Saturday, April 27, 2024
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मनीष सिसोदिया के लिए आज बहुत बड़ा दिन, जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली शराब घोटाले में पिछले काफी समय से तिहाड़ जेल में बंद हैं। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी

Sudhanshu Gaur Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: October 12, 2023 11:51 IST
Manish Sisodia- India TV Hindi
Image Source : FILE मनीष सिसोदिया

Manish Sisodia: दिल्ली शराब घोटाले में पिछले कई महीनों से बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के लिए आज बड़ा दिन है। मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत को लेकर वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी करेंगे। पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस खन्ना की बेंच ने ED से उसके द्वारा पेश तथ्यों के आधार पर पूछा कि वो सबूत कहां है जो यह साबित करते हों कि मनीष सिसोदिया मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी हैं।

कोर्ट ने ED से सबूतों के बारे में पूछा 

वहीं मनीष सिसोदिया के द्वारा द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में पांच अक्टूबर को भी सुनवाई हुई थी। उस दौरान कोर्ट ने ED से सवाल पूछते हुए कहा था कि उनके खिलाफ सबूत कहां हैं। वह पिछले कई महीनों से जेल में बंद हैं। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने ED से पूछा कि सबूतों की कड़ी एक-दूसरे से नहीं जुड़ रही है। आपकी दलीलें अनुमान पर आधारित हैं, जबकि यह सबूतों पर आधारित होनी चाहिए।

6 मार्च को ईडी ने किया था गिरफ्तार  

सुप्रीम कोर्ट ने ED से कहा कि सरकारी गवाह बने कारोबारी दिनेश अरोड़ा के बयान के अलावा सिसोदिया के खिलाफ सबूत कहां हैं। सिसोदिया को अगर पैसे मिले तो किसने दिया और यह उन तक कैसे पहुंचा? पैसे देने वाले बहुत सारे लोग हो सकते हैं। जरूरी नहीं कि यह शराब से जुड़ा हो। बता दें कि ED ने मनीष सिसोदिया को जेल से ही 6 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था। उस समय वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में सीबीआई वाले मामले में गिरफ्तार थे और वह 26 फरवरी को सीबीआई के द्वारा गिरफ्तार किए गए थे। 

दिल्ली शराब घोटाले मामले में बंद हैं सिसोदिया 

ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोप लगाया है कि 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कुछ शराब डीलरों का पक्ष लिया गया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी। सरकार ने यह नीति लागू भी कर दी थी लेकिन बाद में बवाल बढ़ता देख इसे रद्द कर दिया गया और दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की और ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी।

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