लखनऊ: यूपी में SIR को लेकर आज (रविवार को) लखनऊ में बीजेपी की बड़ी बैठक हुई। इसमें उन विधायकों से नाराजगी जताई गई जिनकी विधानसभाओं में एसाईआर का काम कम हुआ है। बैठक में कहा गया कि बार-बार कहने पर भी कई विधानसभाओं में एसआईआर फॉर्म नहीं भरवाए जा रहे हैं। इसका मतलब है कि विधायक दोबारा चुनाव नहीं लड़ना चाहते। अगर ऐसा है तो विधायक बता दें और फिर उनकी विधानसभा सीट पर चुनाव के लिए दूसरों को तैयार किया जाए। यहां दावेदारों की काफी लंबी लाइन है।
SIR प्रक्रिया पूरी करने में जुटें नेता और कार्यकर्ता
बीजेपी की बैठक में ये भी कहा गया कि एसआईआर में पार्टी के सांसद, मंत्री, विधायक, जिलाध्यक्ष, पदाधिकारी और कार्यकर्ता सब जुट जाएं। सभी मिलकर एसआईआर का काम पूरा करें। बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, बीजेपी सांसद, विधायक, पदाधिकारी और संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहे। करीब 3 घंटे चली इस बैठक में मुख्य मुद्दा SIR रहा।
क्या 4 करोड़ लोगों के नहीं भर पाए SIR फॉर्म?
जान लें कि पिछले रविवार को सीएम योगी ने कहा था कि आबादी के हिसाब से यूपी में 16 करोड़ वोटर होने चाहिए लेकिन एसआईआर के आंकड़े बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में 12 करोड़ वोटर बने हैं यानी 4 करोड़ कम। सीएम योगी ने कहा था कि इन 4 करोड़ वोटर में 80 फीसदी बीजेपी के हैं। आज की बैठक में भी सभी से SIR अभियान में जुटने को कहा गया है।
SIR क्या है?
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR, वोटर लिस्ट को शुद्ध करने की एक प्रक्रिया है, जिसे निर्वाचन आयोग समय-समय पर करवाता है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि वोटर लिस्ट में सिर्फ पात्र और जीवित वोटर्स के नाम ही हों। मृत, स्थानांतरित या अपात्र लोग के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाएं। इस प्रोसेस के तहत घर-घर जाकर वेरिफिकेशन हो रहा है। योग्य मतदाताओं के नाम जोड़े जा रहे हैं। गलत या रिपीट नामों को ठीक किया जा रहा है, ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया जा सके।
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