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मौनी अमावस्या और महाकुंभ अमृत स्नान का बन रहा अद्भुत संयोग, क्यों है इस दिन मौन साधना का महत्व?

महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या की तिथि को पड़ रहा है। माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर साधना करने से पुण्य मिलता है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jan 24, 2025 16:28 IST, Updated : Jan 24, 2025 16:28 IST
Mahakumbh 2025
Image Source : META AI महाकुंभ

प्रयागराज के संगम तट पर जहां 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ मेले का पावन त्योहार मनाया जा रहा है। देशभर से सभी साधु संत और भक्त प्रयागराज में महाकुंभ में स्नान के लिए जमा हुए हैं। इसी मेले के बीच मौनी अमावस्या का आना बहुत ही सौभाग्यशाली क्षण है। माघ मास में आने वाली इस अमावस्या में अगर मनुष्य गंगा नदी में स्नान करता है, तो वह अपने जीवन के सारे पापों से मुक्त हो जाता है। इस साल यह दिन बुधवार 29 जनवरी को आने वाला है। 

हिन्दू पंचांग के मुताबिक, यह अमावस्या माघ महीने में आती है इसीलिए इस अमावस्या को माघी अमावस्या भी कहते है। इस अमावस्या में मनुष्य ने अगर अपने पूर्वजों की शांति पूजा की या अपने पितरों के लिए पिंडदान किया तो उस व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही साथ मौनी अमावस्या में दान करना भी शुभ माना जाता है। ऐसे में महाकुंभ और मौनी अमावस्या का यह अद्भुत संयोग धार्मिक कर्मों और मौन साधना के लिए बेहद शुभ फलकारी होगा। 

मौन का क्या है महत्व

हिन्दू परंपरा के अनुसार, मौनी अमावस्या को मौन व्रत किया जाता है, इसीलिए इसे मौनी अमावस्या कहते है। प्रियदर्शी महाराज द्वारा रचित, ग्रन्थ 'श्रीकृष्ण चरित मानस’ (रसायन महाकाव्य) में मौन व्रत के कई फायदे बताए गए है। मानस में बताया गया है, मौन, यह केवल शब्दों का मौन नहीं है बल्कि मन का मौन है। मनुष्य को तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए मौन व्रत धारण करना बहुत जरूरी है। मौन व्रत से हमारा मन शांत हो जाता है, मन की एकाग्रता बढ़ती है और मनुष्य को ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती है। जिस वजह से मनुष्य बड़ी सरलता से कठिनाइयों का सामना करता है। 

मन की शांति की वजह से वह अधिक कार्यक्षम और निर्णयक्षम बनाता है। जिससे वह अपने ज़िंदगी में बहुत आगे बढ़ पाता है। जब भी मन शांत होता है, तब हम ईश्वर के साथ गहरे और अधिक दिव्यता से जुड़ जाते हैं। वहीं, महाकुंभ और मौनी अमावस्या के शुभ संयोग के दिन मौन व्रत धारण करने से आपको और भी अधिक शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।

मौन व्रत का अनुभव लाभकारी

डॉ. कृष्ण किंकर जी महाराज के मुताबिक, अपनी आध्यात्मिक शांति के लिए, मन की स्थिरता के लिए मनुष्य को इस मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का अनुभव बहुत लाभकारी है। मौन, जो अपने आप में केवल एक शब्द नहीं है बल्कि वह एक साधना है। जिसके जरिये मन पर विजय पाने से मनुष्य अपने ध्येय की प्राप्ति कर सकता है। जिससे मनुष्य एक खुशहाल ज़िंदगी जी सकता है। 

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