सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि एविएशन इंडस्ट्री भी बड़े पैमाने पर प्रदेश में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने जा रही है। इस सेक्टर में सबसे बड़ा निवेश एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्रा. लि. द्वारा किया जा रहा है।
बाजार के जानकारों के अनुसार कंपनियां एक ओर जहां साबुन तेल मंजन आदि की कीमतों में कटौती कर सकती हैं, वहीं बिस्किट आदि खाने पीने के सामान का वजन बढ़ाकर ग्राहकों को आकर्षित कर सकती हैं।
सरकार के लिए बजट में अब प्रमुख चुनौती बढ़ती महंगाई के बीच अर्थव्यवस्था में मांग को बरकरार रखने की है। इसके लिए गांवों में उपभोक्ताओं के हाथों में काम की उपलब्धता बढ़ानी होगी।
इंडिपेंडेंस ब्रांड के लॉन्च के अवसर पर रिलायंस रिटेल की निदेशक, ईशा अंबानी ने कहा कि मुझे स्वयं का ब्रांड इंडिपेंडेंस के लॉन्च की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।
गोदरेज नंबर 1 साबुन के बंडल पैक (प्रत्येक 100 ग्राम की पांच यूनिट) की कीमत 140 रुपये से घटाकर 120 रुपये कर दी है।
FMCG Companies: दूसरी तिमाही में FMCG कंपनियों पर महंगाई की मार पड़ने जा रही है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि रोजमर्रा के उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाले एफएमसीजी उद्योग के लिए कुछ कच्चे माल की आपूर्ति पर महंगाई का दबाव कम होने के बावजूद विनिर्माताओं को यह आशंका सता रही है
Plastic Ban: प्लास्टिक बैन लागू होते ही पार्ले एग्रो, डाबर, अमूल और मदर डेयरी जैसी प्रमुख कंपनियों ने टेट्रा पैक के साथ अब दूसरे समाधानों की पेशकश करनी शुरू कर दी है।
इसके अलावा इन कंपनियों ने किसी उत्पाद के बड़े पैकेट के दाम में बढ़ोतरी की है। हालांकि, यह वृद्धि भी 10 प्रतिशत से कम की है।
चिप्स,बिस्किट और नमकीन के छोटे पैकेट का बाजार ज्यादा बड़ा है। इसमें 5 रुपये और 10 रुपये के पैकेट का एक अलग उपभोक्ता वर्ग है जिसकी संख्या अधिक है।
पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा, हम उद्योग द्वारा कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।
नील्सन आईक्यू की रिटेल इंटेलिजेंस टीम की रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा जिंसों की ऊंची कीमत जैसे वृहत आर्थिक कारकों ने तिमाही के दौरान खपत वृद्धि को प्रभावित किया।
मुंबई के एक थोक एफएमसीजी डीलर ने कहा कि शहरी बाजारों में अधिकांश कंपनियों ने डिटर्जेंट की कीमत में 2 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।
कंपनियों ने कहा है कि बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए वह अपनी उत्पादक्ष क्षमता में बढ़ोतरी कर रहे हैं
सरकार ने भी इस बात को समझा है कि वह जब लॉकडाउन की घोषणा करते हैं तो उन्हें क्या करना चाहिए।
रोजमर्रा के उपभोग का सामान बनाने वाली एफएमसीजी मैरिको तथा कुछ अन्य पहले ही दाम बढ़ा चुकीं हैं, जबकि डाबर, पारले और पतंजलि जैसी अन्य कंपनियां स्थिति पर करीब से निगाह रखे हुये हैं।
तीन फसलों ने ग्रामीण भारत में तीन लाख करोड़ रुपए की आमदनी पहुंचाई हैं।
एचयूएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कंपनी की 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा कि स्थिति काफी उतार-चढ़ाव वाली है।
आवाजाही की अनुमति देने के लिए सरकार के हस्तक्षेप के बाद स्थिति में सुधार हुआ है।
कीमतें दो तिहाई तक हुई कम उत्पादन बढ़ा कर मांग पूरी करने की कोशिश
आईसीआईसीआई डायरेक्ट रिसर्च का मानना है कि कॉरपोरेट कर दरें घटाने से बैंकिंग और एफएमसीजी क्षेत्र को तो फायदा होगा, लेकिन आईटी और दवा कंपनियों को इससे कोई ठोस फायदा नहीं होगा क्योंकि इनके लिये कॉरपोरेट कर की प्रभावी दरें पहले से ही कम हैं।
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