Sunday, April 28, 2024
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भारत- मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर से इस मुस्लिम देश को होगा बड़ा घाटा! परेशान होंगे रूस और ईरान

भारत- मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर से जहां भारत सहित 8 देशों को फायदा मिलने जा रहा है। वहीं मुस्लिम देश ऐसा भी है, जिसे बड़ा घाटा उठाना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर इससे ईरान और रूस जैसे देशों को भी झटका लगा है।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: September 15, 2023 20:12 IST
जी20 में इकोनॉमिक कॉरिडोर पर सहमति- India TV Hindi
Image Source : FILE जी20 में इकोनॉमिक कॉरिडोर पर सहमति

Economic Corridor: भारत- मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर पूरी दुनिया में हलचल है। इस इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर जहां चीन, पाकिस्तान तिलमिला उठे हैं, वहीं कई ऐसे देश हैं, जिन्हें इस प्रोजेक्ट से फायदा मिलेगा। हाल ही में जी20 समिट में इस इकोनॉमिक कॉरिडोर का ऐलान हुआ था और इस मेगा प्रोजेक्ट पर सहमति बनी। इस कॉरिडोर को चीन के 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (बीआरआई) की काट माना जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में भारत के अलावा अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब आमीरात, यूरोपीय यूनियन, इटली, फ्रांस और जर्मनी भी शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट पर को लेकर तुर्की भी तिलमिलाया है, हालांकि एक और मुस्लिम देश है, जिसे इस कॉरिडोर के बनने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान होगा।

इस इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर जिस मुस्लिम देश को सबसे बड़ा घाटा होगा, उसके बारे में इजरायल की मीडिया में जिक्र किया गया है। इजरायल के 'इकोनॉमिक ग्लोब्स अखबार' के मुताबिक, इस कॉरिडोर के बनने से मिस्र को आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।  क्योंकि कॉरिडर के बन जाने से स्वेज नहर से होकर गुजरने वाली माल ढुलाई कम होगी। जिससे कि मिस्र की कमाई में भारी गिरावट दर्ज होने की संभावना है। अभी मिस्र की इकोनॉमी का बड़ा हिस्सा स्वेज नहर की माल ढुलाई की कमाई से ही आता है।

मिस्र के कारोबार का 10 फीसदी केवल स्वेज नहर से

अखबार ने गल्फ की राजनीति और सुरक्षा विशेषज्ञ एवं इजराइल के इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज (आईएनएसएस) के एक वरिष्ठ शोधकर्ता योएल गुजांस्की के हवाले से लिखा है, 'दुनिया का कुल 10 फीसदी और तेल का 7 प्रतिशत व्यापार स्वेज नहर के रास्ते से होता है। अभी स्वेज नहर मिस्र के कंट्रोल में है। लेकिन जब भारत से लेकर यूरोप तक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनेगा, तो यह वैश्विक तेल कारोबार को प्रभावित करेगा। इससे मिस्र को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

स्वेज नहर से सालभर में कितनी हुई कमाई?

वित्तीय वर्ष 2022-23 में स्वेज नहर से कुल कमाई 9.4 बिलियन दर्ज की गई, जो पिछले साल की कमाई 7 बिलियन डॉलर से काफी ज्यादा है। इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडर मिस्र के लिए यह इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि मिस्र पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का लगभग 12.5 बिलियन डॉलर का कर्ज है और उसकी आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है। ऐसे में स्वेज नहर से होने वाली कमाई मिस्र के लिए मायने रखती है। जब नया इकोनॉमिक कॉरिडोर अस्तित्व में आ जाएगा, तो यह मिस्र के लिए बड़े झटके के समान होगा।

रूस और ईरान को भी झटका 

इजरायली विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि इस इकोनॉमिक कॉरिडोर से रूस और इरान के प्रोजेक्ट को भी झटका लगेगा। रूस और ईरान के प्रोजेक्ट अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को भी नुकसान होगा। क्योंकि 7200 किमी लंबे इस कॉरिडोर में भारत शामिल है। दरअसल, इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडर में भी भारत शामिल है। ऐसे में दो समानांतर प्रोजेक्ट में एक साथ रहना भारत के लिए आसान नहीं होगा। 

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