इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए जोरदार आवाज उठाई है। उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा है कि उसने परमाणु सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जो अनुकरणीय उपाय किए हैं, वे उसकी सदस्यता की पात्रता को प्रमाणित करते हैं। एनएसजी 48 देशों की संस्था है जो वैश्विक परमाणु प्रौद्योगिकी को नियंत्रित करती है।
जनसंहार के हथियारों के अप्रसार पर लोधी ने कहा कि पाकिस्तान ने व्यापक रूप से निर्यात नियंत्रण व्यवस्था को लागू किया है, उसने परमाणु सुरक्षा सम्मेलन प्रक्रिया में भाग लिया है और परमाणु सामग्री की भौतिक रक्षा करार संशोधन 2005 को अंगीकार किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने और परमाणु परीक्षण पर रोक की एकतरफा घोषणा की है। साथ ही दोहराया कि पाकिस्तान परमाणु परीक्षण नहीं करने के लिए भारत के साथ द्विपक्षीय करार करने का इच्छुक है। यह सब कुछ एनएसजी की सदस्यता की पात्रता को स्थापित करता है।
मलीहा ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर निशाना साधते हुए कहा कि 'भेदभाव छोड़ने' की व्यवस्था देना परमाणु अप्रसार मानदंडों को चुनौती है जो 'दोहरे मानदंड' को दर्शाता है और ऐसे पदार्थो को शांतिपूर्ण उपयोग से सैन्य उपयोग में मोड़ने की संभावना खोलता है। उल्लेखनीय है कि भारत का अमेरिका सहित कई देशों से परमाणु सामग्री आपूर्ति के लिए करार हुआ है।
भारत और पाकिस्तान दोनों ऐसे देश हैं जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और दोनों 48 सदस्यीय अंतर्राष्ट्रीय परमाणु व्यापार को नियंत्रित करने वाले इस समूह की सदस्यता चाहते हैं। पिछली बैठक में भारत के एनएसजी में शामिल होने के प्रयास का चीन सहित कम से कम 10 देशों ने विरोध किया था।