Friday, December 13, 2024
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समंदर में चीन की निकलेगी हेकड़ी, ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिटेन के साथ की परमाणु पनडुब्बियों की डील

समंदर में चीन की हेकड़ी निकलने वाली है। ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिटेन के साथ की परमाणु पनडुब्बियों की डील की है। इससे चीन की दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में फजीहत बढ़ जाएगी।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Mar 22, 2024 11:10 IST, Updated : Mar 22, 2024 11:10 IST
ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिटेन के साथ की परमाणु पनडुब्बियों की डील- India TV Hindi
Image Source : FILE ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिटेन के साथ की परमाणु पनडुब्बियों की डील

South Korea: दक्षिण चीन सागर हो या हिंद प्रशांत क्षेत्र, चीन समंदर के इन इलाकों में अपनी दादागिरी दिखाता है। इसी बीच ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिटेन के साथ परमाणु पनडुब्बियों की बड़ी डील की है। इस डील से चीन की हेकड़ी निकल जाएगी। दरअसल ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु चलित पनडुब्बियों के लिए ब्रिटेन से तीन अरब डॉलर का समझौता किया है।

जानकारी के अनुसार ऑस्ट्रेलियाई सरकार परमाणु से चलने वाली पनडुब्बियों को बनाने और उनकी समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटिश उद्योग को तीन अरब डॉलर मुहैया कराएगी। दोनों देशों ने दक्षिण चीन सागर और दक्षिण प्रशांत महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधि जैसी चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने के लिए एक रक्षा और सुरक्षा समझौता किया है। फिर इसके एक दिन बाद यह घोषणा की गई। ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ग्रांट शाप्स ने कहा कि पनडुब्बी कार्यक्रम महंगा लेकिन आवश्यक है।

चीन के खतरे से परमाणु पनडुब्बियां देंगी सुरक्षा

उन्होंने ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन से कहा, ‘परमाणु संचालित पनडुब्बियां किफायती नहीं हैं लेकिन हम पहले से कहीं अधिक खतरनाक दुनिया में रह रहे हैं जहां हम चीन की बढ़ती आक्रामकता, पश्चिम एशिया तथा यूरोप में एक और खतरनाक दुनिया देख रहे हैं।’ मंत्रियों की बैठक में घोषित 10 वर्षीय इस समझौते के तहत ब्रिटेन के डर्बी में स्थित रॉल्स-रॉयस फैक्ट्री में परमाणु रिएक्टर बनाने की क्षमता बढ़ेगी। इससे ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में बीएई सिस्टम्स द्वारा पनडुब्बियों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। 

'क्वाड' से मिलेगी सुरक्षा

बता दें कि आस्ट्रेलिया के साथ ही अमेरिका, जापान और भारत 'क्वाड' के सदस्य हैं। क्वाड संगठन से चीन चिढ़ता है। इस साल होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत करने जा रहा है। इसे लेकर अमेरिकी सरकार काफी उत्साहित दिख रही है। अमेरिका का कहना है कि भारत की अध्यक्षता में भी क्वाड से जुड़े कार्यों की गति बरकरार रहेगी। क्वाड की सफलता सिर्फ अमेरिका के लिए नहीं बल्कि भारत, जापान और आस्ट्रेलिया के लिए भी है।

हिंद प्रशांत क्षेत्र में साझा मजबूती 'क्वाड' का लक्ष्य

बता दें कि क्वाड समूह में 4 सदस्य देश हैं। इसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल है। अप्रत्यक्ष तौर पर इसे हिंद और प्रशांत महासागर में चीन के बढ़ते दबाव को कम करने और उसे हैंडल करने के लिए बनाया गया था। हालांकि क्वाड समूह के देश ऐसा सीधेतौर पर स्वीकार करने से बचते हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र स्वतंत्र हो, खुले हों और समृद्ध हों यही क्वाड का साझा दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि क्वाड से इंडो पैसिफिक क्षेत्र को लाभ मिल रहा है।

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