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रायन इंटरनेशनल स्कूल: किसान का बेटा जिसने खड़ा कर दिया शिक्षा व्यापार का साम्राज्य

पिंटो को स्प्रिंग प्लास्टिक नामक एक फुटवियर कंपनी में नौकरी मिली लेकिन दो साल में ही उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ क्योंकि कंपनी ने अपना संचालन बंद कर दिया था। पिंटो को कुछ समय के लिए एक अच्छी नौकरी पाने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़, ज

Edited by: India TV News Desk
Published : Sep 13, 2017 01:55 pm IST, Updated : Sep 13, 2017 01:56 pm IST
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नई दिल्ली: गुरुग्राम के रायन इंटरनेशनल स्कूल में 7 साल के प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या के बाद यह स्कूल फिर से सुर्खियों में है। हर कोई यह जानना चाह रहा है कि कोई बाहरी कैसे बेधड़क स्कूल के टॉयलट में घुस सकता है और वह भी चाकू के साथ। देशभर में इस ग्रुप के 135 स्कूल हैं, जिनमें करीब 3 लाख छात्र पढ़ते हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता सुरक्षा को लेकर काफी डरे हुए हैं और इस स्कूल से जुड़े ग्रुप के बारे में जानना चाहते हैं। सभी के मन में सवाल है कि आखिर रायन इंटरनेशनल ग्रुप का मालिक कौन है? इस ग्रुप के कितने स्कूल संचालित हैं? आइए हम आपको बताते हैं…..

1976 में खोला पहला स्कूल

मुंबई के बोरीवली ईस्ट इलाके में खुला था रायन इंटरनेशनल ग्रुप का पहला स्कूल। 1976 में खोले गए इस स्कूल का नाम सेंट जेवियर्स हाई स्कूल रखा गया था। इस स्कूल के बाद मुंबई और देश के दूसरे हिस्सों में भी स्कूल खोले गए। रायन इंटरनेशनल ग्रुप के 5 ब्रांड्स हैं। इनमें रायन इंटरनेशनल स्कूल, रायन ग्लोबल स्कूल, रायन फाउंडेशन, इंडियन मॉडल यूनाइटेड नेशंस और रायन शैलोम प्री स्कूल है।

इस ग्रुप में है करीब 135 स्कूल

रायन इंटरनेशन स्कूल, रायन इंटरनेशनल ग्रुप का हिस्सा है। ये ग्रुप कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देशभर में इस ग्रुप के करीब 135 स्कूल संचालित है। देश के करीब 18 राज्यों में रायन ग्रुप के स्कूल हैं। इन स्कूलों में करीब 3 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। रायन इंटरनेशनल के संस्थापक चेन्नै के लॉयाल कॉलेज से ग्रैजुएट ऑगस्टीन एफ पिंटो हैं।

पिंटो का जन्म कर्नाटक के मेंगलुरु में हुआ था। उनके पिता कर्नाटक में एक किसान थे। पिंटो ने शुरुआती पढ़ाई मेंगलुरु के सेंट अलॉयसिस हाई स्कूल से पूरी करने के बाद लॉयोला कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रैजुएशन की और इसके बाद 1970 में काम की तलाश में मुंबई पहुंच गए। साल 2010 में पिंटो को मुंबई का शासनाधिकारी बनाया गया।

फुटवियर कंपनी से की शुरुआत

पिंटो को स्प्रिंग प्लास्टिक नामक एक फुटवियर कंपनी में नौकरी मिली लेकिन दो साल में ही उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ क्योंकि कंपनी ने अपना संचालन बंद कर दिया था। पिंटो को कुछ समय के लिए एक अच्छी नौकरी पाने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़, जिसके बाद वह अपने एक मित्र की सहायता से एक स्कूल में शामिल हो गए।

इनसे मिला स्कूल समूह को लॉन्च करने का विचार

मुंबई के स्कूल में एक शिक्षक के रूप में काम करते हुए पिंटो को अपने स्वयं के स्कूल समूह शुरू करने का विचार आया। 2008 में एक साक्षात्कार में, पिंटो ने कहा कि स्कूल के प्रिंसिपल को करीब से देखने के बाद, स्वयं के स्कूल समूह को लॉन्च करने का विचार आया।

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