Friday, April 19, 2024
Advertisement

मेधा पाटकर को जेल में काटनी पड़ेगी आजादी की रात, 17 अगस्त को होगी सुनवाई

आजादी की सालगिरह के मौके पर विभिन्न जेलों में बंद अपराधी और आरोपियों को अच्छे आचरण के चलते सजा में कटौती या माफी दी जाती है, मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गरीबों और विस्थापितों की लड़ाई लड़ने वाली नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर को आजादी...

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: August 13, 2017 11:19 IST
activist medha patkar ends fast after 17 days- India TV Hindi
activist medha patkar ends fast after 17 days

भोपाल: आजादी की सालगिरह के मौके पर विभिन्न जेलों में बंद अपराधी और आरोपियों को अच्छे आचरण के चलते सजा में कटौती या माफी दी जाती है, मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गरीबों और विस्थापितों की लड़ाई लड़ने वाली नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर को आजादी की रात मध्यप्रदेश की धार जेल में काटनी होगी। किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुनील ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा, "आजादी के मौके पर वे सजायाफ्ता कैदी भी जेल से रिहाई का इंतजार करते हैं, जिन पर संगीन अपराध होते हैं, मगर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा को आजादी की रात धार जेल में गुजारनी होगी। ऐसी अनहोनी सरकार के रवैयों के कारण होने जा रही है। मेधा पर चार मामले दर्ज किए गए हैं, एक में जमानत मिल गई है, तीन पर सुनवाई 17 अगस्त को होगी, यानी 14-15 अगस्त की रात को वे जेल में रहेंगी।" (स्वाइन फ्लू से गुजरात में अब तक 138 लोगों की मौत, मुख्यमंत्री ने की बैठक)

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव बादल सरोज का कहना है, "15 अगस्त को देश आजादी की सालगिरह मना रहा होगा और मेधा जेल में होंगी। मेधा का कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होंने कॉर्पोरेट घरानों के खिलाफ सीधी लड़ाई छेड़ी है, वर्तमान की सरकारें तिरंगे में भी कॉर्पोरेट के हित देखती हैं।" ज्ञात हो कि सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से नर्मदा घाटी के लगभग 192 गांव में निवासरत 40 हजार परिवार के डूब में आना तय है। इन परिवारों के पुनर्वास के इंतजाम सरकार को करना थे, मगर हुई सिर्फ खानापूर्ति। आलम यह है कि पुनर्वास स्थलों पर सुविधाएं नाम की है, टीन के कमरे बना दिए गए हैं, बिजली का अता-पता नहीं है, शिक्षा व स्वास्थ्य का कोई इंतजाम नहीं है। लिहाजा, पहले पुनर्वास स्थलों पर बेहतर इंतजाम और फिर विस्थापन की मांग को लेकर मेधा पाटकर 27 जुलाई से धार जिले के चिखल्दा में मेधा उपवास पर बैठीं थी। उनके उपवास के 10 दिन तक तो प्रशासन और सरकार ने गौर नहीं किया, मगर हालत बिगड़ने पर उन्हें भारी पुलिस बल का प्रयोग कर जबरिया उपचार के नाम पर इंदौर के बॉम्बे अस्पताल ले जाया गया।

मेधा को आईसीयू में रखा गया और किसी से मिलने नहीं दिया गया। वे जब इंदौर से कार से बड़वानी जा रही थीं, तो उन्हें धार जिले की सीमा में शांति भंग होने की आशंका के चलते गिरफ्तार कर धार जेल भेज दिया गया। मेधा गुरुवार से धार जेल में है, शुक्रवार को तकनीकी गड़बड़ी के चलते वीडियो कॉफ्रेंसिग से उनकी पेशी नहीं हो पाई थी। शनिवार को धार न्यायालय से एक प्रकरण में उन्हें जमानत मिल गई और तीन पर सुनवाई होना है। तारीख 17 अगस्त तय की गई है। मेधा ने इंदौर से बड़वानी जाते वक्त अपनी गिरफ्तारी पर आश्चर्य जाहिर किया था और कहा था कि उन्हें लगता है कि यह सरकार आतंकवादियों जैसा व्यवहार कर रही है। उनसे किसे और कैसी अशांति हो सकती है। यह समझ से परे है। संभवत: देश में आपातकाल के बाद पहला ऐसा मौका होगा, जब मेधा जैसी सामाजिक कार्यकर्ता को आजादी की रात जेल में काटना होगी और वह भी उस सरकार के काल में जो आपातकाल का विरोध करती आ रही है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement