इस साल भी भारतीय अर्थव्यवस्था बुलेट की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान जताया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष (2023-24) में भारत की जीडीपी के 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट कहती है कि भारत एक दशक से कम समय में बदल गया है। ‘‘यह भारत 2013 से अलग है। 10 साल के छोटे से अरसे में भारत ने दुनिया की व्यवस्था में स्थान बना लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य मानसून के साथ, अगर अल नीनो घटना नहीं होती है, तो मुद्रास्फीति के 2023-24 में नीचे जाने की उम्मीद है। थोक मुद्रास्फीति के घटकर 5.2% से कम रहने का अनुमान है, जो बीते वित्त वर्ष में 6.7% थी।
रेल मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे वैष्णव ने कहा कि भारत को विश्व स्तर पर एक आकर्षक स्थान के रूप में देखा जा रहा है और दुनिया भारत में अपना भरोसा जता रही है।
भारत की अर्थव्यवस्था इस समय वैश्विक कारणों के चलते महंगाई और गिरती ग्रोथ का सामना कर रही है। यह सरकार के लिए दोहरी चुनौती बनकर सामने आ रहा है
रिजर्व बैंक ने लगातार छह बढ़ोतरी के बाद अप्रैल महीने में रेपो रेट में बदलाव नहीं किया। रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर है। इससे होम और कार लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिली।
पीआईए के कर्मचारियों की मांग है कि रमजान के महीने में सरकार उनका वेतन नहीं रोके, इसके अलावा पीआईए पायलट विमान नहीं उड़ाने पर भी विचार कर रहे हैं। इस बीच दुनिया भर से मदद मांग कर देश चलाने को मजबूर शहबाज सरकार के सामने IMF की नई रिपोर्ट ने बड़ी चुनौती ला दी है।
रिपोर्ट में कहा गया कि चालू खाता घाटा 2023-24 में कम होकर 2.1 प्रतिशत पर आ सकता है, जो तीन प्रतिशत था।
2022-23 की तीसरी तिमाही के लिए कल शाम जारी किए गए आंकड़ों को लेकर बहुत गलतफहमी है क्योंकि इसके साथ पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों में संशोधन भी किया गया।
चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा एनएसओ ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 की वृद्धि दर को 8.7 प्रतिशत से संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है।
भारत में सिकुड़ती अर्थव्यवस्था को देखते हुए दुनिया भर की बड़ी आर्थिक संस्थाओं ने भारत को लेकर ग्रोथ के प्रोजेक्शन में बड़ी कटौती की है।
भारत की वृद्धि बाकी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की तरह थोड़ी धीमी होगी, लेकिन वैश्विक औसत से ऊपर रहेगी। इस तरह 2023 में वैश्विक वृद्धि में भारत का योगदान लगभग 15 प्रतिशत होगा।
दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का मुकाबला करते-करते पाकिस्तान पस्त हो गया। भारत के प्रमुख पड़ोसी और कट्टर दुश्मन पाकिस्तान ने अपनी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए गधों का सहारा लिया था। बड़े पैमाने पर इस देश में गधों को पाला जाता था और उन्हें एक्सपोर्ट किया जाता था।
केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को पहले के सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया।
इस वर्ष एशिया 4.2 फीसदी की दर से बढ़ेगा, 2023 में उसकी वृद्धि 4.6 फीसदी की दर से होने का अनुमान है। हालांकि पहले उसने इस वर्ष एशिया की वृद्धि दर 4.3 फीसदी और 2023 में 4.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने जुलाई-सितंबर 2022 तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था जबकि भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में इसके 5.8 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी।
भारत की जीडीपी वृद्धि दर वर्ष 2021 में 8.5% रही थी। वित्त वर्ष 2022-2023 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में छह प्रतिशत रहने का अनुमान है।
Ukraine's GDP fell sharply deu to War:रूस के साथ चल रहे युद्ध ने नौ महीने में यूक्रेन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अब तक इतनी बड़ी गिरावट कर दी है कि उसका जल्द उबर पाना अब मुश्किल लग रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार यूक्रेन को युद्ध के चलते भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
Congress Attacks BJP: कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि देश में ग़रीबी भयावह रूप ले रही है और सरकार बेख़बर है। कल शाम विश्व बैंक ने इस साल तीसरी बार हमारी अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर को घटा कर 7.5 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत कर दिया।
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