“मुझे लगता है कि भविष्य को लेकर हमें देखना चाहिए कि यूरोपियन यूनियन ने क्या किया, उसी तरह हमारा भी साझा बाज़ार होना चाहिये। अर्थ-व्यवस्था कैसे मज़बूत होती है? मेरी राय में अर्थ-व्यवस्था सर्विस सेंटर और रचनात्मकता से मज़बूत होती है। अगर लोग पाकिस्तान आएंगे, हमारे होटल भरे रहेंगे, और होटल बनेंगे, लोगों को रोज़गार मिलेगा, ऐसा ही आपके देश में भी होगा…।”
“वो तमाम लोग लोग यहां आएंगे, कबाबा, तिक्का और निहारी खाना चाहेंगे…ख़रीदारी करेंगे, ख़र्च करेंगे, संग्रहालय जाएंगे, घूमेंगे। पैसे की आवाजाही से ही अर्थ-व्यवस्था मज़बूत होती है और इसी की हमें ज़रुरत है... नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका या फिर भारत हो, हम सबको इसकी ज़रुरत है।”
बेनज़ीर का ये इंटरव्यूह ‘Bullets and Bylines, Dispatches from Kabul, Delhi, Damascus and Beyond’, नाम की किताब में भी छपा है।