7.इस्लाम के पहले भी रखे जाते थे रोज़े
रोज़े का चलन इस्लाम आने के पहले से था। इसका ज़िक्र हिब्रो बाइबिल में मिलता है। बाइबिल के अनुसार महारानी एस्थर जब अपने राजा पति से यहूदियों की प्राणरक्षा के लिए मिलने जा रही थी तब उन्होंने यहूदियों से तीन दिन तक उपवास रखने को कहा था। ईसा मसीह ने भी रेगिस्तान में 40 दिन का उपवास रखा था।
8.खाड़ी में टीवी चैनलों की खूब होती है कमाई
अरब देशों में रमज़ान के महीने में टीवी चैनलों की टीआरपी ख़ूब बढ़ जाती है यानी चैनलों की कमाई कई गुना बढ़ जाती है। इन देशों में चैनल तीसों दिनों के लिए कार्यक्रम बनाते हैं जिनका प्रसारण रात को होता है।
9.रोज़े के बावजूद बढ़ जाता है वज़न
रमज़ान में अक़्सर देखा गया है कि रोज़ेदारों का वज़न घटने की बजाय बढ़ जाता है। इसका एक कारण तो ये है कि दिन भर उनकी कोई शारीरिक गतिविधियां नहीं होती और दूसरा ये कि रोज़ा खोलने के बाद वे ज़रुरत से ज़्यादा खा लेते हैं हालंकि क़ुरान में कम खाने की हिदायत दी गई है।
10.मुसलमान हो जाते हैं दरियादिल
रमज़ान के महीने में दान-पुण्य खूब होता है। मुसलमान इस मौक़े पर अपनी हैसियत के मुताबिक़ ज़कात देते हैं। मस्जिदों में इफ़्तार के लिए खाना दिया जाता है ताकि ग़रीब रोज़ा खोल सकें।