Sunday, April 28, 2024
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ताइवान की ओर चीन ने भेजे दर्जनों लड़ाकू विमान, ताइवानी सेना ने मिसाइल सिस्टम एक्टिव करके किया पीछा

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की हालिया अमेरिका यात्रा से भड़के चीन ने शनिवार को ताइवान जलडमरूमध्य की तरफ युद्धपोत और दर्जनों लड़ाकू विमान भेजे। इससे अफरातफरी मच गई। ऐसा पहली बार नहीं है, जब चीन ने ताइवान की ओर अपने लड़ाकू विमान भेजा हो। इसस पहले भी चीन ताइवान पर मानसिक दबाव बनाने के मकसद से ऐसा कर चुका है।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: April 08, 2023 21:46 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : AP प्रतीकात्मक फोटो

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की हालिया अमेरिका यात्रा से भड़के चीन ने शनिवार को ताइवान जलडमरूमध्य की तरफ युद्धपोत और दर्जनों लड़ाकू विमान भेजे। इससे अफरातफरी मच गई। ऐसा पहली बार नहीं है, जब चीन ने ताइवान की ओर अपने लड़ाकू विमान भेजा हो। इसस पहले भी चीन ताइवान पर मानसिक दबाव बनाने के मकसद से ऐसा कर चुका है। इस बार चीन ने यह कदम वेन और अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी के बीच हुई मुलाकात से नाराज होकर उठाया है।

चीन दावा करता है कि ताइवान उसका हिस्सा है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने कहा कि ‘लड़ाकू तैयारी से संबंधित तीन दिवसीय गश्त’ की शुरुआत ताइवान के लोगों को चेतावनी के तौर पर की गयी है। पीएलए ने यह संकेत नहीं दिया है कि वह इस गश्त में पिछले अभ्यास की तरह प्रक्षेपास्त्रों को शामिल करेगी या नहीं। उस अभ्यास की वजह से क्षेत्र में समुद्री और हवाई परिवहन प्रभावित हुआ था। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष मैक्कार्थी ने बृहस्पतिवार को कैलिफोर्निया में ताइवानी राष्ट्रपति वेन के साथ बातचीत की थी। इसी के साथ वह उन विदेशी जनप्रनिधियों में शामिल हो गए थे, जो चीन की धमकी के बीच वेन से मिले। बीजिंग ने मैक्कार्थी और वेन की मुलाकात के बाद शुक्रवार को ताइवानी राष्ट्रपति के अमेरिका दौरे से जुड़े अमेरिकी समूहों और व्यक्तियों के खिलाफ यात्रा एवं वित्तीय प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।

ताइवान सीमा के पास देखे गए 71 विमान

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि ताइवान के पास शनिवार को आठ युद्धपोत और 71 विमान देखे गए, जिनमें से 45 ने जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार किया। यह रेखा ताइवान और चीन को अलग करती है। मंत्रालय के अनुसार, इनमें चेंगदू जे-10, शेनयांग जे-11 और शेनयांग जे-16 जेट लड़ाकू विमान शामिल हैं। स्थानीय समुद्री प्राधिकरण ने घोषणा की कि नौसेना ने शनिवार को भी ताइवान के सामने फुजियान प्रांत में लुओयुआन बे में ‘लाइव फायर ट्रेनिंग’ आयोजित करने की योजना बनाई। इस दौरान जहाजों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। पीएलए ने एक बयान में कहा, ‘‘यह ताइवान की अलगाववादी ताकतों और बाहरी ताकतों के बीच मिलीभगत और उकसावे के खिलाफ एक गंभीर चेतावनी है। ‘ज्वाइंट स्वोर्ड’ अभ्यास राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए जरूरी है।’’ वहीं, ताइवान की सेना ने कहा कि मिसाइल रक्षा प्रणाली को सक्रिय कर दिया गया है और चीनी विमानों का पता लगाने के लिए हवाई और समुद्री गश्ती दल भेजे गये हैं।

क्या है विवाद

ताइवान गृह युद्ध के बाद 1949 में चीन से अलग हो गया था। चीन इस द्वीप पर दावा जताता है और इसे मुख्य भूमि से जोड़ने की बात करता है, भले ही इसके लिए बल का इस्तेमाल क्यों न करना पड़े। पीएलए के एक बयान में कहा गया है, "यह ताइवान की स्वतंत्रता की अलगाववादी ताकतों और बाहरी ताकतों के बीच मिलीभगत और उकसावे के खिलाफ एक गंभीर चेतावनी है।" ताइवानी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "हम इस तरह के तर्कहीन कृत्य की निंदा करते हैं, जिसने क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को खतरे में डाल दिया है।" चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सरकार ने पास में लड़ाकू जेट और बमवर्षक विमान उड़ाकर तथा समुद्र में मिसाइल दागकर ताइवान को डराने के प्रयास तेज कर दिए हैं। सैन्य विश्लेषकों का सुझाव है कि हमले की स्थिति में एक संभावित चीनी रणनीति समुद्र और हवाई यातायात को अवरुद्ध करके, अमेरिका, जापान या अन्य सहयोगियों को हस्तक्षेप करने या आपूर्ति भेजने से रोककर ताइवान पर आत्मसमर्पण करने के लिए दबाव डालने की कोशिश करना है। समाचार पत्र ‘द चाइना डेली’ ने शनिवार को कहा कि पीएलए समुद्र, हवा और सूचना पर हावी होने और "प्रतिरोध एवं दमन की स्थिति बनाने" की अपनी क्षमता का परीक्षण कर रही है।

ताइवान और चीन के बीच अरबों डॉलर के व्यापार और निवेश संबंध हैं, लेकिन कोई आधिकारिक संबंध नहीं है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, कैबिनेट के ताइवान मामलों के कार्यालय के प्रवक्ता झू फेंग्लियान ने कहा, "हम ताइवान की स्वतंत्रता के लिए किसी भी रूप में अलगाववादी गतिविधियों के लिए जगह नहीं छोड़ेंगे और निश्चित रूप से किसी भी विदेशी हस्तक्षेप को हराने के लिए दृढ़ कदम उठाएंगे।" झू के हवाले से शुक्रवार को कहा गया, "हमारे देश का फिर से पूर्ण एकीकरण होना चाहिए और यह बिना किसी संदेह के साकार हो सकता है।

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