Sunday, April 28, 2024
Advertisement

रूस के साथ तेल खरीदने में हो गया 'खेला', रूबल-रुपए में व्यापार असंतुलन से फंसा पेंच, जानें क्या बोला Russia?

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार चीन के बाद भारत का सबसे ज्यादा व्यापार घाटा रूस के साथ है। भारत की कोशिश रही है कि व्यापार के लिए रुपये-रूबल मैकेनिजम का ही इस्तेमाल हो। इस मैकेनिज्म में भारत रूस को भारतीय मुद्रा में भुगतान करेगा और रूस भारत को रुबल में भुगतान करेगा।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: May 12, 2023 16:19 IST
रूस के साथ तेल खरीदने में हो गया 'खेला', रूबल-रुपए में व्यापार असंतुलन से फंसा पेंच, जानें क्या बोला- India TV Hindi
Image Source : FILE रूस के साथ तेल खरीदने में हो गया 'खेला', रूबल-रुपए में व्यापार असंतुलन से फंसा पेंच, जानें क्या बोला Russia?

 

रूस और यूक्रेन की जंग जबसे शुरू हुई, भारत ने रिकॉर्ड तेल खरीदी रूस से की है। आलम यह रहा कि जिस इराक से  सबसे ज्यादा तेल भारत खरीदता था, उसे भी पीछे छोड़कर रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार भारत हो गया। सस्ता तेल खरीदने से भारत को फायदा तो काफी हुआ। लेकिन रुपए और रुबल में लेनदेन से मामला फंस गया। क्योंकि भारत को फायदा हुआ, लेकिन बंपर तेल आयात ​के कारण भारत का व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। यानी भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात किया, लेकिन बदले में भारत की ओर से निर्यात कुछ नहीं रहा।

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार चीन के बाद भारत का सबसे ज्यादा व्यापार घाटा रूस के साथ है। भारत की कोशिश रही है कि व्यापार के लिए रुपये-रूबल मैकेनिजम का ही इस्तेमाल हो। इस मैकेनिज्म में भारत रूस को भारतीय मुद्रा में भुगतान करेगा और रूस भारत को रुबल में भुगतान करेगा। इससे भारत को और रूस को डॉल्र या यूरो जैसी दूसरी मुद्रा पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। दरअसल, यूक्रेन के साथ युद्ध से पहले रूस ने भारत से भारतीय रुपए में ही लेनदेन को लेकर बात कही थी, लेकिन जब जंग शुरू हुई तो रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लग गए। इस कारण रुपए और रूबल की व्यवस्था बहुत सक्सेसफुल नहीं रही। 

रूस के विदेश मंत्री भी बता चुके हैं मजबूरी

हालांकि, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव हाल के समय में कह चुके हैं कि भारतीय बैंकों में हमारे अरबों रुपये जमा हैं, लेकिन हम उसका उपयोग नहीं कर सकते हैं। साफ है कि भारतीय बैंकों में जमा रूस के रुपए उसके लिए एक तरह से बेकार हैं और वह इसका उपयोग नहीं कर सकता है। भारत के लिए यह बयान इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि भारत सरकार पिछले कई महीनों से लगातार रूस पर इस बात का दबाव बना रही है कि रूसी तेल खरीद के लिए जरूरी है कि रूस अपने भुगतान माध्यम में सुधार करे। 

भारत को कहां आ रही दिक्कत?

जब रूस के विदेश मंत्री एससीओ समिट में हिस्सा लेने के लिए गोवा आए थे, तब ​भारतीय समकक्ष के साथ चर्चा में उन्होंने इस बात का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि 'भारतीय बैंकों में रूस के अरबों रुपये जमा हैं, लेकिन हम इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। यह एक बड़ी समस्या है।. हमें इन पैसों की जरूरत है लेकिन हम इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं। इसे इस्तेमाल में लाने के लिए हमें पहले भारतीय रुपयों को किसी दूसरी करेंसी में चेंज कराना होगा। इस मुद्दे पर भारत सरकार से चर्चा की जा रही है।' दरअसल, भारत रूबल में भी भुगतान नहीं करना चाहता है क्योंकि प्रतिबंधों के बीच वैश्विक बाजार में रूस की मुद्रा की उचित कीमत हासिल करने में भारत को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.

भारत को 'ना', चीन को 'हां'?

रूस एक ओर भारतीय मुद्रा में तेल खरीदने बेचने से कतरा रहा है। वहीं दूसरी ओर चीन को चीनी मुद्रा युआन के बदले तेल बेच रहा है। चीन के केंद्रीय बैंक के डेटा का हवाला देते हुए रॉयटर्स ने बताया है कि दोनों देशों के बीच क्रॉस-बॉर्डर इंटरबैंक भुगतान प्रणाली में लगभग 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। चीन ने पिछले साल की तुलना में लगभग 51 प्रतिशत ज्यादा रूसी तेल खरीदा है। इस दौरान चीन ने कुल 88 अरब डॉलर का तेल आयात किया है। इसमें से ज्यादातर भुगतान चीनी मुद्रा युआन किया गया।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Europe News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement