Donald Trump on Antifa: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से 'एंटीफा' को निशाना बनाया है। ब्रिटेन की राजकीय यात्रा पर होने के बावजूद, उन्होंने देर रात सोशल मीडिया पर पोस्ट कर घोषणा की कि वह एंटीफा को 'एक प्रमुख आतंकी संगठन' घोषित करने की योजना बना रहे हैं। ट्रंप ने इसे 'बीमार, खतरनाक और रैडिकल लेफ्ट की आपदा' करार दिया और इसकी फंडिंग करने वालों की जांच की सिफारिश की। लेकिन सवाल यह है कि एंटीफा आखिर है क्या? यह कोई एक संगठन तो नहीं है, फिर ट्रंप इसे आतंकी संगठन कैसे ठहरा सकते हैं? आइए, समझने की कोशिश करते हैं।
एंटीफा में शामिल हैं कई छोटे-छोटे ग्रुप्स
एंटीफा (Antifa) का पूरा नाम 'एंटी-फासिस्ट' है, यानी फासीवाद-विरोधी। 'एंटी-फासिस्ट' को ही छोटे रूप में एंटीफा कहा जाता है। यह कोई एक केंद्रीय संगठन या पार्टी नहीं है, बल्कि बिखरा हुआ (डिसेंट्रलाइज्ड) आंदोलन है। इसमें कई छोटे-छोटे ग्रुप शामिल हैं, जिनका झुकाव 'फार-लेफ्ट' या कट्टर वामपंथ की तरफ है। ये लोग फासीवाद, नियो-नाजी विचारधारा और दक्षिणपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ते हैं। खासकर प्रदर्शनों या रैलियों में वे फासीवादी गुटों का विरोध करते हैं। ये ग्रुप्स अराजकता और साम्यवाद जैसे विचारों से प्रभावित हैं।
एंटीफा का मानना है कि फासीवाद लोकतंत्र को खत्म कर सकता है, इसलिए इसका मुकाबला करने के लिए कड़े कदम उठाने पड़ते हैं, कभी शांतिपूर्ण विरोध से, तो कभी सड़कों पर टकराव से। अमेरिका में एंटीफा के सदस्य अक्सर काले कपड़े पहनते हैं और अपना चेहरा ढके रहते हैं, ताकि पहचाने न जाएं। लेकिन समझने वाली बात यह है कि ये कोई आधिकारिक लिस्ट वाला संगठन नहीं है, बल्कि एक विचारधारा है।
जर्मन शब्द से पड़ा है एंटीफा नाम
एंटीफा का नाम जर्मन शब्द 'एंटीफासिस्टिश' (antifaschistisch) का छोटा रूप है। यह 1930 के दशक में जर्मनी में चलन में आया, जब कम्युनिस्ट पार्टी ने नाजीवाद के खिलाफ एक फ्रंट बनाया था – 'एंटीफासिस्टिश एक्शन'। फासीवाद का जन्म इटली में 1920 के दशक में हुआ था, जहां मुसोलिनी ने 'फास्कियो' शब्द से अपनी विचारधारा को फैलाना शुरू किया। जर्मनी में हिटलर के आने के बाद एंटीफा ने इसका विरोध किया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह नाम यूरोप से अमेरिका पहुंचा।
1980 के दशक में अमेरिका में 'एंटी-रैसिस्ट एक्शन' (ARA) नाम के ग्रुप ने पंक रॉक कॉन्सर्ट्स में व्हाइट सुप्रीमेसिस्ट्स को रोकना शुरू किया। 2007 में पोर्टलैंड में 'रोज सिटी एंटीफा' जैसे आधिकारिक ग्रुप बने। आज इसका लोगो दो झंडों वाला है, एक काले रंग का (अराजकता का प्रतीक) और एक लाल रंग का (साम्यवाद का प्रतीक)।
एंटीफा खबरों में क्यों बना रहता है?
एंटीफा हमेशा सुर्खियों में रहता है क्योंकि यह राजनीतिक टकराव का केंद्र है। अमेरिका में 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप की जीत के बाद यह तेजी से उभरा, जब कुछ लोगों ने 'ऑल्ट-राइट' यानी कि कट्टर दक्षिणपंथ को खतरा मानना शुरू किया। चार्लोट्सविले (2017) में व्हाइट सुप्रीमेसिस्ट रैली के खिलाफ एंटीफा ने विरोध किया, जिसमें जमकर हिंसा हुई। 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद 'ब्लैक लाइव्स मैटर' प्रदर्शनों में एंटीफा को हिंसा का दोषी ठहराया गया। BLM प्रदर्शनों के दौरान दुकानें लूटी गईं, पुलिस पर हमले हुए। ट्रंप ने तब कहा था कि एंटीफा 'घरेलू आतंकवाद' फैला रहा है।

अब 2025 में, चार्ली किर्क की हत्या के बाद ट्रंप ने इस पर फिर निशाना साधा है। आरोपी टायलर रॉबिन्सन ने गोलियों पर एंटीफा के नारे उकेरे थे। ट्रंप इसे 'रेडिकल लेफ्ट का अपराध' बता रहे हैं। वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि एंटीफा कोई संगठन नहीं, विचारधारा है और ऐसे में इसे आतंकी लिस्ट में डालना मुश्किल है। ट्रंप का यह कदम फंडिंग रोकने और RICO (रैकेटियरिंग) कानून से हमला करने का रास्ता खोल सकता है। लेकिन डेमोक्रेट्स का कहना है कि यह असहमति को दबाने की साजिश है।
ट्रंप की धमकी और प्रतिक्रियाएं
ट्रंप ने 18 सितंबर को ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया, 'मैं एंटीफा को एक प्रमुख आतंकी संगठन घोषित करने जा रहा हूं। यह बीमार, खतरनाक रैडिकल लेफ्ट की आपदा है। इसके फंडरों की जांच होनी चाहिए।' व्हाइट हाउस ने अभी डिटेल्स नहीं दिए हैं, लेकिन यह कदम जस्टिस डिपार्टमेंट को फंडिंग पर कार्रवाई करने की ताकत दे सकता है।
रिपब्लिकन सीनेटर बिल कैसिडी ने इसकी तारीफ करते हुए कहा है, 'एंटीफा ने जायज शिकायतों के आंदोलन को हिंसा और अराजकता के लिए इस्तेमाल किया, जो न्याय के खिलाफ है। राष्ट्रपति सही हैं। एंटीफा को घरेलू आतंकियों के रूप में मान्यता देकर उनकी विनाशकारी भूमिका को पहचानना जरूरी है।' जुलाई 2019 में कैसिडी और सीनेटर टेड क्रूज ने सीनेट में प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें एंटीफा के द्वारा की गई हिंसा की निंदा करने और इसे घरेलू आतंकी घोषित करने की मांग की गई थी। अब देखना यह है कि एंटीफा को रोकने की कोशिश में ट्रंप कितने कामयाब हो पाते हैं।