Sunday, May 12, 2024
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सुप्रीम कोर्ट से ठाकुर को राहत, श्रीनिवास और निरंजन शाह को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI)के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के ऊपर से अदालत की अवमानना के आरोपों को हटा लिया।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 14, 2017 23:34 IST
Supreme court- India TV Hindi
Image Source : PTI Supreme court

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के ऊपर से अदालत की अवमानना के आरोपों को हटा लिया। अदालत ने ठाकुर द्वारा गुरुवार को दाखिल किए गए बिना शर्त माफीनामे के बाद यह कदम उठाया है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने ठाकुर की माफी को मंजूर करते हुए यह फैसला लिया। 

ठाकुर ने अदालत के आदेश का पालन किया और सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहे। पिछली सुनवाई में अदालत ने ठाकुर को पेश होने के आदेश दिए थे। शीर्ष अदालत ने सात जुलाई को उनके पिछले माफीनामे को खारिज कर दिया था और ठाकुर से बिना शर्त नया माफीनामा देने को कहा था। ठाकुर अदालत की निगाह में तब चढ़े थे जब उन्होंने अदालत में यह नहीं बताया था कि उन्होंने आईसीसी को पत्र लिखकर यह कहने को कहा था कि सीएजी की क्रिकेट बोर्ड में मौजूदगी की लोढ़ा समिति की सिफारिश बीसीसीआई में सरकारी दखल होगी।

न्यायामित्र गोपाल सुब्रमण्यम ने अदालत में शुक्रवार को कहा कि चूंकि ठाकुर ने बिना शर्ता माफी मांग ली है, इसलिए इसे मंजूर किया जाना चाहिए और संदेह का लाभ देते हुए उनके ऊपर से आरोप हटा लेने चाहिए। इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने इतिहासकार रामचंद्र गुहा और विक्रम लिमिए द्वारा प्रशासकों की समिति (सीओए) से दिए गए इस्तीफों को मंजूर कर लिया है। सीओए पर बीसीसीआई का कामकाज देखने की जिम्मेदारी है जिसमें लोढ़ा समिति का सिफारिशों का लागू करना शामिल है। 

गुहा ने व्यक्तिगत कारणों से सीओए से इस्तीफा दिया था जबकि लिमिए ने नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी की जिम्मेदारियों के निर्वाहन की बात का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया था। एनएसई के सीईओ बनने के लिए लिमिए के सामने एक शर्त यह थी कि वह सीओए से अपना करार तोड़ेंगे। 

सुब्रमण्यम ने अदालत में गुहा और लिमिए के विकल्प में नाम सुझाए हैं। अदालत ने सुब्रमण्यम द्वारा सुझाए गए नामों पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता से विचार करने को कहा है। दोनों से अपने-अपने सुझाव देने को कहा गया है लेकिन दोनों चार से ज्यादा नाम नहीं सुझा सकते। 

इसके अलावा अदालत ने बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन और पूर्व सचिव निरंजन शाह को नोटिस जारी किया है। दोनों को यह नोटिस एक याचिका के बाद मिला है जिसमें अदालत से पूछा गया था कि क्या यह दोनों बीसीसीआई के सदस्य न होते हुए सिर्फ राज्य संघ के प्रतिनिधि के तौर पर बीसीसीआई की विशेष आम सभा (एसजीएम) में हिस्सा ले सकते हैं? यह याचिका सुब्रमण्यम और वरिष्ठ वकील पराग त्रिपाठी ने डाली थी जो सीओए की पैरवी कर रहे हैं। ऐसी अटकलें हैं कि यह दोनों 26 जुलाई को होने वाली बीसीसीआई की एसजीएम में हिस्सा लेंगे।

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