Thursday, April 25, 2024
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कांगो : ज्वालामुखी फटने के बाद भूकंप के झटके, कम से कम 32 लोगों की मौत

पूर्वी कांगो में ज्वालामुखी फटने के कारण अब तक कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। ज्वालामुखी फटने के दो दिन बाद गोमा शहर के बाहरी इलाकों में नष्ट हो चुके घरों के बीच लोग अपने प्रियजनों को खोजते नजर आए। 

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: May 25, 2021 10:06 IST
कांगो : ज्वालामुखी फटने के बाद भूकंप के झटके, कम से कम 32 लोगों की मौत - India TV Hindi
Image Source : FILE कांगो : ज्वालामुखी फटने के बाद भूकंप के झटके, कम से कम 32 लोगों की मौत 

किन्शासा: पूर्वी कांगो में ज्वालामुखी फटने के कारण अब तक कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। ज्वालामुखी फटने के दो दिन बाद गोमा शहर के बाहरी इलाकों में नष्ट हो चुके घरों के बीच लोग अपने प्रियजनों को खोजते नजर आए। यहां ज्वालामुखी फटने के बाद भूकंप के झटके भी महसूस किए गए। अधिकारियों तथा प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कांगो के गोमा शहर के नजदीक स्थित ज्वालामुखी माउंट नीरागोंगो शनिवार को फट गया था। जिसके बाद लावा बहकर यहां के गांवों में आ गया, जिसके कारण यहां 500 से ज्यादा मकान नष्ट हो गए। 

‘नॉर्थ किवू’ प्रांत में नागरिक सुरक्षा प्रमुख जोसफ माकुंडी ने बताया कि मरने वालों की संख्या सोमवार को 32 हो गई। उन्होंने बताया कि ज्वालामुखी से बचकर भागने के प्रयास में विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं में दस से अधिक लोगों की मौत हो गई। कई अन्य की लावा की चपेट में आने से मौत हो गई। गोमा में ज्लावामुखी संबंधी वेधशाला के निदेशक सेलेस्टिन कासेरेका महिंदा ने बताया कि कई लोगों की लावा से निकलने वाले धुंए तथा जहरीली गैस के संपर्क में आने से मौत हुई। महिंदा ने बताया कि वेधशाला के वैज्ञानिक ज्वालामुखी फटने की आशंका के संबंध में जनता को उचित तरीके से सचेत नहीं कर पाए। 

उन्होंने बताया कि ज्वालामुखी अब भी सक्रिय है तथा भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। महिंदा ने लोगों से अब भी सतर्क रहने को कहा है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने बताया कि ज्वालामुखी माउंट नीरागोंगो शनिवार को फट गया था, जिसके कारण करीब पांच हजार लोग गोमा शहर छोड़कर चले गए जबकि अन्य 25,000 ने उत्तर पश्चिम में साके शहर में शरण ली। इस प्राकृतिक आपदा के बाद से 170 से अधिक बच्चे लापता हैं। यूनिसेफ के अधिकारियों का कहना है कि वे ऐसे बच्चों की मदद के लिए शिविर लगा रहे हैं जो अकेले हैं, जिनके साथ कोई वयस्क नहीं है। यह ज्वालामुखी पिछली बार वर्ष 2002 में फटा था तब भी यहां भारी तबाही मची थी। सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी तथा 1,00,000 से अधिक लोग बेघर हो गए थे। 

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