Saturday, April 20, 2024
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एच एस प्रणय ने थाईलैंड में ‘बायो बबल’ के बुरे अनुभव को किया याद

बैंकॉक में ‘बायो बबल’ में रहने के अपने बुरे अनुभव ने बैडमिंटन खिलाड़ी एच एस प्रणय को कोरोना काल में खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मसलों की अहमियत बखूबी समझा दी। 

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: January 29, 2021 16:09 IST
एच एस प्रणय ने थाईलैंड...- India TV Hindi
Image Source : GETTY एच एस प्रणय ने थाईलैंड में ‘बायो बबल’ के बुरे अनुभव को किया याद

नई दिल्ली। बैंकॉक में ‘बायो बबल’ में रहने के अपने बुरे अनुभव ने बैडमिंटन खिलाड़ी एच एस प्रणय को कोरोना काल में खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मसलों की अहमियत बखूबी समझा दी। कोरोना महामारी के बीच लंबे ब्रेक के बाद अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन की बहाली हुई और बैंकॉक में एशियाई चरण की चैम्पियनशिप में खिलाड़ी बायो बबल में रहे।

प्रणय ने एक वेबिनार में कहा,‘ हमारे लिये यह बिल्कुल नये हालात थे। पहली बार हम बायो बबल में गए। हमें पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ दो सप्ताह तक हम अपने कमरों से बाहर नहीं निकल सके। हम सिर्फ अभ्यास के लिये जा सकते थे , मुख्य हॉल तक और बस तक। स्टेडियम के बाहर भी जाने की अनुमति नहीं थी।’’

प्रणय ने स्वीकार किया कि पृथकवास में अकेलापन इतना खलता है कि लगता है कभी बाहर नहीं जा सकेंगे। उन्होंने कहा ,‘‘ तीन चार दिन के बाद मानसिक रूप से ऐसा अनुभव होने लगता है। ऐसा लगता है कि कभी बाहर निकल ही नहीं सकेंगे। कमरे में 22 घंटे बिताने होते थे क्योंकि दो घंटे अभ्यास करते थे। अपने साथियों से नहीं मिल सकते। यह बुरे सपने जैसा था और छह दिन बाद इसका असर दिखने लगा। मुझे समझ में नहीं आया कि इससे कैसे निबटूं।’’

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प्रणय और साइना नेहवाल दोनों योनेक्स थाईलैंड ओपन के एक दिन पहले कोरोना पॉजिटिव पाये गए थे और उन्हें नाम वापिस लेना पड़ा था। बाद में एंटीबॉडी टेस्ट में पॉजिटिव आने के बाद वे भाग ले सके। प्रणय ने कहा कि एक मनोचिकित्सक होता तो इस स्थिति से वे बेहतर निपट सकते थे। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में खिलाड़ियों की मदद के लिये ऐसा कोई ढांचा बनाया जायेगा कि खिलाड़ियों को खेल मनोवैज्ञानिक की सेवायें हमेशा उपलब्ध रहेंगी।

उन्होंने कहा ,‘‘उम्मीद है कि अगले पांच साल में ऐसा ढांचा तैयार होगा कि खिलाड़ी खेल मनोवैज्ञानिक की सेवाओं का हमेशा लाभ ले सकेंगे । कौन जानता है कि शेड्यूल में थोड़े बदलाव से 30-40 की रैंकिंग वाला खिलाड़ी शीर्ष दस में पहुंच जाये।’’ उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीने उनके अंतरराष्ट्रीय कैरियर का सबसे कठिन सफर रहा।

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