Chandrayaan-3 lander separates from propulsion module | Chandrayaan-3 चांद के और करीब पहुंचा है। अब इंतजार है 23 अगस्त का। जब Chandrayaan-3 चांद की सतह पर लैंड करेगा।
चंद्रयान 3 के लैंडर मॉड्यूल ने डिबूस्टिंग की प्रकिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसी के साथ अब लैंडर और चांद के बीच दूरी और भी कम हो गई है।
भारत के चांद मिशन के साथ रूस का लूना-25 भी चांद मिशन पर है। रूस के लूना-25 ने चांद की अद्भुत तस्वीर खींची है। यह लूना-25 द्वारा खींची गई चांद की पहली तस्वीर है। वैज्ञानिकों के अनुसार लूना-25 ने चांद के उस हिस्से की तस्वीर खींचकर भेजी है, जहां आम तौर पर अंधेरा है यानि जो चांद का दक्षिणी ध्रुव है। भारत का चंद्रयान-3 भी।
इसरो के मिशन चंद्रयान-3 में अब तक सब कुछ ठीक चल रहा है...प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर चांद की कक्षा में अकेला चक्कर लगा रहा है। आज विक्रम लैंडर की डि-ऑर्बिटिंग की जाएगी...इसके बाद 20 अगस्त को भी डि-ऑर्बिटिंग होगी.
चंद्रयान के लैंडर को चंद्रम की सतह पर उतरने से पहले अभी कुछ और अहम पड़ाव पार करने हैं। इसी के तहत आज डीबूस्टिंग होगी जिससे यह चंद्रमा के और करीब आ जाएगा।
चंद्रयान-2 के दौरान हुई गलतियों से सबक सीखकर ISRO ने इस बार कई सुधार किए हैं इसलिए दिल की धड़कनें जरूर तेज हैं लेकिन भरोसा भी है कि हम 5 दिन बाद चांद की सतह को चूम कर ही दम लेंगे।
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हिंदुस्तान का चंद्रयान आज एक नया इतिहास रचने वाला है. चांद पर तिरंगा लहराने की दिशा में ISRO आज एक कदम और आगे बढ़ाने वाला है. इंडिया का चंद्रयान-3 चांद के बिल्कुल करीब पहुंच चुका है.
रूसी यान लूना-25 करीब पांच दिनों तक चंद्रमा का चक्कर लगाएगा। फिर 21 अगस्त को चांद पर लैंडिंग करेगा। वहीं भारत का चंद्रयान-3 दो दिन बाद यानी 23 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। रूस और भारत के यानों पर दुनिया की नजर है।
भारत ने चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को लॉन्च किया था। मिशन की प्लानिंग के अनुसार, अब लैंडर 23 अगस्त को चांद के साउथ पोल पर लैंड करेगा। इसके साथ ही चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बन जाएगा।
भारत ने 14 जुलाई को दोपहर 2.45 बजे LVM3 रॉकेट से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। अब मॉड्यूल से अलग होने के बाद आगे का सफर लैंडर विक्रम अपने आप ही तय करेगा।
चंद्रयान-3 के जरिए भारत चांद की स्टडी करना चाहता है। वो चांद से जुड़े तमाम रहस्यों से पर्दा हटाएगा। भारत के लिए आज का दिन बेहद खास है। मिशन चंद्रयान 3 को लेकर एक अहम प्रक्रिया को इसरो के वैज्ञानिक अंजाम देंगे।
इसरो ने ट्वीट कर बताया है कि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा के काफी करीब पहुंच गया है। अब जल्द ही वह चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला है। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है।
सोशल मीडिया पर चंद्रयान-3 का बताकर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो के साथ ये दावा किया जा रहा है कि चंद्रयान-3 के लॉन्च होने के बाद इसरो के वैज्ञानिक चांद पर अनुसंधान कर रहे हैं। इंडिया टीवी ने इस वीडियो का फैक्ट चेक किया और सच का पता लगाया।
Russia’s Luna 25 launches | Russia ने अपना Moon Mission Launch कर दिया। कुछ दिन बाद ये चांद की सतह पर कदम रखेगा। India का Chandrayaan 3 भी Moon के South Poll पर लैंड होगा। दोनों ही Moon Mission हैं। चलिए करते हैं दोनों का Comparison और जानते हैं किसकी क्या है खासियत।
रूस ने 47 बाद लूना-25 के रूप में अपना अभियान लॉन्च कर दिया है। शुक्रवार तड़के स्थानीय समय के मुताबिक 2 बजकर 11 मिनट पर बोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लूना-25 को लॉन्च किया गया। रूस का यह यान चांद के दक्षिणी हिस्से पर लैंड कर सकता है।
चंद्रमा पर भारी ट्रैफिक जाम लगने वाला है। यह बात आपको सुनकर अजीब लग रही होगी, मगर ये सच है। अब आप सोच रहे होंगे कि चंद्रमा पर भला ट्रैफिक जाम कैसे हो सकता है तो आपको बताते हैं...दरअसल भारत के चंद्रयान-3 मिशन के साथ ही आज रूस का लूना 25 मिशन भी लांच हो रहा है। नासा का आर्टेमिस भी चांद के सफर की तैयारी में है।
चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने से पहले मंगल ग्रह पर पानी होने के वजूद को लेकर वैज्ञानिकों ने कई चौंकाने वाला दावा किया है। अमेरिका, फ्रांस और कनाडा के वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि मंगल ग्रह पर मिली मिट्टी की दरारें यह बताती हैं कि यहां कभी पानी था और जो बाद में वाष्पित हुआ।
चंद्रयान-3 के लैंडर ने फिर चांद की विशेष तस्वीर खींचकर इसरो को भेजी है। इससे पहले भी चंद्रयान-3 दो बार अलग-अलग चांद और पृथ्वी की तस्वीर खींचकर शेयर कर चुका है। इसरो के वैज्ञानिकों ने लैंडर द्वारा खींची तस्वीरों का सेट शेयर किया है।
मिशन चंद्रयान 3 को लेकर इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा है कि 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंडर 'विक्रम' सॉफ्ट लैंडिंग करने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा, 'विक्रम' का पूरा डिजाइन इस तरह से बनाया गया है कि यह विफलताओं को संभालने में सक्षम होगा।'
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