Sunday, April 28, 2024
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मुस्लिम देश में भी मुसलमान धर्म छोड़ना चाहती है महिला? अदालत ने दिया यह फैसला

एक ऐसा मुस्लिम देश है, जहां अक्सर इस्लाम धर्म छोड़ने से जुड़े मामले सामने आते रहे हैं। हाल ही में एक और ऐसा मामला आया, जिसमें महिला ने इस्लाम धर्म छोड़ने के लिए कोर्ट से गुहार की। उसने कहा कि उसकी मां ने कलमा पढ़ा था, तब वो सिर्फ 2 साल की थी। इसलिए उसने कलमा नहीं पढ़ा है। जानें कोर्ट का क्या फैसला रहा?

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: November 08, 2023 19:09 IST
मुस्लिम देश में भी मुसलमान धर्म छोड़ना चाहती है महिला?- India TV Hindi
Image Source : FILE मुस्लिम देश में भी मुसलमान धर्म छोड़ना चाहती है महिला?

Malaysia News: मुस्लिम देश मलेशिया में इस्लाम धर्म छोड़ने के कई मामले सामने आते रहे हैं। इनमें कोर्ट से लेकर शरीया अदालत के चक्कर लगाने पड़ते हैं। ऐसा ही एक और मामला आया है जिसमें महिला ने अदालत से इस्लाम धर्म छोड़ने के लिए याचिका दायर की। महिला ने याचिका दायर करते हुए दलील दी थी कि जब वह दो साल की थी तब उसकी मां ने कलमा पढ़कर मुस्लिम धर्म अपनाया था, लेकिन उसने कलमा नहीं पढ़ा। लिहाजा वह इस्लाम धर्म छोड़कर वापस आदिवासी रीति रिवाज के अनुसार जीना चाहती हैं। इस पर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।

जानिए महिला ने क्या दी थी दलील?

मुस्लिम देश मलेशिया के शहर कुआंटन की हाईकोर्ट ने ओरंग असली आदिवासी समुदाय की एक महिला को दोबारा अपने आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार जीने से मना करते हुए कहा है कि उसे इस्लाम धर्म का पालन करना होगा। इस महिला का दावा है कि वो ओरंग असली आदिवासी समुदाय के जकुन जनजाति से ताल्लुक रखती है और जब वो दो साल की थी तब उसकी मां ने इस्लाम कबूल कर लिया था।

जज ने याचिका खारिज करके क्या कहा?

इस्लाम धर्म छोड़ने की महिला की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट के जज जैनल आजमान अब अजीज ने कहा कि याचिका के जरिए महिला का मकसद इस्लाम धर्म का त्याग करना है और यह ऐसा मसला है कि जो सिविल कोर्ट के अधिकार क्षेत् में ही नहीं आता है।स्थानीय मीडिया के अनुसार जज ने कहा कि 'मुकदमे का विषय कोर्ट के ​नहीं, ​बल्कि शरीया अदालत के विशषाधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है। अदालत ने सुनवाई के दौरान पेश किए गए सबूतों के आधार पर माना कि महिला का पालन-पोषण उसकी मां ने इस्लामी जीवनशैली के अनुसार किया जिसने इस्लाम अपना लिया था।

इस्लामिक फैमिली लॉ एक्ट का दिया हवाला

जैनल ने पहांग (मलेशिया का राज्य जिसकी राजधानी कुआंटन है) इस्लामिक फैमिली लॉ एक्ट का भी हवाला दिया, जिसमें यह प्रावधान है कि बच्चे उस माता-पिता का धर्म अपनाएंगे जिन्होंने उनकी देखरेख की हो।  वहीं, महिला का कहना है कि जब उसकी मां ने इस्लाम अपनाया तब वो महज दो साल की थी। अत: उसने इस्लाम कबूल करने के लिए जरूरी होने वाला कलमा नहीं पढ़ा हे, इसलिए उसे इस्लाम छोड़ने की अनुमति ​दी जाए।  

पहले भी मलेशिया में आते रहे हैं इस तरह के मामले

पहले भी इस्लाम धर्म छोड़ने के इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं। साल 2022 में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था जिसमें मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर की एक अदालत ने धर्मांतरण के एक मामले की न्यायिक समीक्षा करने से इनकार कर दिया था। दरअसल, शरिया कोर्ट ने मुस्लिम माता-पिता से जन्मी एक महिला के इस्लाम छोड़ने पर पाबंदी लगा दी थी। इसके खिलाफ उसने कुआलालंपुर कोर्ट का रुख किया था। लेकिन कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज कर दी थी।

 

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