Monday, December 22, 2025
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देवशयनी एकादशी से क्यों 4 माह तक सो जाते हैं भगवान विष्णु? भक्त प्रह्लाद के पौत्र से जुड़ी है कथा

6 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी। इस तिथि के बाद भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा के लिए चले जाएंगे।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jul 01, 2025 12:41 pm IST, Updated : Jul 01, 2025 12:53 pm IST
योग निद्रा में भगवान...- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV योग निद्रा में भगवान विष्णु

हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है। यह हर साल आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाई जाती है। इसी तिथि के बाद भगवान विष्णु 4 माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इसे चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। इस दौरान संसार में कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। इस दौरान भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं। ऐसे में लोगों के मन में सवाल आते हैं कि भगवान विष्णु के 4 माह तक योगनिद्रा के पीछे आखिर क्या रहस्य है...क्यों आखिर सृष्टि के संचालक नारायण भगवान 4 माह तक सो जाते हैं?

योगनिद्रा के पीछे क्या है रहस्य

पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान विष्णु की निद्रा से जुड़ी कई प्रचलित कहानियां हैं, जिसमें एक सबसे ज्यादा चर्चित है राजा बलि की कहानी... राजा बलि हिरण्यकश्यप के वशंज और विष्णु के परमभक्त प्रह्लाद के पौत्र थे। राजा बलि के पिता का नाम विरोचन था। राजा बलि राक्षस कुल से थे लेकिन वह बेहद दानी और परोपकारी थे। इसके अलावा, राजा बलि बहुत वीर थे। उन्होंने दान और वीरता के दम पर तीनों लोकों को जीत लिया था। इससे स्वर्ग के राजा इंद्र देव समेत सभी देवता चिंतित हो गए और फिर ब्रह्म देव के पास गए। इसपर ब्रह्मदेव ने कहा कि आप सभी भगवान विष्णु के पास जाएं। फिर सभी देव भगवान विष्णु के पास पहुंचे और अपनी विपदा बताई।

असमंजस में पड़े भगवान विष्णु 

भगवान विष्णु असमंजस में हो गए क्योंकि राजा बलि भगवान विष्णु के परम भक्ते थे और प्रह्लाद के पौत्र थे। फिर भी देवताओं के कहने पर उन्होंने वामन अवतार लिया और राजा बलि के पास भिक्षा मांगने पहुंचे। वामन ब्राह्मण देख राजा बलि खुश हुए और दान करने की इच्छा जताई। इस पर भगवान विष्णु ने बड़ी चालाकी से कहा कि आजतक जो मैंने मांगा वह कोई दे नहीं सका। जिस पर राजा बलि बोले ब्राह्मण देवता आप जो मर्जी मांगिए हम देंगे। इस पर वामन देव ने राजा से वचन लिया और फिर तीन पग जमीन मांगी। इस पर राजा के दरबार में उपस्थित लोग हंस पड़े और कहा कि बस इतना ही, इतने में क्या होगा...

वामन देव ने मांगी थी तीन पग जमीन

फिर राजा बलि ने कहा कि ब्राह्मण देव आप राज्य में कहीं भी 3 पग जमीन माप लें। इसके बाद वामन देव ने अपने एक पग में पृथ्वी और दूसरे पग में स्वर्गलोग माप लिया। अब वामन देव को तीसरे पग के लिए कोई जमीन या आकाश कुछ नहीं मिल रहा था तो राजा ने वामन देव के आगे सिर झुका लिया और कहा कि आप यहां पैर रख दीजिए। इसके बाद वामन देव ने एक पग में ही राजा बलि को पाताल लोक पहुंचा दिया।

भगवान भी चले गए पाताल लोक

वामन देव राजा बलि की दानवीरता देख बहुत खुश हुए और फिर उन्हें अपना असली रूप दिखाया। इसके बाद राजा बलि से वरदान मांगने को कहा। इसके बाद राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल लोक में रहने का वर मांगा, जिस पर भगवान ने तथास्तु कह दिया। साथ ही चिंरजीवी रहने का भी आशीर्वाद दिया। अब जब भगवान विष्णु पाताल लोक रहने लगे तो सृष्टि का संचालन ठप पड़ गया। सभी देवी-देवता सभी चिंतित हो गए और मां लक्ष्मी से उपाय सोचने की विनती की।

राजा को मिला ये वचन

फिर मां लक्ष्मी ने एक साधारण स्त्री का रूप धरा और पाताल लोक के राजा बलि को राखी बांधी। इसके बाद राजा बलि ने मां लक्ष्मी को कुछ मांगने को कहा। इस पर मां लक्ष्मी ने नारायण को पाताल लोक से मुक्त करने को कहा। जिस पर राजा बलि मान गए। अब भगवान विष्णु राजा बलि को निराश नहीं करना चाहते थे तो उन्होंने राजा बलि को यह वचन दिया कि वे हर साल आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तक पूरे 4 मास तक पाताल लोक में राजा के साथ रहेंगे। साथ ही कहा कि आपको स्वर्ग के राजा इंद्र के समान दर्जा मिलेगा। इसी के बाद से हर साल देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु का एक अंश पाताल लोक में रहता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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