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ट्रेन ट्रैफिक को मैनेज करने के लिए इस्तेमाल होता है यह खास सिस्टम, जानें किस तरह करता है काम

भारतीय रेलवे में ट्रेन के परिचालन को नई और एडवांस टेक्नोलॉजी के जरिए मैनेज किया जाता है। आधुनिक सिस्टम लगाने का काम कई बड़े जंक्शन और महत्वपूर्ण सेक्शन में किया जा चुका है, जबकि अभी भी कुछ जगहों पर इसे लगाया जाना है। भारतीय रेलवे का यह कम्युनिकेशन सिस्टम कैसे काम करता है, आइए जानते हैं...

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Updated on: June 18, 2024 15:56 IST
Train Traffic Management, CTC, Indian Railways- India TV Hindi
Image Source : PTI Train Traffic Management CTC

भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है। पूरे देश में डेली हजारों ट्रेन का परिचालन किया जाता है। इसके लिए रेलवे ने एडवांस कम्युनिकेशन सिस्टम लगाया है। यह कम्युनिकेशन सिस्टम एक सेंट्रलाइज्ड जगह से मैनेज किया जाता है, ताकि ट्रेन को अपने गंतव्य तक पहुंचने में कोई दिक्कत न हो। पिछले कुछ सालों में भारतीय रेलवे में कई बड़े हादसे हुए हैं, जिनमें से एक हादसा आज यानी 17 जून को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन के पास हुआ है। इस हादसे में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी हैं, जबकि 60 से ज्यादा लोग घायल हैं।

भारतीय रेलवे में इस तरह के हादसे आम तौर पर ट्रेन मैनेजमेंट और सिग्नलिंग में हुई गड़बड़ी की वजह से होती है। हालांकि, दार्जिलिंग वाले ट्रेन हादसे में ड्राइवर की लापरवाही की बात सामने आ रही है। आइए, जानते हैं कि भारतीय रेलवे नेटवर्क में ट्रेन को किस तरह से मैनेज किया जाता है और इसमें कौन सा सिस्टम यूज हो रहा है?

क्या है CTC?

भारतीय रेलवे द्वारा फरवरी 2022 में प्रकाशित एक हैंडबुक के मुताबिक, इंडियन रेलवे में सेंट्रलाइज्ड ट्रैफिक कंट्रोल (CTC) सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। यह सिस्टम सबसे पहले 1966 में नार्थ ईस्टर्न रेलवे की गोरखपुर-छपरा सेक्शन में लगाया गया था। इसके बाद से ट्रेन ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम में कई बार तकनीकी एडवांसमेंट किए गए हैं, ताकि ट्रेन का सही तरीके से परिचालन सुनिश्चित किया जा सके। मौजूदा सेंट्रलाइज्ड ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम मॉडर्न सिग्नलिंग एसेस्ट जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और कम्युनिकेशन मीडिया के लिए ऑप्टिकल फाइबर कम्युनिकेशन केबल पर बेस्ड है।

बड़े जंक्शन और सेक्शन पर सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल और सुपरविजन किया जाता है। यहां से उस सेक्शन के सभी सिग्नल और प्वाइंट्स कंट्रोल किए जाते हैं, ताकि ट्रेन की आवाजाही सही तरीके से हो सके। हालांकि, अभी भी देश के कई सेक्शन में मॉडर्न CTC का इंस्टालेशन चल रहा है और इंटरलॉकिंग का काम किया जा रहा है।

CTC Controller Desk

Image Source : INDIAN RAILWAYS
CTC Controller Desk

CTC कैसे करता है काम?

सेंट्रलाइज्ड ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम एक कंप्युटराइज्ड बेस्ड सिस्टम है, जो कई सिग्नलिंग और इंटरलॉकिंग को एक जगह से मैनेज कर सकता है। हाई स्पीड ट्रेन और मैट्रो रेल के परिचालन के लिए मॉडर्न कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (CBTC) इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ऑटोमैटिक ट्रेन कंट्रोल सिस्टम है, जो ट्रेन लोकेशन की सटीक जानकारी प्रदान करता है। इस सिस्टम में ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) फंक्शन, ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन (ATO) और ऑटोमैटिक ट्रेन सुपरविजन (ATO) तीनों शामिल हैं। ट्रेन के परिचालन के लिए मुख्य तौर पर चार ग्रेड ऑफ ऑटोमेशन (GoA) प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है।

GoA 0- इसे ऑन-साइट या नो ऑटोमेशन कहा जाता है।

GoA 1- यह मैनुअल ऑटोमेशन है, जिसमें ड्रावइर के पास ट्रेन ऑपरेशन का सारा कंट्रोल रहता है। भारतीय रेलवे फिलहाल इस ग्रेड ऑफ ऑटोमेशन के तहत ट्रेन का परिचालन करती है।
GoA 2- इसे सेमी-ऑटोमैटिक ऑपरेशन या STO भी कहा जाता है, जिसमें ट्रेन स्टार्ट होने और रोकने का काम ऑटोमैटिकली किया जाता है, लेकिन ड्राइवर ट्रेन में बैठकर इमरजेंसी की स्तिथि में ट्रेन का कंट्रोल अपने हाथ में ले सकते हैं। यही नहीं, ड्राइवर ट्रेन के दरवाजे या फिर अन्य चीजों को कंट्रोल कर सकते हैं।
GoA 3- इसे ड्राइवरलेस ट्रेन ऑपरेशन यानी DTO भी कहा जाता है। इसमें ट्रेन का हर सिस्टम ऑटोमैटिकली ऑपरेट होता है। क्रू मेंबर्स को केवल दरवाजों को ऑपरेट करने के लिए रखा जाता है।
GoA 4- यह सबसे एडवांस ट्रेन ऑपरेशन है, जिसे अनअटेंडेड ट्रेन ऑपरेशन या UTO भी कहा जाता है। इसमें ट्रेन के परिचालन से लेकर दरवाजों तक के ऑपरेशन के लिए किसी चीज की जरूरत नहीं होती है। इस ऑटोमेशन का इस्तेमाल केवल चुनिंदा मैट्रो के परिचालन के लिए किया जाता है।

मौजूदा ट्रेन परिचालन में इस्तेमाल होने वाले CBTC सिस्टम में नई कम्युनिकेशन सिस्टम, ATS सिस्टम और इंटरलॉकिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि ट्रेन की सुरक्षित आवाजाही की जा सके। बड़े लेवल पर ट्रेन को मैनेज करने के लिए मॉडर्न सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल सिस्टम का होना बेहद जरूरी है।

ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP)

भारतीय रेलवे ने इसके अलावा ट्रेन एक्सीडेंट पर लगाम लगाने के लिए Kavach सिस्टम भी कई जोन में लगाना शुरू कर दिया है। कवच सिस्टम लगाए जाने के बाद एक ही ट्रैक पर आने वाली गाड़ियों के बीच में उचित फासला होगा और उसके टकराने की संभावना खत्म हो जाएगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कवच सिस्टम को पिछले दिनों टेस्ट किया था और उसका एक वीडियो भी जारी किया था। हालांकि, भारतीय रेलवे कवच एंटी कॉलिजन सिस्टम को 2012 में लेकर आया था, जिसे 2015 से लेकर 2017 के बीच कई जगहों पर टेस्ट किया गया था।

 

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