बिजनौर जिले से जुड़े भूमि अधिग्रहण के एक पुराने विवाद ने अब गंभीर कानूनी रूप ले लिया है। मुरादाबाद स्थित भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकरण की अदालत ने मुआवजा न मिलने पर सख्त रुख अपनाते हुए जिला अधिकारी जसजीत कौर के सरकारी आवास को कुर्क करने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही डीएम को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए भी तलब किया गया है।
जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है मामला
यह मामला जमीन अधिग्रहण के बदले दिए जाने वाले मुआवजे से जुड़ा है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि अदालत पहले ही मुआवजा देने का आदेश पारित कर चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद जिला प्रशासन की ओर से अब तक भुगतान नहीं किया गया। याचिकाकर्ता के अनुसार, यह मामला लंबे समय से लंबित है और बार-बार गुहार लगाने के बाद भी उसे उसका अधिकार नहीं मिल सका।
सुनवाई के दौरान पीड़ित के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि मुआवजे के संबंध में डीएम कार्यालय की ओर से न तो कोई स्पष्ट जवाब दिया गया और न ही कोई रिपोर्ट दाखिल की गई। उन्होंने यह भी कहा कि अदालत के आदेश और नोटिस के बावजूद भुगतान न किया जाना न्यायिक प्रक्रिया की अवहेलना है। याचिकाकर्ता उमेश ने अदालत के सामने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि प्रशासन से कई बार संपर्क करने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला। ऐसे में उसने अपने हक के लिए डीएम के सरकारी आवास की कुर्की की मांग की, ताकि मुआवजा दिलाया जा सके।
कोर्ट ने कुर्की का दिया आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश जारी किया। अदालत ने साफ किया कि कुर्की की अवधि के दौरान डीएम अपने सरकारी आवास को किसी अन्य को सौंप नहीं सकेंगी और न ही उससे किसी प्रकार का आर्थिक लाभ उठा सकेंगी। हालांकि, प्रशासनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें आवास के उपयोग की अनुमति रहेगी।
अदालत ने आगे की शर्तें तय करने और कुर्क की गई संपत्ति से जुड़े पहलुओं पर सुनवाई के लिए डीएम बिजनौर को अगली तारीख 9 जनवरी को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। इस आदेश के बाद जिले में यह मामला चर्चा का विषय बन गया है और प्रशासनिक हलकों में भी हलचल तेज हो गई है।
रिपोर्ट- रोहित त्रिपाठी