इंसान का रुटीन हर रोज लगभग एक जैसा ही होता है। पढ़ने वाले छात्र सुबह उठकर स्कूल जाते हैं, नौकरी पेशा लोग अपने काम पर जाते हैं और जो महिलाएं घर पर रहती हैं वो घर के काम करती हैं। इस दौरान कई सारी चीजें हमारी आंखों के सामने हर रोज आता है मगर कॉमन हो जाने के कारण हमारे दिमाग में उनसे जुड़े सवाल नहीं आते हैं। अब जो लोग मेट्रो में हर रोज सफर करते हैं, उन्होंने शायद ही यह नोटिस किया होगा कि मेट्रो में टॉयलेट नहीं होती है जबकि ट्रेन में तो यह सुविधा होती है। क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि ऐसा क्यों होता है? आइए हम आपको इसका जवाब देते हैं।
ट्रेन की तरह मेट्रो में टॉयलेट क्यों नहीं होते हैं?
आइए आपको समझाते हैं कि ट्रेन में टॉयलेट क्यों होता है और मेट्रो में क्या नहीं होता है। दरअसल ट्रेन का सफर लंबा होता है इसलिए उसमें टॉयलेट की सुविधा दी जाती है ताकि यात्री चलती ट्रेन में भी उसका इस्तेमाल कर सकें। वहीं मेट्रो का सफर छोटा होता है तो यात्री सफर पूरा करने के बाद भी टॉयलेट जा सकता है। इसके अलावा मेट्रो स्टेशन पर टॉयलेट की सुविधा होती है तो यात्री उनका भी यूज कर सकता है और दूसरी मेट्रो भी पकड़ सकता है लेकिन ट्रेन के साथ ऐसा नहीं है। एक बार ट्रेन छूट गई तो दूसरे किसी भी ट्रेन में यात्री नहीं चढ़ सकता जिस कारण ट्रेन में टॉयलेट की सुविधा दी जाती है।
ये भी हैं कुछ अन्य कारण
आपको बता दें कि मेट्रो में उतनी जगह नहीं होती है। मेट्रो में कोच की संख्या कम और यात्री ज्यादा होते हैं तो उसमें टॉयलेट बनाने की जगह नहीं होती है। इसके अलावा एक कारण लागत भी है। अब मेट्रो के अंदर टॉयलेट बनाया जाएगा तो उसके रखरखाव में खर्चा भी ज्यादा आएगा जो टिकट की कीमत को बढ़ा देगा और आम लोग जो इसका रोज इस्तेमाल करते हैं, उनकी जेब पर इसका असर पड़ेगा।
नोट: इस आर्टिकल में आपको दी गई पूरी जानकारी अलग-अलग रिपोर्ट्स के आधार पर है और इंडिया टीवी ऊपर दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। इस आर्टिकल का उद्देशय केवल आप तक यह जानकारी पहुंचानी है।
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