Wednesday, May 15, 2024
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वैज्ञानिकों ने चेताया, ध्यान नहीं दिया तो केदारनाथ में फिर आ सकता है महाप्रलय

केदार का अर्थ दलदली भूमि से होता है। केदारनाथ में जगह-जगह जमीन से पानी निकलता है। प्रो. बिष्ट बताते हैं कि ऐसी जगहों पर काम किया जा रहा है, जहां पानी रिसता है। निर्माण कार्य से रिसाव अस्थायी रूप से बंद हो रहे हैं, लेकिन भविष्य में यह पानी के टैंक के

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: October 11, 2017 10:22 IST
kedarnath- India TV Hindi
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नई दिल्ली: भूवैज्ञानिकों ने हिंदुओं के पवित्र धाम केदारनाथ को लेकर डराने वाला खुलासा किया है। यहां अभी जो काम चल रहा है अगर वह ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही फिर से साल 2013 जैसी महाप्रलय आ सकती है। केदारनाथ क्षेत्र में किए जा रहे अंधाधुंध निर्माण कार्य पर एचएनबी केंद्रीय गढ़वाल विवि के भूवैज्ञानिक प्रो. एमपीएस बिष्ट ने गाद के ऊपर और एवलांच शूट के मुहाने पर किए जा रहे निर्माण कार्यों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने चेताया कि केदारनाथ में निर्माण कार्य करवाकर महाविनाश को दोबारा न्यौता दिया जा रहा है। ये भी पढ़ें: अय्याश निकली राम रहीम की लाडली हनीप्रीत, लड़कों से बनाती थी रिश्ता

उन्होंने कहा कि साल 2013 के महाविनाश से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया। केदारपुरी हो या गौरीकुंड-पैदल मार्ग सभी जगह अवैज्ञानिक ढंग से ग्लेशियर द्वारा लाए गए हिमोढ़ या गाद (मोरेन) के ऊपर और एवलांच शूट (ग्लेशियरों के तीव्रता से बहने वाला मार्ग) के मुहाने पर निर्माण कार्य चल रहा है। यह विस्फोटक स्थिति है और आपदा को दोबारा आमंत्रित करने जैसा है।

उन्होंने दो दिन पूर्व केदारनाथ का भ्रमण किया। वहां से लौटने के बाद उन्होंने एक हिंदी दैनिक अखबार से बात करते हुए कहा, केदारपुरी दोनों तरफ पहाड़ियों से ग्लेशियर द्वारा लाए गए मोरेन पर बसी है। केदारनाथ से रामबाड़ा तक की प्रकृति समान है। मोरेन मिट्टी और कंकड़ का मिश्रण होता है। इनके बीच तगड़ा जुड़ाव नहीं होता है। जब इसमें पानी का रिसाव होता है तो यह लूज मैटरियल बह जाता है। इसका नतीजा भूस्खलन के रूप में सामने आता है।

उन्होंने बताया कि मोरेन के ऊपर और एवलांच के मुहाने पर निर्माण कार्य चल रहे हैं। यानी कि दोहरा खतरा है। पहले केदारनाथ क्षेत्र में सीधे हिमपात ही होता था। ग्लेशियर धीरे-धीरे गलते थे और इसका पानी नुकसान नहीं पहुंचाता था, लेकिन वातावरण में बढ़ते तापमान से अतिवृष्टि होने लगी है। इससे एवलांच शूट खतरनाक हो गए हैं। बारिश का पानी एवलांच शूट के जरिए तीव्रता से हिमोढ़ में आएगा और सब कुछ बहा ले जाएगा।

प्रो. ने सरकार को केदारपुरी में एवलांच शूट के मुहाने पर निर्माण कार्य रोकने का सुझाव दिया है। वहीं, हिमोढ़ में अस्थायी निर्माण कार्य करने की सलाह दी है। जून 2013 में आए जल प्रलय के बाद विभिन्न संस्थानों ने केदारनाथ क्षेत्र में अध्ययन किया। सभी ने अपनी शोध रिपोर्ट में यह उल्लेख किया कि बारिश ने नुकसान की तीव्रता बढ़ाई है। इससे केदारनाथ सहित निचले क्षेत्र में व्यापक जान-माल की क्षति हुई। रामबाड़ा भी मोरेन पर बसा था, जिसका आपदा के बाद नामोनिशान मिट गया।

केदार का अर्थ दलदली भूमि से होता है। केदारनाथ में जगह-जगह जमीन से पानी निकलता है। बिष्ट बताते हैं कि ऐसी जगहों पर काम किया जा रहा है, जहां पानी रिसता है। निर्माण कार्य से रिसाव अस्थायी रूप से बंद हो रहे हैं, लेकिन भविष्य में यह पानी के टैंक के रूप में फटेंगे। केदारनाथ की सुरक्षा दीवार भी मोरेन के ऊपर टिकी है, जो सुरक्षित नहीं है। रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल कहते हैं, केदारनाथ में जियोलॉजिस्ट के सुझावों पर काम हो रहा है। अलबत्ता, स्टडी रिपोर्ट्स का अध्ययन कर रहा हूं, ताकि केदारनाथ में सुरक्षित निर्माण कार्य कराया जा सके।

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