताते हैं व्यर्थ? आइए जानते हैं इस पर उनकी नीति क्या कहती है।

Written By: Aditya Mehrotra
Published : Jan 13, 2024 22:56 IST, Updated : Jan 13, 2024 23:08 IST
Chanakya Niti- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chanakya Niti

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियों को पढ़ने के लिए लोग व्याकुल होते हैं क्योंकि उन्होंने कई सारी बातें मानव कल्याण के लिए बताई हैं। उनकी नीति में लोग सफलता का मंत्र ढूंढते फिरते रहते हैं। भले वो आज हमारे बीच मौजूद नहीं हैं लेकिन लोग उनकी नीतियों में बुलंदियों तक पहुंचने का रास्ता ढूंढते फिरते रहते हैं।

यदि बात करें व्यक्ति के रोजमर्रा जीवन कि तो एक धन और ज्ञान ये दो चीजें उसे सफलता की सीढ़ियों तक जैसे तैसे पहुंचा ही देती हैं। कितनी भी विषम परिस्थिति हो मनुष्य पैसे और जानकारी के बल पर अपने आप को मुश्किलों से छुड़ा लेता है। लेकिन चाणक्य ने अपनी एक नीति में इन दोनों चीजों को क्यों बताय है व्यर्थ आइए जानते हैं।

चाणक्य की नीति इस प्रकार से-

पुस्तकेषु च या विद्या परहस्तेषु च यद्धनम्। 

कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्धनम्॥

चाणक्य अपनी नीति में इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि जो ज्ञान किताबों तक सीमित है वह ज्ञान व्यक्ति के किसी काम का नहीं है। किताबी ज्ञान के साथ ही साथ व्यक्ति को समाजिक ज्ञान और उसकी बेहतर समझ होना जरूरी है। तभी वह ज्ञानता की श्रेणी में आएगा नहीं तो किताबी ज्ञान सिर्फ पुस्तकों तक सीमित रह जाता है। धन के विषय में चाणक्य कहते हैं कि स्वयं का धन कितना भी हो लेकिन दूसरों के हाथों में होने से वह धन किसी काम का नहीं है।

धन और ज्ञान को इस्तमाल करने का मंत्र

आचार्य चाणक्य अपनी इस नीति से यही बताने का प्रयास करते हैं कि मनुष्य को चाहिए कि वह किताब की विद्या को अपने कंठ में ग्रहण करे तभी समय आने पर वह उपयोगी है और विपरीत परिस्थिति से बाहर निकालने में सक्षम है। ठीक उसी प्रकार जिस तरह विद्यालय में कंठस्थ विद्या परिक्षा में सफल होने का कार्य करती है। बात करें पैसों की तो वह अपनी नीति के माध्यम से यहीं समझाने का प्रयत्न करते हैं कि धन वही उपयोगी है जो अपनी जेब में रखा हों। क्योंकि जरूरत पड़ने पर आप तुरंत उसका उपयोग कर सकत हैं। भले कितना भी आपके पास अपना धन हो और वह दूसरे के पास है तो उसका सदुपयोग आप जरूरत पड़ने पर नहीं कर पाएंगे। इसलिए कहते हैं विद्या कण्ठ की और पैसा गांठ का ही उत्तम होता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

ये भी पढ़ें-

Shani Sade Sati: शनि की साढ़ेसाती से कब मिलता है छुटकारा? जानिए कितने पड़ावों से गुजरना पड़ता है

Ayodhya: अयोध्या में श्रीराम से पहले आए थे यहां भगवान विष्णु, वर्षों तक की थी तपस्या, इसलिए कहते हैं इसे बैकुंठ लोक

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Chanakya Niti News in Hindi के लिए क्लिक करें धर्म सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement