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क्या राष्ट्रपति रईसी की मौत बाद राजनीतिक संकट से बच सकता है ईरान, मिल रहे हैं संकेत

इब्राहिम रईसी के कार्यकाल में ईरान ने विदेश नीति के मामले में शानदार काम किया। रूस और चीन दोनों ही देशों के साथ ईरान के मजबूत संबंध बने। अब जब रईसी का निधन हो गया है तो कई तरह के सवाल भी उठ खड़े हुए हैं।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : May 21, 2024 16:06 IST, Updated : May 22, 2024 11:54 IST
इब्राहिम रईसी- India TV Hindi
Image Source : AP इब्राहिम रईसी

गीलॉन्ग: एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मृत्यु इस्लामी गणतंत्र ईरान के सबसे चुनौतीपूर्ण समय में से एक के दौरान हुई है। राजनीतिक वर्ग में एक खास मुकाम रखने वाले रईसी का ईरान की घरेलू नीतियों पर गहरा प्रभाव था। वह क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ संबंध सुधारने के ईरान के हालिया कदमों के केंद्र में भी थे। अब रईसी का निधन होने के बाद ईरान के घरेलू मामलों पर क्या असर होगा और इसका क्षेत्र में देश के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा...यह समय के साथ सामने आएगा। रईसी की सरकार रूढ़िवादी थी और उनके देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के साथ घनिष्ठ संबंध थे। दोनों पक्षों के बीच लगभग कोई संघर्ष या असहमति नहीं थी, जो पिछली सरकारों के विपरीत थी। 

रईसी की अहम भूमिका

रईसी को 85 वर्षीय खामेनेई, जो 35 वर्षों से देश के सर्वोच्च नेता का पद संभाल रहे हैं, के उत्तराधिकारी की दौड़ में अग्रणी उम्मीदवारों में से एक माना जाता था। देश के रूढ़िवादी हलकों में उनके व्यापक प्रभाव ने उन्हें ईरान के नेतृत्व के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बना दिया था। हालांकि, उनकी मृत्यु, जो उनके दूसरे कार्यकाल के समापन से एक साल पहले हुई, घरेलू, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों की पृष्ठभूमि के बीच हुई। 

मुश्किल दौर में ईरान 

ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए अमेरिका द्वारा लगाए गए गंभीर प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है और लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। सितंबर 2022 में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत पर देश ने अपने इतिहास के सबसे उग्र विरोध आंदोलनों में से एक का सामना किया। देश के विभिन्न हिस्सों में भी स्थानीय विरोध प्रदर्शन हुए, ज्यादातर आर्थिक संकट और सरकार की कुछ घरेलू नीतियों को लेकर। इसके अलावा, इस साल मार्च में संसदीय चुनावों में देश के इतिहास में सबसे कम मतदान दर देखी गई। नतीजतन, नए चुनाव कराना, जो रईसी की मृत्यु के 50 दिनों के भीतर अनिवार्य है, ऐसे समय में शासन के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है।

अफवाहों का दौर

यही नहीं, इजराइल के साथ चल रहे तनाव को लेकर हाल में जिस तरह की घटनाएं हुई हैं उससे गंभीर सुरक्षा चुनौतियाां पैदा हुई हैं। जनता में अफवाहों ने जोर पकड़ लिया है कि राष्ट्रपति का हेलीकॉप्टर दुर्घटना इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, ड्रोन हमले या यहां तक ​​​​कि इजराइल द्वारा किए गए जमीनी हमले का परिणाम था। (सरकारी समाचार एजेंसी इरना ने कहा कि दुर्घटना ‘‘तकनीकी विफलता’’ के कारण हुई थी।) अब नए चुनाव होने तक उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कदम रखा है। ऐसे में उम्मीद की जाती है कि सर्वोच्च नेता के करीबी न्यूनतम चुनौतियों के साथ चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएंगे। जैसा कि खामेनेई ने एक्स पर पोस्ट किया: देश को चिंतित या परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि देश का प्रशासन बाधित नहीं होगा। 

रईसी का अलग रुख 

अपने कार्यकाल के दौरान, रईसी ने देश की विदेश नीति को मध्य पूर्व की ओर अधिक स्थानांतरित कर दिया, जिससे यह सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई। यह उनके पूर्ववर्ती हसन रूहानी की नीतियों के उलट है, जिन्होंने यूरोपीय देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने और अन्य पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने को प्राथमिकता दी थी। उदाहरण के लिए, रईसी के राष्ट्रपति काल के दौरान, इराक ने ईरान और सऊदी अरब के बीच पांच दौर की वार्ता की मेजबानी की, जिसका समापन 2023 की शुरुआत में दोनों के बीच संबंधों के ऐतिहासिक सामान्यीकरण में हुआ। मतलब साफ था कि ईरान अपने पड़ोसियों के साथ रणनीतिक, दीर्घकालिक, मजबूत संबंध बनाने के लिए गंभीर था। 

रूस और चीन के साथ मजबूत हुए संबंध 

इसके अतिरिक्त, ईरान ने हाल ही में इराक की मदद से जॉर्डन और मिस्र के साथ महत्वपूर्ण बातचीत की है। रईसी के राष्ट्रपति रहने के दौरान ईरान की चीन और रूस दोनों के साथ घनिष्ठता बढ़ी, जो सर्वोच्च नेता द्वारा समर्थित पूर्व की ओर एक रणनीतिक, दीर्घकालिक झुकाव को दर्शाता है। हालांकि, ईरान ने रूहानी के कार्यकाल की तुलना में अलग रणनीति अपनाते हुए, अपने परमाणु कार्यक्रम पर पश्चिमी शक्तियों के साथ बातचीत जारी रखी। नए राष्ट्रपति के तहत ईरान की विदेश नीति वैसी ही रहने की संभावना है। 

जारी रहेंगे सुधार 

हेलीकॉप्टर दुर्घटना (जिसने वर्तमान विदेश मंत्री की भी जान ले ली) के बाद कार्यवाहक विदेश मंत्री के रूप में अली बाघेरी कानी की नियुक्ति इस निरंतरता को मजबूत करती है। कानी, जिन्होंने रईसी के तहत परमाणु वार्ता का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, देश की स्थापित विदेश नीति दिशा के अनुरूप हैं। इसके अलावा, ईरान के अपने पड़ोसियों के साथ घनिष्ठ संबंध अलगाव से अधिक स्थायी बदलाव का संकेत देते हैं, इसमें सुधार जारी रहने की संभावना है। (भाषा: द कन्वर्सेशन)

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