Monday, April 29, 2024
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मृतक संख्या में लगातार कमी आना Covid-19 के चरम पर पहुंचने से जु़ड़ा है: विशेषज्ञ

कोरोना वायरस के कारण रोजाना मरने वालों की संख्या में लगातार कमी आने के बाद ही निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि कोविड-19 भारत में अपने चरम पर पहुंचा था।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: June 30, 2020 17:32 IST
मृतक संख्या में...- India TV Hindi
Image Source : AP REPRESENTATIONAL IMAGE मृतक संख्या में लगातार कमी आना Covid-19 के चरम पर पहुंचने से जु़ड़ा है: विशेषज्ञ

बेंगलुरु: कोरोना वायरस के कारण रोजाना मरने वालों की संख्या में लगातार कमी आने के बाद ही निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि कोविड-19 भारत में अपने चरम पर पहुंचा था। प्रमुख लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने मंगलवार को यह बात कही। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि कोविड-19 के चलते लॉकडाउन के बाद लोगों की आवाजाही बढ़ने और मिलने-जुलने तथा जांच की दरों में वृद्धि के कारण देश में वायरस का तेज प्रसार नजर आ रहा है। उनके मुताबिक मामलों में बढ़ोतरी मुख्यत: बड़े शहरों में देखने को मिल रही है जबकि भारत के बड़े हिस्से में अब भी संक्रमण की अधिक तीव्रता नहीं दिख रही है।

पूर्व में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख रहे रेड्डी ने कहा, “इसलिए, हमारा काम उन स्थानों को सुरक्षित करना और वहां प्रसार को धीमा करने के साथ ही कुछ शहरी इलाकों में संक्रमण की दर को नीचे लाना है जहां संक्रमण के मामले बहुत बढ़ रहे हैं।” उन्होंने कहा कि जांच बढ़ने और जांच की कसौटियां बदलने से, यह कहना मुश्किल होगा कि कोविड-19 का प्रकोप कब चरम पर पहुंचेगा और कब यह नीचे आएगा। उन्होंने कहा, “लेकिन रोज मरने वालों की संख्या अगर नीचे आने लगे, तो हम इसके बारे में निश्चित हो सकेंगे।”

रेड्डी ने कहा, “क्यूंकि अगर रोजाना मरने वालों की संख्या करीब 10 दिन तक घटने लगे तो हम कह सकते हैं कि हम चरम पर पहुंचे थे और अब धीरे-धीरे लगातार नीचे आ रहे हैं।” उन्होंने यह भी गौर किया कि बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों तथा ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के मामले बहुत कम हैं। रेड्डी ने कहा, “इसलिए, आप यह नहीं कह सकते कि पूरे भारत में यह एक ही वक्त में बढ़ रहा है। अगर इनमें से कुछ राज्यों में संक्रमण फैलता है तो वे बाद में चरम पर पहुंचेंगे।”

उन्होंने कहा, “इसलिए, मुझे नहीं लगता कि हम भारत में इसे महामारी के एक चरण के रूप में देख रहे हैं। हमें इसे एकाधिक, एक साथ और अनुक्रमिक महामारी के तौर पर देखना होगा।”

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