बीते लोकसभा चुनाव से पहले से ही विपक्षी दलों द्वारा देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग की जा रही है। अब ये मुद्दा और चर्चा का विषय बन गया है। हाल ही में ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि जातिगत जनगणना किसे पहुंचाएगी नुकसान और इससे किसे हो सकता है फायदा।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जाति जनगणना को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आप जाति जनगणना को देश में लागू करें, वरना अगले प्रधानमंत्री को ऐसा करते हुए आप देखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी के लिए कोटे में कोटा का जो फैसला दिया है, उस फैसले से भाजपा-जदयू जहां सहमत हैं तो वहीं एनडीए के घटक दल लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग ने इसपर असहमति जताई है और कहा है कि इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
मंगलवार को संसद में जाति के मुद्दे पर खूब बवाल देखने को मिला। अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी की जाति पर सवाल खड़ा किया। इसपर अखिलेश यादव राहुल गांधी के बचाव में कूद पड़े और उन्हें अनुराग ठाकुर पर हमला बोल दिया।
नितिन गडकरी ने गोवा में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जो करेगा जात की बात उसको कस के मारूंगा लात। मैं जात पात मानता नहीं हूं। इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता।
याचिका के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आने वाले जिनगर समुदाय के हैं। सारंगपुर सीट एससी के लिए आरक्षित है। पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में टेटवाल ने इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार कला महेश मालवीय को 23,054 वोट से हराया था।
बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया है कि जो कांग्रेस पार्टी दशकों तक करती रही, आज वो सामने आ गया है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इन लोगों ने हमेशा तुष्टिकरण करने का काम किया है। अगर इसे रोका नहीं गया तो बिहार के सीमावर्ती इलाके में बहुत बड़ी दिक्कत आने वाली है।
इंडिया टीवी सीएनएक्स द्वारा राजस्थान में जनता की राय जानने के लिए ओपिनियिन पोल का आयोजन किया गया। इस दौरान अलग-अलग जातियों को लेकर जनता से सवाल किया कि आखिर किस जाति के लोग किस पार्टी के साथ है। इसपर जनता के जवाब चौंकाने वाले हैं।
बिहार सरकार ने हाल ही में राज्य में जातिवार जनगणना की रिपोर्ट जारी की है। इस मुद्दे पर विभिन्न दलों व नेताओं के रिएक्शन निकलकर सामने आ रहे हैं। अब भाजपा नेता केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस मुद्दे पर बात रखी है।
सोमवार को बिहार सरकार द्वारा जातिवार जनगणना की रिपोर्ट जारी करने के बाद देशभर में सियासत गरम है। अब पीएम मोदी ने जनगणना समेत कई अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों को जमकर निशाने पर लिया है।
बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी जातीय जनगणना की मांग उठने लगी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि जब लोगों को पता चलता है कि वे कितने हैं, तो उनमें एक आत्मविश्वास जागता है और सामाजिक अन्याय के खिलाफ एक सामाजिक चेतना भी जागती है। इससे उनकी एकता बढ़ती है और बाधाओं को दूर करते हैं।
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को अब कांग्रेस के लोग नहीं चला रहे हैं। उसके बड़े नेता मुंह बंद करके बैठे हैं। पीएम ने कहा कि कांग्रेस को पर्दे के पीछे से वो लोग चला रहे हैं, जिनकी देश विरोधी ताकतों से साठगांठ है।
बिहार सरकार की ओर से जारी किए गए जातिगत जनगणना के बाद अब विपक्षी दल अन्य राज्यों में भी इसी तरह की जनगणना की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी कहा है कि भारत के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है।
बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े आने के बाद देश की राजनीति गरम हो गई है। तमाम विरोध के बाद भी नीतीश सरकार ने ये जनगणना कराई और इसका डेटा जारी किया। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल भी अब जातिगत जनगणना के समर्थन में कूद गए हैं।
बिहार में हुई जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी हो गई है। जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में पिछड़ा वर्ग 27.13% है और अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01%, सामान्य वर्ग 15.52% हैं। बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है।
बिहार में किस जाति की कितनी संख्या है, अब आप पता कर सकते हैं। नीतीश कुमार की सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। देखें डिटेल्स-
IndiaTv Poll: वाहनों के पीछे जाति और धर्म सूचक शब्द लिखवाना या स्टिकर लगाना लोगों के बीच इसका एक ट्रेंड सा देखने को मिलता है। लेकिन क्या ये सही है? इस मुद्दे को लेकर इंडिया टीवी ने एक पोल किया जिसके परिणाम कुछ इस प्रकार रहे।
प्रशांत किशोर ने लालू यादव और नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोलते हुए सवाल किया कि जब ये नेता इतने दिनों से सत्ता में हैं, तो पहले जातिगत जनगणना क्यों नहीं करवाई।
अमेरिका में कैलिफोर्निया स्टेट सीनेट ने जाति आधारित भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने के वास्ते बृहस्पतिवार को एक विधेयक पारित किया। इस विधेयक को एक के मुकाबले 34 मतों से पारित किया गया। इससे कैलिफोर्निया अमेरिका का पहला प्रांत बन जाएगा जो अपने भेदभाव रोधी विधेयकों में जाति की श्रेणी भी जोड़ेगा।
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